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कम बारिश से घबराने की जरूरत नहीं : मंत्री

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नई दिल्ली। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं भू विज्ञान मंत्रालय के राज्यमंत्री वाई.एस. चौधरी ने गुरुवार को कहा कि मानसून सामान्य गति से आगे बढ़ रहा है। इस सीजन कम बारिश होने की खबरों से घबराने की जरूरत नहीं है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) द्वारा इस सीजन 12 प्रतिशत कम बारिश होने की भविष्यवाणी पर उन्होंने कहा कि मानसून का रुझान सकारात्मक है। इसमें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।

एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) द्वारा जलवायु परिवर्तन पर आयोजित चौथे राष्ट्रीय सम्मेलन से इतर उन्होंने कहा कि वह आंकड़े बताने में समर्थ नहीं हैं, लेकिन इस बात की पुष्टि करते हैं कि स्थिति सकारात्मक है। उन्होंने कहा, “मैं आंकड़े नहीं दे सकता, क्योंकि बैरोमीटर प्रकृति के बारे में सब कुछ सटीक जानकारी नहीं दे सकता। मानसून सकारात्मक है और हमें बिल्कुल चिंता करने की जरूरत नहीं।”

गौरतलब है कि आईएमडी ने अपनी आधिकारिक मानसून भविष्यवाणी में कहा था कि इस सीजन देशभर में बारिश सामान्य से 12 प्रतिशत कम रहेगी, जबकि उत्तर-पश्चिम क्षेत्र यानी दिल्ली, हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश और राजस्थान में यह 15 प्रतिशत कम होगी। इससे लोगों को फसल बर्बादी, सूखे, महंगाई और पूर्ण अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ने की चिंता सता रही है। आईएमडी द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में एक जून से 15 जून के बीच बारिश 69.6 मिलीमीटर दर्ज की गई, जो 61.4 मिलीमीटर की औसत बारिश से 13 प्रतिशत अधिक थी। हालांकि, उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में बारिश औसत से एक प्रतिशत कम रही।

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हरियाणा में बीजेपी की हैट्रिक, कांग्रेस को भारी पड़ी गुटबाजी

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सुबह 8 बजे जब EVM खुलीं तो काँग्रेस कार्यकर्ताओं का जोश हाई था .. जैसे जैसे घड़ी की सुई आगे बढ़ती गई कार्यकर्ताओं का जोश नाच गाने और लड्डू बांटने में तब्दील हो गया.. लेकिन ये क्या अचानक से वक्त बदल गया हालात बदल गए और देखते देखते जज़्बात ठंडे पड़ गए .. हरियाणा में जो काँग्रेस रुझानों में पूर्ण बहुमत में दिख रही थी वो अर्श से फर्श पर आ गई और जो बीजेपी फर्श पर पड़ी थी वो अर्श पर पहुँच गई. अब जोश वही था लेकिन हालात और जज़्बात अपनी जगह बदल चुके थे.. अब ढोल की गूंज बीजेपी ऑफिस पहुँच चुकी थी और लड्डू बीजेपी कार्यकर्ताओं का मुंह मीठा कर रहे थे .लोकसभा चुनाव की तरह हरियाणा के नतीजों ने भी चुनावी पंडितों को मुंह छिपाने के लिए मजबूर कर दिया.. सारे  पोल धाराशाई हो गए.. बीजेपी का कमल पूरे बहुमत के साथ खिल गया.. काँग्रेस के मुख्यालय 24 अकबर रोड के जिस कमरे में कौन बनेगा हरियाणा का मुख्यमंत्री पर चर्चा हो रही थी वहाँ का माहौल गमगीन हो गया और इस बात पर चर्चा होने लगी इस हार का बलि का बकरा कौन बनेगा.. 10 साल की एंटी इनकंबेंसी को बीजेपी की रणनीति ने प्रो इनकंबेंसी में बदल कर तीसरी बार सत्ता में वापसी कर ली. जान लेते हैं वो कौन सी वजहें थीं जिसने हरियाणा में कांग्रेस की नैया डुबाने का काम किया है.

गुटबाजी कांग्रेस को भारी पड़ी

हरियाणा चुनाव प्रचार के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा कांग्रेस के अंदर चल रही गुटबाजी की होती रही. कुमारी शैलजा और हुड्डा के साथ एक खेमा रणदीप सिंह सुरजेवाला का भी था. ऊपर के नेताओं के बीच की इस खींचतान ने संगठन को नुकसान पहुंचाने का काम किया और कार्यकर्ताओं के अंदर भी असमंजस की स्थिति बनी रही. तमाम कोशिशों के बाद भी कांग्रेस आलाकमान प्रदेश में खेमेबाजी पर लगाम लगाने में नाकामयाब रहा और पार्टी जीती हुई लड़ाई हार गई।

एंटी इनकंबेंसी को भुनाने में रही नाकामयाब

काँग्रेस अपनी अंदरूनी खींचतान से ही नहीं उबर पाई जिससे चुनाव प्रचार के दौरान काँग्रेस बीजेपी की गलतियों को भुनाने में नाकामयाब रही . हालांकि कांग्रेस के पास 10 साल की एंटी इनकंबेंसी,  मुख्यमंत्री बदलने जैसे मुद्दे थे. पहलवानों का प्रदर्शन और अग्निवीर योजना से लेकर किसान आंदोलन जैसे बड़े मुद्दों को प्रचार के दौरान ठीक से हवा नहीं दी जा सकी. लिहाजा पार्टी का पूरा ध्यान खेमेबाजी पर लगाम लगाने में ही रहा और इसका बीजेपी ने पूरा फायदा उठाया.

केजरीवाल की बेल ने बिगाड़ा खेल

चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल जेल से बाहर आए तो गठबंधन के लिहाज से काफी देर हो चुकी थी .. केजरीवाल खुलकर हरियाणा के चुनावी मैदान में उतार चुके थे लेकिन आम आदमी पार्टी के साथ अगर काँग्रेस का गठबंधन होता तो शायद तस्वीर अलग होती.

टिकट बंटवारे में दिखी गुटबाजी

टिकट बंटवारे में गुटबाजी और भाई भतीजाबाद को अलग रखकर सिर्फ विनिंग उम्मीदवारों को ही प्राथमिकता दी जाती, तो भी नतीजे उलट सकते थे. आम आदमी पार्टी को भले ही किसी सीट पर जीत न मिली हो, लेकिन करीबी मुकाबले वाली सीटों पर उसने कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाने का काम किया है…

एस एन द्विवेदी के साथ शिखा मेहरोत्रा की रिपोर्ट

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