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प्रादेशिक

स्वच्छता के मामले में कश्मीर पीछे

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नई दिल्ली। स्वच्छता के मामले में देश में जम्मू एवं कश्मीर की स्थिति काफी खराब है। राज्य के 12 लाख घरों में से 54 फीसदी में शौचालय नहीं है और यह राज्य 2014-15 में घरों में शौचालय बनाने के लक्ष्य से 86 फीसदी पीछे रह गया है।

केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय द्वारा 2012 में कराए गए बेसलाइन सर्वेक्षण के मुताबिक, देश में तीन सबसे खराब स्थिति वाले राज्यों में ओडिशा, बिहार और जम्मू एवं कश्मीर हैं। जम्मू एवं कश्मीर तीसरे स्थान पर है।

2014-15 में स्वच्छता कार्यक्रम के लिए मिली धनराशि में से राज्य ने 96 फीसदी का इस्तेमाल नहीं किया। राज्य को 121.52 करोड़ रुपये मिले थे, जिसमें से उसने सिर्फ 4.66 करोड़ रुपये खर्च किए।

जम्मू एवं कश्मीर में सत्ताधारी गठबंधन में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भी शामिल है, लेकिन राज्य में प्रधानमंत्री के पसंदीदा स्वच्छता कार्यक्रम ‘स्वच्छ भारत अभियान’ (एसबीए) को लागू नहीं किया गया है।

राज्य के यूनीफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफोर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (डाईज सर्वेक्षण 2014-15) के मुताबिक, राज्य में 6,351 स्कूलों में छात्राओं के लिए शौचालय नहीं है और 8,098 स्कूलों में छात्रों के लिए शौचालय नहीं है।

71 फीसदी स्कूलों में शौचालय या मूत्रालय के पास हाथ धोने के लिए वाश बेसिन और नलका नहीं है।

श्री महाराजा हरि सिंह अस्पताल में वरिष्ठ चिकित्सक निसार उल हसन ने कहा, “शहरों और स्वास्थ्य सेवा संस्थानों की भी यही स्थिति है। हेपेटाइटिस-ए और डायरिया की बीमारी आम तौर पर बच्चों में होती है और यह अधिकतर ऐसे बच्चों में होती है, जहां स्वच्छता की अच्छी व्यवस्था नहीं होती है।”

उल्लेखनीय है कि एसबीए का लक्ष्य 2019 तक देश के गांवों में खुले में शौच करने की प्रथा समाप्त करना है।

राज्य में तीन लाख के लक्ष्य की जगह 2014-15 में 42,239 घरेलू शौचालय बनाए गए, जो लक्ष्य से 86 फीसदी पीछे है।

1,264 स्कूलों की जगह गत वर्ष 87 में ही शौचालय बनाए गए। 300 आंगनबाड़ियों में से 17 में ही शौचालय का निर्माण हुआ।

आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य ने घरेलू शौचालय निर्माण का लक्ष्य 2010 से अबतक कभी संतोषजनक तरीके से पूरा नहीं किया है। राज्य का सर्वोत्तम प्रदर्शन 2010 में 60 फीसदी था।

घरेलू शौचालय निर्माण में राज्य में सर्वोत्तम प्रदर्शन लद्दाख क्षेत्र के दो जिलों कारगिल और लेह का रहा है।

राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम भी राज्य में अच्छी तरह से लागू नहीं हो सका है।

राज्य के स्कूलों में आम तौर पर शौचालय, वाश बेसिन और पेयजल का अभाव है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 71 फीसदी से अधिक स्कूलों में वाश बेसिन या नलका नहीं है, जबकि 9.18 फीसदी स्कूलों में पेयजल की व्यवस्था नहीं है।

(आंकड़ा आधारित, गैर लाभकारी, लोकहित पत्रकारिता मंच, इंडियास्पेंड के साथ एक व्यवस्था के तहत। यहां प्रस्तुत विचार लेखक के अपने हैं।)

उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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