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प्रादेशिक

निर्वाचन आयुक्त से मिले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, पंचायत चुनाव में सपा सरकार की भूमिका पर उठाए सवाल

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लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ.लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने मंगलवार को निर्वाचन आयुक्त (स्थानीय निकाय एवं पंचायतें) से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा। निर्वाचन आयुक्त से भेंट के दौरान प्रदेश अध्यक्ष बाजपेयी ने कहा कि प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी के सम्बन्ध में ब्लाक-कोयलसा जनपद-आजमगढ़ में बीएलओ की एक बैठक हुई। डॉ. बाजपेयी ने निर्वाचन आयुक्त को बताया कि बैठक को यूपी सरकार के कारागार मंत्री बलराम यादव ने सम्बोधित किया। उन्होंने कहा सामान्यतः किसी भी निर्वाचन की प्रक्रिया से राज्य सरकार या उसके मंत्री का कोई लेना-देना नहीं होता, लेकिन आजमगढ़ में यह सब कुछ हुआ।

डॉ. बाजपेयी ने कहा मेरा यह मत है कि मंत्री के खिलाफ तो राज्य निर्वाचन आयोग को नियमों के अन्तर्गत प्रभावी व संदेश देने वाली कार्रवाई करनी चाहिए। इस बैठक में जो भी जनपद के प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे, बैठक की सूचना देने वाले अधिकारी थे, उन सभी को निलम्बित कर आजमगढ़ से हटाकर जांच कराकर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही पंचायत के प्रस्तावित चुनाव प्रक्रिया से उनको अलग रखा जाए।

उन्होंने निर्वाचन आयुक्त से 2 माह पूर्व हुई भेंट का जिक्र करते हुए कहा कि मैंने आपसे विनम्रतापूर्वक आग्रह किया था, यदि पंचायत चुनाव निष्पक्ष करना है तो केन्द्रीय सुरक्षा बल लगाना चाहिए साथ ही चुनाव के प्रेक्षक भी सूबे के बाहर के अधिकारी होने चाहिए। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने निर्वाचन आयुक्त को सौंपे ज्ञापन में कहा कि उत्तर प्रदेश की खराब कानून व्यवस्था, सत्ता के दबाव में यूपी पुलिस की लाचारगी और मंत्री द्वारा बीएलओ की बैठक को सम्बोधित करना स्पष्ट कर रहा है कि प्रस्तावित पंचायत चुनाव को यूपी सरकार जबरिया जीतने का प्रयत्न करेगी और उस वक्त आयोग असमंजस और लाचारगी की स्थिति में होगा।

उन्होंने निर्वाचन आयुक्त से मांग की कि आजमगढ़ की बैठक के संदर्भ में उचित प्रमाणिक मूलक कार्यवाही करने का कष्ट करें। साथ ही उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव में केंद्रीय सुरक्षा बल लगाया जाए और यूपी पुलिस की भूमिका को नगण्य किया जाए। चुनाव में नियुक्त होने वाले प्रेक्षक भी सूबे के बाहर के हों।

उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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