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प्रादेशिक

आधुनिकता ने छीना इक्का तांगे का शौक

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लखनऊ। आधुनिकता की मार से अब इक्का-तांगा भी अछूता नहीं रहा, कभी शानो शौकत की सवारी कहे जाने वाले इक्का व तांगा आज भी युवा पीढ़ी ने ‘आउट डेटेड’ कर दिया है। पहले इक्का तांगा की सवारी राजशाही सवारी मानी जाती थी।

जब संसाधनों की कमी थी, उस समय लोग तांगें की सवारी को ही उत्तम मानते हुए सड़कों के किनारे खड़े होकर इक्के-तांगों का इंतजार किया करते थे। उस पर सवार होकर अपने गंतव्य तक की यात्रा पूरी किया करते थे। जैसे-जैसे समय का पहिया घूमा, लोग आधुनिक संसाधनों की ओर बढ़ने लगे। अब गांव-गांव, घर-घर दुपहिया व चारपहिया वाहनों की बाढ़ सी आ गई है। नई पीढ़ी के सामने पूर्व से चली आ रही शान की सवारी, आउट डेटेड हो गई। पहले जहां लोग इक्के व तांगें पर शौक से बैठकर यात्रा किया करते थे, वहीं अब इस सवारी पर बैठना अपनी मर्यादा व शान के खिलाफ समझते हैं।

नवाबों के शहर के एक बुजुर्ग शौकत अजीज ने बताया, “एक समय हुआ करता था जब बाधमंडी चौराहे पर कई तांगे वाले हुआ करते थे और उनके तांगों की छमछम सड़कों पर सुनाई पड़ती थी।” आधुनिकता के दौर के साथ तांगा चालकों के इक्के-तांगों पर चढ़ने का शौक रखने वालों का अभाव हो गया। आमदनी घटने के साथ ही इनके दुर्दिन शुरू हुए तो इन लोगों ने अपने परंपरागत धंधे को छोड़कर अन्य धंधों की ओर रुख कर लिया।

तांगा चालक सादिक अख्तर का कहना है, “अपने बच्चों और परिवार को दो जून की रोटी के लिए अब दूसरा धंधा करना पड़ रहा है। हम में से कुछ ने पूर्वजों की निशानी कायम रखने के लिए तांगे को छोड़ा नहीं है, बल्कि वे इससे अब माल ढोने लगे हैं। एक तांगा चालक रामनिवाज बताते हैं कि इक्के से उनकी जो भी कमाई होती है, उसमें से ज्यादा हिस्सा घोड़े की खुराक में खर्च हो जाता है। फिर भी वह अपने पूर्वजों की निशानी को जीवंत किए हुए हैं।

रामनिवाज ने कहा, “हमारे बच्चे मगर पूर्वजों की निशानी को कायम रखना नहीं चाहते, वे कोई दूसरा काम शुरू करना चाहते हैं। मैं जब तक जिंदा हूं, तभी तक मेरा इक्का भी जिंदा है।” सचमुच, लगता है इक्का-तांगा शब्द अब सिर्फ इतिहास के पन्नों में दफन होकर रह जाएंगे।

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उत्तर प्रदेश

महाकुंभ में हर आपात स्थिति से निपटने की तैयारी

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प्रयागराज | महाकुंभ 2025 के वृहद आयोजन को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार हर आपात स्थिति से निपटने की तैयारी कर रही है। दुनिया के सबसे बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम में परिंदा भी पर न मार सके, इसके लिहाज से स्वास्थ्य कर्मियों के साथ एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की कई टीमें मिलकर काम कर रही हैं। महाकुंभ से पहले केमिकल, बायलॉजिकल, रेडिएशनल और न्यूक्लियर प्रॉब्लम से निपटने के लिए भी टीम को तैयार कर लिए जाने की योजना है। इसके लिए बाकायदा कर्मचारियों को हर आपदा से निपटने की विधिवत ट्रेनिंग दी जाएगी। यही नहीं योगी सरकार के निर्देश पर श्रद्धालुओं के मेडिकल टेस्ट के लिए भी प्रयागराज के अस्पतालों को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अपग्रेड करने में लगे हैं।

श्रद्धालुओं के मेडिकल टेस्ट की भी व्यवस्था

संयुक्त निदेशक (चिकित्सा स्वास्थ्य) प्रयागराज वीके मिश्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर महाकुंभ के दौरान स्वास्थ्य विभाग सभी इंतजाम पुख्ता करने में जुटा है। इसके तहत कर्मचारियों को महाकुंभ में हर आपात स्थिति से निपटने की ट्रेनिंग दी जाएगी। महाकुंभ में देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के मेडिकल टेस्ट के लिए टीबी सप्रू और स्वरूपरानी अस्पताल को तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम के साथ स्वास्थ्य कर्मियों के मिलकर काम करने की योजना बनाई गई है। सनातन धर्म के सबसे बड़े आयोजन के दौरान हर एक श्रद्धालु को केमिकल, बायलॉजिकल, रेडिएशनल और न्यूक्लियर संबंधी हर प्रॉब्लम से सुरक्षित रखने के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं।

अनुभवी चिकित्सकों की ही तैनाती

महाकुंभ के दौरान देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की देखरेख के लिए 291 एमबीबीएस व स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की तैनाती रहेगी। इसके अलावा 90 आयुर्वेदिक और यूनानी विशेषज्ञ भी इस अभियान में सहयोग के लिए मौजूद रहेंगे। साथ ही 182 स्टॉफ नर्स इन चिकित्सकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जरूरतमंदों के स्वास्थ्य की देखभाल करेंगी। इस प्रक्रिया में ज्यादातर अनुभवी चिकित्सकों को ही महाकुंभ के दौरान तैनाती दी जा रही है।

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