लाइफ स्टाइल
घरेलू लेप से डालें बालों में नई जान
मुंबई| इस मौसम में बालों को अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है। इसके लिए पार्लर जाने की जरूरत नहीं है। घर में नारियल, क्रीम और केले की मदद से केश लेप (हेयर मास्क) बनाएं। एक विशेषज्ञ की राय है कि इनसे बनें लेप रूखे-बेजान और कमजोर बालों के लिए अच्छे हैं। ‘स्टार सैलून एंड स्पा’ की मालकिन आश्मीन मुंजाल ने घर में बनाए जाने वाले कुछ ऐसे ही केश लेप बताए हैं :
-नारियल और क्रीम लेप : यह लेप सूखे और घुंघराले बालों के लिए सर्वश्रेष्ठ है। इसके मॉश्चराइज करने वाले तत्व बालों को मुलायम और चमकदार बनाते हैं। यह घर में आसानी से बनाया जा सकता है।
सामग्री : नारियल तेल और जैतून तेल।
विधि : दोनों तेलों को अच्छे से मिलाएं और बालों की जड़ों से अंतिम सिरे तक लगाएं। लगाने के बाद बालों को टोपी से पूरी तरह ढंक लें। एक घंटे तक लगा रहने दें। उसके बाद शैंपू कर लें और कंडिशनर लगाएं। इस लेप से न केवल बाल मुलायम और चमकदार बनेंगे, बल्कि रूखे बालों को पोषण भी मिलेगा।
-केला क्रीम लेप : यह लेप कमजोर और रूखे-सूखे बालों में नई जान डालेगा। केला एक प्राकृतिक संघटक है, जो जड़ों को नुकसान से बचाकर बालों को मजबूती देता है। केले में मौजूद आयरन और विटामिन बालों को पोषण देते हैं।
सामग्री : एक केला और एक चम्मच शहद।
विधि : पका हुआ एक केला ग्राइंडर में अच्छे से पींस लें। उसके बाद उसमें एक चम्मच शहद डालें। इस पूरे घोल को जड़ से सिरों तक लगाएं। 15-20 मिनट तक लगा रहने दें और बाद में गुनगुने पानी से धो लें। इस लेप को आगे प्रयोग करने के लिए फ्रिज में रखा जा सकता है। यह जल्दी खराब नहीं होता।
-जई से बना केश मास्क : यह लेप सिर की तैलीय चमड़ी, रूसी, खुजली और जलन से जूझने वाले लोगों के लिए बेहतरीन है।
सामग्री : एक चम्मच जई, एक चम्मच दूध और एक चम्मच बादाम का तेल।
विधि : उपरोक्त चीजों को मिलाएं और लेप बना लें। लेप में कोई गांठ नहीं रहनी चाहिए। बालों में अच्छे से लगाएं। 15-20 मिनट लगा रहने दें और बाद में गुनगुने पानी से धो लें।
-हाइबिस्कस (गुड़हल फूल) केश लेप : अगर आप कमजोर जड़ों और पतले बालों की समस्या से ग्रस्त हैं, तो यह लेप आपके लिए आदर्श है। इसके जरूरी तत्व बालों की जड़ों को मजबूती देते हैं।
सामग्री : गुड़हल की 6-7 पंत्तियां, एक चौथाई कप जैतून का तेल और दो चम्मच कच्चा दूध।
विधि : गुड़हल की पत्तियां रातभर पानी में भिगोएं। सुबह में जैतून तेल और कच्चे दूध के साथ पीस लें। इसे बालों पर लगाएं। इसे 20-25 मिनट लगाए रखें और बाद में ठंडे पानी से धो लें।
लाइफ स्टाइल
साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।
हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?
जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?
हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।
शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?
हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।
क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।
गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।
ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।
इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।
डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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