हेल्थ
शरीर की खुशबू को लंबे समय तक ऐसे रखें बरकरार
नई दिल्ली। क्या आप खुद को सुगंधित रखने के लिए जिस इत्र का इस्तेमाल करते हैं उसका असर जल्द ही खत्म हो जाता है, तो इसे लंबे तक बरकरार रखने के लिए अपने शरीर की दुर्गंध को कम रखें और अपनी त्वचा को नमी प्रदान करें। इत्र और डीयोड्रैंट बनाने वाली कंपनी ‘ऑल गुड सेंट’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजीव सेठ, ने इसके लिए कुछ सुझाव दिए हैं :
– गर्म पानी से स्नान करें : नहाने के लिए शॉवर जेल का इस्तेमाल करें। पूरे शरीर को किसी खुशबूदार साबुन से साफ करें और शरीर पोछने के बाद ही किसी सुगंधि का इस्तेमाल करें। जब आप गर्म पानी से नहाएंगे तो इससे आपके रोम छिद्र खुल जाएंगे और उसके बाद जब आप सुगंधि का इस्तेमाल करेंगे तो यह लंबे समय तक बनी रहेगी।
– नमी बरकरार रखने के लिए सुगंधि रहित लोशन या बॉडी लोशन लगाए या जिस सुगंध का आप इस्तेमाल करते हैं उसी सुगंध वाले बॉडी लोशन का इस्तेमाल करें। नम त्वचा पर इस्तेमाल की गई सुगंधि लंबे समय तक बरकरार रहती है। शुष्क त्वचा पर सुगंधि लंबे समय तक नहीं टिक पाती।
– शरीर के तापमान में होने वाले उतार-चढ़ाव के साथ त्वचा की खुशबू भी प्रभावित होती है : खुशबू के लिए इस्तेमाल सेंट आपकी नब्ज की गति से भी प्रभावित होती है। रक्त के गर्म होने के साथ खुशबू आपकी त्वचा से खत्म होने लगती है। कलाई, कुहनी के अंदरूनी हिस्सों, गर्दन और स्तनों के बीच सेंट का इस्तेमाल करें।
– मौसम और खुशबू के आधार पर सेंट को कपड़ों पर भी लगाया जा सकता है। सर्दियों में स्वेटर पर भी खुशबू लगाना चहिए। हमेशा 15 से 20 सेंटीमीटर की दूरी से सेंट स्प्रे करना चाहिए।
इसके अलवा खुशबू को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए हवा में सेंट स्प्रे करें और उसके बीच से धीरे-धीरे चलते हुए गुजरें। इससे आपके पूरे शरीर में बराबर मात्रा में खुशबू फैल जाएगी।
लाइफ स्टाइल
साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।
हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?
जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?
हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।
शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?
हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।
क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।
गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।
ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।
इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।
डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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