Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

नीतीश के कार्यकाल में प्रगति, बिहार अब भी पीछे

Published

on

Loading

नई दिल्ली| सर्वाधिक विकास दर की दृष्टि से गरीब राज्यों में बिहार का स्थान दूसरा है, लेकिन गरीबी के मामले में यह तीसरे स्थान पर है। बेरोजगारी के मामले में गरीब राज्यों में यह पहले स्थान पर है।

विधानसभा का चुनाव नजदीक आ जाने से बिहार इन दिनों चर्चा में आ गया है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को यद्यपि बिहार में विकास का दौर लाने के लिए जाना जाता है, लेकिन राज्य अब भी कई मामलों में पीछे है।

सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े आठ राज्यों -बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश- को अधिकार प्राप्त कार्य समूह (ईएजी) के रूप में जाना जाता है। केंद्र सरकार ने 2001 की जनगणना के बाद जनसंख्या वृद्धि रोकने के लिए इन आठ राज्यों में जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत ईएजी का गठन किया है।

बिहार 9.9 फीसदी विकास दर के साथ ईएजी राज्यों में सिर्फ मध्य प्रदेश से पीछे है, जिसकी विकास दर 11 फीसदी है।

बिहार की बेरोजगारी दर हालांकि ईएजी राज्यों में सर्वाधिक है। गरीबी के मामले में भी यह तीसरे स्थान पर है।

राज्य में गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों का अनुपात भी तीसरा सर्वाधिक है। देश में जिस परिवार में प्रति व्यक्ति दैनिक खर्च 26 फीसदी से कम होता है, उसे गरीबी रेखा से नीचे माना जाता है।

बिहार में 31 फीसदी जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे है। इससे अधिक सिर्फ दो राज्यों छत्तीसगढ़ और झारखंड में यह अनुपात क्रमश: 39.9 फीसदी और 36.9 फीसदी है।

2004-05 के आंकड़े के मुताबिक, तब बिहार में गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों का अनुपात 54 फीसदी था।

ताजा आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों की संख्या 3.58 करोड़ है, जो ईएजी राज्यों में उत्तर प्रदेश (5.89 करोड़) के बाद दूसरे स्थान पर है।

2004-05 के बाद गरीबी रेखा से बाहर निकाले गए लोगों की संख्या के मामले में भी राजस्थान और ओडिशा ने बेहतर प्रदर्शन किया है, जिन्होंने क्रमश: 51 फीसदी और 37 फीसदी लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाले।

बिहार ने इस दौरान 26 फीसदी लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाले।

राजमार्ग और शौचालय जैसे मामले में भी बिहार पीछे है।

सड़क : 31 मार्च 2013 के आंकड़े के मुताबिक महाराष्ट्र में 22.9 फीसदी राजमार्ग है।

कर्नाटक में यह 12.3 फीसदी, गुजरात में 10.9 फीसदी, मध्य प्रदेश में 6.5 फीसदी, तमिलनाडु में 6.4 फीसदी। ये सर्वाधिक राजमार्ग वाले राज्य हैं। राजकीय राजमार्ग में इन पांच राज्यों की हिस्सेदारी 59 फीसदी है।

ईएजी राज्यों में 36 फीसदी राजकीय राजमार्ग है, जबकि देश की कुल जनसंख्या में ये 46 फीसदी योगदान करते हैं। बिहार में 4.9 फीसदी राजकीय राजमार्ग है, जबकि यह जनसंख्या में 8.6 फीसदी योगदान करता है।

शौचालय : बिहार के गांवों में 98 फीसदी घरों में शौचालय नहीं है, जो ईएजी राज्यों में सर्वाधिक है।

स्वच्छ भारत अभियान के उपलब्धि संबंधी आंकड़े के मुताबिक, बिहार के गांवों में कुल 1.68 करोड़ घर हैं, जबकि इनमें 1.64 करोड़ घरों में शौचालय नहीं है।

(आंकड़ा आधारित, गैर लाभकारी, लोकहित पत्रकारिता मंच, इंडियास्पेंड डॉट आर्ग के साथ एक व्यवस्था के तहत।)

 

IANS News

वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ

Published

on

Loading

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।

‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।

‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।

‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।

सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।

इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।

Continue Reading

Trending