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प्रादेशिक

मंत्री नहीं ओएसडी चला रहे कारागार विभाग!

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राकेश यादव

लखनऊ। उत्तर प्रदेश का कारागार विभाग मंत्री नहीं, मंत्री के ओएसडी चला रहे हैं। यह बात आपको सुनने में भले ही अटपटी लगे लेकिन विभागीय दस्तावेज इन तथ्यों की पुष्टि करते नजर आते है। मामला विभागीय अफसरों की तैनाती का हो या फिर अधिकारियों के निलंबन के बाद बहाली का। सब काम कारागार मंत्री के ओएसडी ही निपटा रहे हैं। मंत्री के ओएसडी की तानाशाही का आलम यह है कि वह कारागार मुख्यालय से प्रस्ताव मंगाए बगैर ही क्लास वन अधिकारियों का तबादला कर दे रहे हैं। एक तबादले को लेकर विभाग के मुखिया और शासन में ठन तक गई। इस खींचतान की वजह से विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी को तबादले के बावजूद उसी स्थान पर रहने के लिए विवश होना पड़ रहा है।

प्रदेश में वर्तमान समय में कुल 72 जेल हैं। इसमें 56 जिला जेल और छह केंद्रीय कारागार हैं। जिला जेल में विचाराधीन बंदियों और केंद्रीय कारागार में सजायाफ्ता कैदियों को रखा जाता है। जिला जेलों में प्रशासनिक व्यवस्था की जिम्मेदारी वरिष्ठ अधीक्षक एवं अधीक्षक के कंधो पर होती है। बंदियों को नियंत्रित करने का जिम्मा जेलर के हाथ में होता है। बंदियों की अधिक क्षमता वाली जेलों में वरिष्ठ अधीक्षक के अलावा दो से तीन जेलरों की तैनाती होती है। सूत्र बताते हैं कि कारागार मंत्री के ओएसडी ने मनमाफिक तरीके से अधिकारियों की तैनाती करके जेलों की व्यवस्थाओं को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है। वर्तमान समय में प्रदेश की करीब आधा दर्जन जेलों में अधीक्षक की जिम्मेदारी जेलर निभा रहे हैं, वहीं कई जेलों में एक के स्थान पर दो-दो अधीक्षक तैनात कर दिए गए है। जानकारी के मुताबिक शासन द्वारा प्रदेश की अतिसंवेदनशील घोषित जिला जेल लखनऊ में दधिराम मौर्या और हाल ही में जेलर से प्रोन्नति पाकर अधीक्षक बने शशिकांत मिश्रा को तैनात कर दिया गया है। इसी प्रकार इलाहाबाद की केंद्रीय कारागार नैनी में वरिष्ठ अधीक्षक अंबरीश गौड़ के साथ ही उरई जेल से निलंबित किए गए अधीक्षक अविनाश गौतम को तैनात किया गया है।

राजधानी से सटी कानपुर जेल का भी कुछ ऐसा ही हाल है। कानपुर जिला जेल में हाल ही में जेलर से प्रोन्नति पाए अधीक्षक विजय विक्रम सिंह को तैनात किया गया था। अभी उनकी तैनाती को हुए चंद माह ही बीते थे कि नवनियुक्त महानिरीक्षक कारागार ने प्रभार संभालते ही फतेहगढ़ में तैनात किए गए विपिन कुमार मिश्र को एकाएक कानपुर जेल में तैनात कर दिया गया। प्रदेश की इन तीन जेलों में जहां दो-दो अधीक्षक तैनात हैं वहीं आधा दर्जन जेलों में अधीक्षक नहीं है। इन जेलों की कमान जेलर के हाथ में है। सूत्रों का कहना है कि एक जेल में दो अधिकारियों की तैनाती से जेलों की सुरक्षा के साथ अन्य कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। इन जेलों पर अधिकारियों की अधिकता की वजह से सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। बताया गया है कि विभागीय मंत्री के ओएसडी की इस तानाशाही की वजह से अधिकारियों में खासा आक्रोष व्याप्त है। अधिकारियों में कयास लगाए जा रहे है कि अधिकारी मोटी रकम देकर मनमाफिक जेलों में तैनाती करा रहे हैं। इसमें कई मामलों में तो मंत्री तक को खबर ही नहीं हो पाती है।

इस बाबत जब प्रमुख सचिव कारागार राजेंद्र तिवारी से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि इसकी जांच कराई जाएगी। एक स्थान पर दो अधिकारियों की तैनाती को उन्होंने गलत ठहराया। महानिरीक्षक कारागार देवेंद्र सिंह चौहान ने एक जेल पर दो अधिकारियों की तैनाती को जायज बताते हुए कहा कि पद स्वीकृत होने की वजह से अधिकारियों को तैनात किया गया है। जब इनसे सवाल किया गया कि एक जेल पर पदों के अनुपात में प्रदेश की किसी भी जेल में अधिकारियों की तैनाती नहीं है तो उन्होंने इस गंभीर मसले पर चुप्पी साध ली।

उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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