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प्रादेशिक

विश्व हिंदी सम्मेलन में साहित्यकारों को ही न्योता नहीं

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भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में होने जा रहे 10वें विश्व हिंदी सम्मेलन से साहित्यकारों को दूर रखे जाने को लेकर सवाल उठ रहे हैं। पद्मश्री से लेकर राष्ट्रीय स्तर के साहित्य पुरस्कार पा चुके साहित्यकार भी समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर सरकार का यह बर्ताव क्यों और किस वजह से है।

राजधानी भोपाल में 10 से 12 सितम्बर तक विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है। आयोजकों के अनुसार, इसमें लगभग पांच हजार विद्वानों के आने की संभावना है। देश और दुनिया में इसके लिए निमंत्रण भी भेजे जा चुके हैं, लेकिन भोपाल निवासी पद्मश्री और साहित्य सम्मान प्राप्त विद्वानों की अब तक कोई खबर नहीं ली गई है। उन्हें न तो तैयारियों के दौरान विचार-विमर्श के लिए बुलाया गया है और न ही उन्हें आमंत्रण देना ही मुनासिब समझा गया है।

साहित्यकार राम प्रकाश त्रिपाठी ने कहा, “केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरा जोर अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) को लुभाने पर है।” सम्मेलन में राजनीतिक दखलंदाजी के सवाल पर उन्होंने कहा, “शिक्षा, भाषा सब कुछ राजनीति नियोजित होता है, लेकिन यह आयोजन संकीर्णता वाला है। भाषा का अहम घटक साहित्य होता है, लेकिन इस सम्मेलन से साहित्य को ही दूर रखा जा रहा है।”

भोपाल में साहित्यकारों और रचनाकारों की बस्ती ‘निराला नगर’ है। यहां ध्रुव शुक्ल, रामप्रकाश त्रिपाठी, राजेश जोशी, मेहरुन्निशा परवेज, राजेश शाह, विजय बहादुर जैसी नामचीन साहित्यिक हस्तियां रहती हैं, लेकिन इनमें से किसी को भी अब तक सम्मेलन का बुलावा नहीं मिला है। वरिष्ठ साहित्यकार ध्रुव शुक्ल ने कहा, “राजनीति ने कभी भी भाषा को ताकतवर नहीं बनाया है। किसी भाषा की ताकत साहित्य होता है। किसी भी शासन ने भाषा को ताकत नहीं दी है। इतिहास इस बात का गवाह है कि जब भी शासन और राजनीति का भाषा में दखल बढ़ा है, उस भाषा में संवाद ही कम हुआ है और भाषा के नाम पर विवाद हुए हैं।”

राज्य के अन्य इलाकों के साहित्यकारों ने भी सम्मेलन का बुलावा न मिलने पर नाराजगी जताई है। सम्मेलन के आयोजन में अहम भूमिका निभा रहे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक पदाधिकारी ने साहित्यकारों की उपेक्षा के सवाल पर नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि यह सम्मेलन साहित्यकारों का नहीं, बल्कि ‘विद्वानों’ का है।

उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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