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यूपी : लेखपाल परीक्षा के अभ्यर्थियों के भविष्य से हो रहा खिलवाड़

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में हाल के वर्षो में संचालित सरकारी कर्मियों की भर्तियों पर सवाल उठते रहे हैं। इसी क्रम में लेखपाल भर्ती परीक्षा नजदीक आते ही राजस्व विभाग का एक नया कारनामा सामने आया है। परीक्षा के ऑनलाइन फॉर्म सबमिट नहीं होने के एसएमएस अब मिलने से परीक्षा की तैयारी कर रहे सैकड़ों अभ्यर्थियों की मेहनत पर विभाग ने पानी फेर दिया है।

यह एसएमएस उसी समय मिलना चाहिए था, जब अभ्यर्थियों ने फार्म सबमिट किया था। उधर, विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध टोल फ्री नंबर पर कॉल कर समस्या बताने पर ‘इसमें हम आपकी कोई मदद नहीं कर पाएंगे.. थैंक यू फॉर कॉलिंग’ कहकर पल्ला झाड़ा जा रहा है। विभाग के इस रवैये से निराश सैकड़ों अभ्यर्थी खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। इस संबंध में प्रशासन ने विभाग को सीधा बचाते हुए मामले में कार्यदायी संस्था से बात करने की बात कही है। हालांकि सूत्रों की मानें तो विभाग के इस खेल की पोल खुलने पर बड़ा गड़बड़झाला सामने आएगा।

गौरतलब है कि राजस्व लेखपालों के 13 हजार पदों पर भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन 22 जून, 2015 से शुरू हुए थे। जनरल एवं ओबीसी अभ्यर्थियों के लिए 300 रुपये और एससी-एसटी अभ्यर्थियों के लिए 150 रुपये फीस तय की गई थी। फीस क्रेडिट/डेबिट कार्ड और नेट बैंकिंग के जरिए ऑनलाइन जमा करने की सुविधा दी गई। इसके अलावा, ई-चालान के जरिए स्टेट बैंक की किसी भी ब्रांच में फीस जमा करने का भी विकल्प था।

पूरे प्रदेश में लेखपालों की भर्ती के लिए परीक्षा एक साथ 13 सितंबर को होनी है। वहीं एडमिट कार्ड डाउनलोड करने की तारीख 1 से 13 सितंबर रखी गई है। अभ्यर्थियों को किसी तरह की दिक्कत न हो इसके लिए विभाग की वेबसाइट ‘बोर.यूपी.निक.इन’ पर टोल फ्री नंबर की सुविधा भी उपलब्ध है। अब परीक्षा नजदीक आते ही विभाग का एक यह नया कारनाम सामने आया तो लोगों के होश उड़ गए।

विभाग की वेबसाइट खोलकर प्रवेश पत्र डाउनलोड करने की सैकड़ों अभ्यर्थियों की कोशिश जब नाकाम हुई तो उन्होंने टोल फ्री नंबर पर कॉल कर जानकारी की। पर वहां से भी फार्म सबमिट नहीं होने की बात सुनते ही उनके सारे सपने बिखर गए। हालांकि अधिकांश अभ्यर्थियांे को इसकी जानकारी मोबाइल पर आए मैसेज से मिली। अलबत्ता विभाग के इस खेल से परीक्षा की तैयारी कर रहे सैंकड़ों अभ्यर्थियों की कड़ी मेहनत बेकार हो गई।

लखनऊ के सुशील ने बताया कि परीक्षा की तैयारी के लिए 8 महीने पहले ही काम्पिटेटिव कोंचिग क्लास ज्वाइन कर ली थी। बुधवार सुबह मोबाइल पर एडमिट कार्ड जनरेट नहीं होने का मैसेज मिला तो होश उड़ गए। विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध टोल फ्री नंबर 18001800248, 18001800249 पर कॉल करने पर पता चला कि फार्म सबमिट नहीं होने की दशा में एडमिट कार्ड जनरेट नहीं हो पाया।
मोहनलालगंज के धीरेंद्र के साथ भी ऐसा ही हुआ। पीड़ित ने बताया कि फार्म सबमिट नहीं हुआ था तो उसी दौरान मैसेज मिलना चाहिए था। अब परीक्षा नजदीक आने पर विभाग का यह खेल अभ्यर्थियों के साथ धोखा है। कानपुर के सुधीर के मुताबिक, फार्म सबमिट कर सेव कर लिया था। उस समय कोई मैसेज नहीं मिला। अगर फार्म सबमिट नहीं होने का मैसेज मिला होता तो दोबारा कोशिश कर सुधार किया जा सकता था। लेकिन प्रवेशपत्र डाउनलोड करते समय यह जानकारी मिलना विभाग द्वारा भर्ती परीक्षा का माखौल उड़ाना है। एडीएम (प्रशासन) राजेश कुमार पांडेय ने कहा कि इसमें विभाग का कोई दोष नहीं है। टाटा कन्सलटेंसी एजेंसी को फॉर्म सबमिशन का कार्य सौंपा गया था। उन्होंने कहा कि अभ्यर्थियों की शिकायतों को संज्ञान में लेते हुए कार्यदायी एजेंसी से बात कर समस्या का हल निकाला जाएगा।

प्रादेशिक

IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

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