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केंद्रीय मंत्री मेनका का विवादित बयान- सभी तरह की हिंसा पुरुषों की देन
नई दिल्ली। केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने सोमवार को एक विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा कि लैंगिक संवेदीकरण में पुरुषों की भूमिका निर्णायक है क्योंकि “सभी तरह की हिंसा पुरुषों की पैदा की हुई है।”
मेनका ने महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय की फेसबुक पर शुरू की गई पहल ‘100वूमेन’ पर लोगों के सवालों के जवाब में यह बात कही। उन्होंने कहा कि लैंगिक संवेदनशीलता जगाने में पुरुषों की भूमिका निर्णायक है क्योंकि “सभी हिंसा पुरुषों की पैदा की हुई है। हमने स्कूलों में ‘जेंडर चैंपियन’ कार्यक्रम शुरू किया है। इसमें उन लड़कों को इनाम दिया जाएगा जो लड़कियों की मदद करेंगे और उनके प्रति सम्मान दिखाएंगे।”
महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय ने फेसबुक पर ‘100वूमेन’ की शुरुआत जुलाई में की थी। इसका मकसद देश की ऐसी 100 महिलाओं की तलाश है जिन्होंने अपने काम से अपने समुदायों में प्रभाव छोड़ा है, बदलाव की अलख जगाई है। मेनका से ‘लाइव चैट’ के दौरान बाल शिक्षा, महिलाओं के साथ अपराध और राजनैतिक मुद्दों पर सवाल पूछे गए। उन्होंने कुछ का ही जवाब दिया। गुड़गांव में सऊदी अरब के राजनयिक द्वारा कथित रूप से दो नेपाली महिलाओं से दुष्कर्म के आरोप पर मेनका ने कहा कि यह आंख खोल देने वाली घटना है। केंद्र सरकार देखेगी कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि उनके मंत्रालय ने मुसीबत में फंसी महिलाओं की मदद के लिए सखी नाम से केंद्रों की स्थापना की है। मेनका ने कहा कि महिलाओं से जुड़े मामलों में भारतीय मीडिया अन्य देशों की तुलना में अधिक संवेदनशील है। पशु अधिकारों के लिए लड़ने वाली मेनका ने शिक्षा व्यवस्था के बारे में कहा, “मुझे लगता है कि शिक्षा को लैंगिक समानता पर और पशु अधिकारों पर अधिक संवेदनशील होना चाहिए।”
‘100वूमेन’ के तहत महिलाओं को मंत्रालय के फेसबुक पेज पर नामित किया जाएगा। जिसके बारे में सबसे अधिक संस्तुतियां होंगी उनके नाम निर्णायक मंडल के सामने रखे जाएंगे जो सौ महिलाओं का चयन करेगा। महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय के फेसबुक पेज पर 30 सितंबर तक नामांकन होगा। चुनी गई महिलाओं की मेजबानी राष्ट्रपति 22 जनवरी 2016 को करेंगे। 22 जनवरी 2015 को बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की गई थी।
नेशनल
क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?
नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’
जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.
मामले की पूरी जानकारी
राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।
पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
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