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प्रादेशिक

अधीक्षक को रिवर्ट कर उसी जेल में बनाया जेलर

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राकेश यादव

– समायोजन मे फंसे एक अधीक्षक और एक जेलर

लखनऊ। कारागार विभाग में रिवर्ट किए गए अधिकारियों के तबादलों में जमकर गोलमाल किया गया है। तबादलों में शासन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी दरकिनार कर दिया। शासन ने रिवर्ट हुए करीब एक दर्जन अधिकारियों का तबादला कर दिया। इसमें ललितपुर जेल के अधीक्षक रीबन सिंह को रिवर्ट कर जेलर बनाया गया और उन्हें उसी जेल में तैनाती दे दी गई। यह मामला विभागीय अधिकारियों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। कहा जा रहा है कि रिवर्ट हुए अधिकारी को उसी जेल में तैनात किए जाने का कोर्ट का कोई निर्देश नहीं है। इस संदर्भ में अपर महानिरीक्षक कारागार प्रशासन रियाज अख्तर ने आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि तबादले कोर्ट के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत प्रदेश में कारागार विभाग के करीब एक दर्जन से अधिक अधिकारियों को रिवर्ट किया गया। इसमें एक डीआईजी, वरिष्ठ अधीक्षक, दो वरिष्ठ अधीक्षक को अधीक्षक और आधा दर्जन अधीक्षक एवं जेलरों को पदावनत कर जेलर व डिप्टी जेलर बना दिया गया। सोमवार देर शाम शासन ने रिवर्ट हुए दो वरिष्ठ अधीक्षक, एक अधीक्षक एवं आधा दर्जन जेलरों को नए स्थानों पर तैनाती दे दी गई। इसमें नैनी सेन्ट्रल जेल के वरिष्ठ अधीक्षक बने शैलेन्द्र मैत्रया को जौनपुर जिला जेल का नया अधीक्षक बनाया गया। इसी प्रकार सहारनपुर जेल में तैनात वरिष्ठ अधीक्षक से अधीक्षक बने रामधनी को आजमगढ़ जिला जेल का अधीक्षक एवं आजमगढ़ मे तैनात सेवा राम चौधरी को सहारनपुर और जौनपुर के उमेश सिंह को इटावा जिला जेल का अधीक्षक बनाया गया।

इसी क्रम में अधीक्षक से जेलर बने अशोक कुमार सागर को इटावा से पीलीभीत, रीबन सिंह को ललितपुर से ललितपुर, सुजीत कुमार को ललितपुर से सेन्ट्रल जेल फतेहगढ़, कैलाश चंद्र को कानपुर देहात से झांसी, अनिल कुमार सुधाकर को उरई से ज्ञानपुर एवं ज्ञानपुर के जेलर जगदम्बा दुबे को शाहजहांपुर का जेलर बनाया गया। सूत्रों का कहना है कि इन स्थानांतरणों में अधीक्षक उमेश चंद्र और जेलर जगदम्बा दुबे को समायोजित किया गया है। ये दोनो अधिकारी रिवर्ट हुए अधिकारियों की सूची मे शामिल नहीं हैं। जानकारों का कहना है कि अधीक्षक से रिवर्ट होकर जेलर बने करीब आधा दर्जन से अधिक अधिकारियों में शामिल ललितपुर जेल के पदावनत जेलर रीबन सिंह की तैनाती को लेकर शासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।

जानकारी के अनुसार रिवर्ट हुए अधिकारियों का उसी जेल में तैनाती का कोई निर्देश नहीं दिया गया है। इसके बावजूद कारागार मुख्यालय ने ललितपुर जेल अधीक्षक के पद से रिवर्ट होकर जेलर बने रीबन सिंह को उसी जेल में तैनाती दे दी गई।

उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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