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प्रादेशिक

दिल्ली : भाजपा के टिकट के दावेदार ले रहे सर्वेक्षण का सहारा

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नई दिल्ली| दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए टिकट पाने तथा अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार सर्वेक्षणों का सहारा ले रहे हैं।

दिसंबर 2013 में हुए विधानसभा चुनाव लड़ने वाले पार्टी के 67 उम्मीदवार अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाताओं का मन भांपने के लिए सर्वेक्षण करा रहे हैं।

पहचान जाहिर न करने की शर्त पर एक नेता ने  कहा कि वैसे उम्मीदवार जो बेहद कम मतों के अंतर से चुनाव जीते या हारे हैं, वे सर्वेक्षण के लिए निजी कंपनियों का सहारा ले रहे हैं, ताकि दोबारा हो रहे चुनाव में पार्टी से टिकट मिलने के बाद वह अपनी जीत सुनिश्चित कर सकें।

उम्मीदवारों द्वारा यह सर्वेक्षण उन रपटों के मद्देनजर कराया जा रहा है, जिसमें कहा गया है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व उन लोगों के टिकट काट सकता है, जो दिसंबर 2013 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाए थे या जिनकी उम्र काफी ज्यादा हो चुकी है। क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के युवाओं को राजनीति में आने का आह्वान कर रहे हैं।

एक सूत्र ने कहा, “अगर परिणाम सकारात्मक आते हैं, तब उम्मीदवार स्थानीय जनता के समर्थन का हवाला देते हुए टिकट के लिए दावा कर सकेगा।”

पिछले वर्ष दिसंबर में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा के 70 में से 31 उम्मीदवार जीत दर्ज करने में कामयाब रहे थे, जबकि उनमें से तीन बाद में मई में हुए आम चुनावों में लोकसभा के लिए चुन लिए गए थे। दिल्ली की कम से कम आधा दर्जन सीटों पर भाजपा तथा आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों की बेहद कम मतों के अंतर से हार या जीत हुई थी।

सूत्रों ने कहा, “पिछली बार चुनाव हारने वाले उम्मीदवारों ने हार का कारण आप की मजबूत लहर को बताया था, लेकिन उन्होंने महसूस किया है कि एक वर्ष के दौरान चीजें बदली हैं और जीत दर्ज करने का उनके पास एक मौका है।”

एक सूत्र ने कहा, “चुनाव हार चुके उम्मीदवार सकारात्मक परिणाम की आशा में निश्चित तौर पर सर्वेक्षणों का समर्थन कर रहे हैं। लेकिन अगर परिणाम प्रतिकूल होता है, तब वे किसी को इस बारे में बताएंगे नहीं और चुपचाप रहकर पार्टी नेतृत्व से टिकट मिलने का इंतजार करेंगे।”

भाजपा नेता तथा दक्षिण दिल्ली से सांसद रमेश विधूड़ी ने कहा कि सर्वेक्षण यह पता करने के लिए मददगार है कि वे कितने पानी में हैं और अगर कोई उम्मीदवार ऐसा करा रहा है, तो इसमें क्या बुराई है।

विधूड़ी ने कहा, “बिल्कुल परीक्षा की तैयारी की तरह ही सर्वेक्षण उम्मीदवार को यह जानने में मदद करता है कि निर्वाचन क्षेत्र में उसकी स्थिति कैसी है। इसलिए इसमें कुछ भी बुराई नहीं। आखिर मीडिया भी तो हर मतदान के बाद सर्वेक्षण कराती है।”

उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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