प्रादेशिक
कानून विशेषज्ञ पटाखों पर रोक के पक्ष में
नई दिल्ली | कानून के क्षेत्र की जानी मानी हस्तियों ने राजधानी में लगातार बढ़ते जा रहे वायु प्रदूषण पर चिंता जताई है। इस बीच, सर्वोच्च न्यायालय तीन ऐसे अभिभावकों की गुहार सुनने जा रहा है जिन्होंने अपने बच्चों की तरफ से दशहरा और दीपावली में पटाखों पर रोक लगाने की अर्जी अदालत में लगाई है।
तीन मासूमों, छह महीने के अर्जुन गोपाल और आरव भंडारी तथा 14 महीने की जोया राव भसीन ने अपने अभिभावकों के जरिए अदालत में दी गई अर्जी में कहा है कि उनके फेफड़े अभी पूरी तरह विकसित नहीं हुए हैं। दशहरा और दीपावाली में पटाखों का इस्तेमाल राजधानी की पहले से ही बदतर हवा में और जहर घोलेगा और यह उनके और उन जैसे हजारों दुधमुंहे बच्चों की सेहत के लिए घातक होगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा, “यह बहुत अच्छी अर्जी है। मेरी इच्छा है कि अदालत इसे स्वीकार कर ले। मैं यह नहीं कह रहा कि पूरे शहर में पटाखों पर रोक लगा दी जाए लेकिन इन्हें शहर के बीचोबीच में न चलने दिया जाए। क्यों नहीं कुछ सोसाइटी एक साथ किसी पार्क में इकट्ठा होकर कम घातक पटाखें जलाने का फैसला करतीं?”
संसद में दी गई जानकारी के मुताबिक राजधानी में रोजाना वायु प्रदूषण से 80 लोगों की मौत हो रही है। साल्वे ने कहा कि हम उत्सव के नाम पर मौत नहीं परोस सकते। मासूमों की अर्जी का समर्थन करते हुए वरिष्ठ वकील विजय पंजवानी ने बताया की यह सभी की जिम्मेदारी है कि खतरनाक स्तर को पार कर चुके वायु प्रदूषण को कम करने में अपनी भूमिका निभाएं।”
सर्वोच्च न्यायालय में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का प्रतिनिधित्व करने वाले पंजवानी ने कहा, “धुएं में जहरीली गैस और पार्टिकुलेट मैटर्स (पीएम) होते हैं। ये सेहत के लिए घातक होते हैं।” इस समस्या की मार सबसे ज्यादा बुजुर्गो और बच्चों पर पड़ती है। अन्य लोगों पर भी पड़ती है लेकिन युवा शरीर होने की वजह से इन्हें कुछ कम नुकसान होता है।
विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र के चंद्र भूषण ने कहा कि पटाखों पर रोक और सड़कों पर वाहनों की संख्या घटाना बहुत जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण कर लगाया जा सकता है क्योंकि एक सिद्धांत यह भी है कि जो प्रदूषण पैदा करे वह इससे निपटने की कीमत भी चुकाए।चिकित्सक भी इन बातों से सहमत हैं लेकिन वरिष्ठ वकील अमन लेखी का कहना है कि कुछ दिन के लिए पटाखों पर रोक लगाने का कोई अर्थ नहीं है। यह बात सिर्फ ‘पब्लिसिटी’ के लिए कही जा रही है। पटाखे चलाना त्योहार का अभिन्न हिस्सा हैं। इनसे पैदा हुआ बुरा असर एक-दो दिन में खुद ही खत्म हो जाता है
IANS News
वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।
‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।
‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।
‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।
सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।
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