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नेशनल

फसल बर्बाद होने पर 2 किसानों ने की खुदकुशी

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भुवनेश्वर। ओडिशा के बोलंगीर और संबलपुर जिलों में कथित तौर पर दो किसानों ने सूखे की संभावना, फसल नुकसान और कर्ज के बोझ के कारण खुदकुशी कर ली। राज्य के कृषि मंत्री प्रदीप महारथी ने शनिवार को जिला प्रशासन और कृषि अधिकारियों को दो जिलों में आत्महत्या के मामलों पर एक रपट सौंपने के लिए कहा है।

इन घटनाओं को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए महारथी ने कहा, “मैंने किसानों की मौत पर रपट देने के लिए जिला प्रशासन से कहा है। अगर जरूरी हुआ तो मैं व्यक्तिगत तौर पर जमीनी हकीकत का जानने के लिए क्षेत्रों का दौरा करूंगा।” संबलपुर जिले के झरझरी गांव में फसल की बर्बादी बर्दाश्त न कर पाने पर एक किसान ने कथित तौर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक की पहचान सनातन मिर्धा के रूप में की गई है। परिवार के सदस्यों का आरोप है कि मिर्धा ने धान की खेती के लिए कर्ज लिया था, लेकिन कम बारिश के कारण फसल बर्बाद हो गई और इसके कारण उन्हें यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

दूसरा मामला बोलंगीर जिले के पटनागढ़ प्रखंड की है, जहां शुक्रवार को किसान एक अन्य किसान भक्त धरुआ ने कथित तौर से खुदकुशी कर ली। मृतक की पत्नी गामी धरुआ ने बताया कि उसके पति ने वर्ष 2000 में एक बैंक से ऋण लिया था। गामी ने कहा, “वह निर्धारित समय में ऋण नहीं चुका पाए थे। जिसके बाद उन्हें बैंक से नोटिस मिला था। इसके अलावा खरीफ के मौसम में वर्षा की कमी के कारण चार एकड़ खेत में अधिकांश फसल बर्बाद हो गई।” पारिवारिक सूत्रों ने कहा, “फसल नुकसान और ऋण बोझ के बाद वह गंभीर मानसिक तनाव में थे।”

आध्यात्म

नवरात्रि के चौथे दिन होती है मां कुष्मांडा की आराधना, भक्तों के सभी कष्ट हरती हैं मां

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नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा को समर्पित है। इस दिन मां कूष्मांडा की उपासना की जाती है।  मां कूष्मांडा यानी कुम्हड़ा। कूष्मांडा एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है कुम्हड़ा, यानी कद्दू, पेठा। धार्मिक मान्यता है कि मां कूष्मांडा को कुम्हड़े की बलि बहुत प्रिय है। इसलिए मां दुर्गा के इस स्वरुप का नाम कूष्मांडा पड़ा।

मां को प्रिय है ये भोग

नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा को मालपुआ का प्रसाद अर्पित कर भोद लगाएं। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आएगी। साथ ही इस दिन कन्याओं को रंग-बिरंगे रिबन या वस्त्र भेट करने से धन में वृद्धि होगी।

यूं करें मां कूष्मांडा की पूजा

मां कूष्मांडा की पूजा सच्चे मन से करें। मन को अनहत चक्र में स्थापित करें और मां का आशीर्वाद लें। कलश में विराजमान देवी-देवता की पूजा करने के बाद मां कूष्मांडा की पूजा करें। इसके बाद हाथों में फूल लें और मां का ध्यान करते हुए इस मंत्र का जाप करें।

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च. दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु।

माता कूष्मांडा हरेंगी सारी समस्याएं

जीवन में चल रही परेशानियों और समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए मां कूष्मांडा के इस मंत्र का जाप 108 बार अवश्य करें। ऐसा करने से सभी समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा।

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्।
जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

मां कूष्मांडा की पूजा के बाद इस मंत्र का 21 बार जप करें

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्त पद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

शास्त्रों में उल्लेख है कि इस मंत्र के जप से सूर्य संबंधी लाभ तो मिलेगा ही,साथ ही, परिवार में खुशहाली आएगी। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और आय में बढ़ोतरी होगी।

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