हेल्थ
स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखें तो ‘104’ पर लें जानकारी
रायपुर । छत्तीसगढ़ सरकार ने स्वाइन फ्लू से बचाव और बीमारी पर नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को सभी सतर्कतामूलक कदम उठाने और सरकारी अस्पतालों में जरूरी दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। कहा गया है कि स्वाइन फ्लू के बारे में नि: शुल्क जानकारी आरोग्य परामर्श केंद्र के टोल फ्री नंबर 104 पर भी प्राप्त की जा सकती है।
स्वास्थ्य संचालनालय द्वारा इस संबंध में रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़ और राजनांदगांव मेडिकल कॉलेजों के संयुक्त संचालक-सह-अधीक्षकों, सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों और सभी सरकारी जिला अस्पतालों के सिविल सर्जन-सह-अस्पताल अधीक्षकों को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। संचालनालय के परिपत्र में अधिकारियों से कहा गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, इन्फ्लूएंजा एच1एन1 विभिन्न देशों में फैला हुआ है। भारत में 13 मई 2008 को इसका पहला मामला सामने आया था। वर्ष 2015 में देश के विभिन्न राज्यों से प्रकरण सामने आ रहे हैं। इसका मुख्य कारण एक राज्य से दूसरे राज्य या दूसरे शहरों में आवागमन के दौरान संक्रमण होना है। यह संक्रामक रोग है जो इससे प्रभावित मरीजों के संपर्क में रहने से बढ़ जाता है।
स्वास्थ्य विभाग ने अपने परिपत्र में स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए लोगों को भी विशेष रूप से सावधानी बरतने की अपील की है। लोगों से यह भी अपील की गई है कि वे बीमारी के लक्षण दिखने पर किसी भी स्थिति में न घबराएं, बल्कि इलाज के लिए तत्काल नजदीकी अस्पताल से संपर्क करें। तेज बुखार, ऊपरी श्वसन तंत्र में संक्रमण, खांसी, नाक बहना, गले में खराश, सिरदर्द, बदन दर्द, थकावट, दस्त और उल्टी जैसे लक्षण स्वाइन फ्लू के हो सकते हैं। ऐसे लक्षण होने पर 48 घंटे के भीतर जांच शुरू हो जानी चाहिए। स्वास्थ्य विभाग के आरोग्य परामर्श केंद्र के टोल फ्री नंबर 104 पर भी स्वाइन फ्लू के बारे में नि: शुल्क जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में अब तक स्वाइन फ्लू के 27 मामले आए हैं। इनमें 25 पुराने और दो नए मरीज शामिल हैं। ए श्रेणी के तीन, बी श्रेणी के 11 और सी श्रेणी के 13 मामले सामने आए हैं। लैब रिपोर्ट के अनुसार, तीन मरीज पॉजिटिव और एक निगेटिव पाया गया है। 16 मरीजों के लार के नमूने जांच के लिए लैब भेजे गए हैं।
स्वाइन फ्लू से 15 अक्टूबर को एक मौत हुई है। अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश के अस्पतालों रामकृष्ण केयर अस्पताल में 13, रायपुर के एमएमआई अस्पताल में दो, डॉ. भीमराव अम्बेडकर अस्पताल में एक, बालाजी सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल में एक, बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में सात, एकता अस्पताल में एक और सिम्स में एक मरीज भर्ती है।
इस बीमारी से लड़ने के लिए सबसे जरूरी है कि डरना नहीं चाहिए, बल्कि इलाज कराना चाहिए। निर्देश दिया गया है कि प्रत्येक जिले के सरकारी अस्पतालों सहित निजी अस्पतालों में भी स्वाइन फ्लू के इलाज के लिए मरीजों की स्क्रीनिंग तथा भर्ती के लिए अलग कक्ष स्थापित किया जाए। स्वास्थ्य विभाग के परिपत्र में कहा गया है कि संभावित मरीजों को घर से अस्पताल पहुंचाने के दौरान ‘ट्रिपल लेयर मास्क’ का उपयोग किया जाए। नाक और मुंह को छींक आने पर ढका होना चाहिए। एम्बुलेंस ड्राइवर तथा मरीज को अलग रखा जाए। ड्राइवर तथा उसके सहयोगी द्वारा भी एन 95 मास्क या ट्रिपल लेयर सर्जिकल मास्क का उपयोग किया जाए।
परिपत्र में कहा गया है कि एम्बुलेंस को सोडियम हाइपोक्लोराइड या क्वार्टरनरी अमोनियम कम्पाउंड द्वारा इस्टरलाइज्ड किया जाए। अस्पतालों के ओपीडी में संभावित या संदेहास्पद मरीजों का पंजीयन अलग से किया जाए और उन्हें सीधे निर्धारित ओपीडी में भेजा जाए।आम नागरिकों से अपील की गई है कि वे भीड़ वाली सार्वजनिक जगहों पर जाने से बचें। संक्रमित व्यक्ति से कम से कम एक मीटर की दूरी बनाकर रखें। संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के पहले अपने मुंह और नाक को ढककर रखें। हाथों को नियमित रूप से साबुन से धोएं। बच्चों को इन दिनों सर्दी-खासी होने से बचाया जाए।
लाइफ स्टाइल
साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।
हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?
जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?
हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।
शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?
हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।
क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।
गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।
ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।
इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।
डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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