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खेल-कूद

अंत तक अपनी पूरी क्षमता से खेलता रहा : कोहली

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मुंबई। भारतीय टेस्ट टीम के कप्तान विराट कोहली चेन्नई में हुए पिछले एकदिवसीय में 13 पारियों के बाद शतक लगा सके, हालांकि कोहली का कहना है कि शतक लगाने के बाद भी आगे खेलते रहने के लिए उन्होंने अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल किया ताकि टीम 30-40 रन अधिक स्कोर कर सके। भारत ने चेन्नई एकदिवसीय में पहले बल्लेबाजी करते हुए कोहली के शतक की बदौलत दक्षिण अफ्रीका के सामने 300 रनों का लक्ष्य रखा था।

दक्षिण अफ्रीका चेपक की धीमी स्पिन के अनुकूल पिच पर लक्ष्य हासिल नहीं कर पाई और नौ विकेट पर 264 रन ही बना सकी। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की आधिकारिक वेबसाइट पर कोहली के हवाले से कहा गया है, “जब आप बेहतरीन शतक लगाते हैं तो उसका अहसास वास्तव में बहुत अच्छा होता है, खासकर जब आप श्रृंखला में पीछे चल रहे हों। आप शतक बनाएं और टीम को जीत मिले तो आपके लिए निश्चित तौर पर वह शानदार दिन होता है।”

कोहली ने कहा, “तीसरे क्रम पर दोबारा बल्लेबाजी करते हुए ऐसा ही करने की जरूरत थी। मुझे पता था कि चेन्नई की पिच पर 260-270 रन बन सकते हैं, लेकिन शतक लगाने के बाद भी मैंने खुद को अपनी पूरी क्षमता तक खेलने के लिए प्रेरित किया। इस दौरान मेरे पैर की मांसपेशी में खिंचाव भी आया, लेकिन मैंने खुद से कहा कि यदि में 30-35 रन और बना सकूं तो संभव है कि टीम का स्कोर 300 तक पहुंच जाए।”

चेन्नई एकदिवसीय में लगाए गए शतक से पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली को पछाड़ने वाले कोहली ने कहा, “एकदिवसीय क्रिकेट में यह मेरी कुछ बेहद चुनौतीपूर्ण पारियों में से एक रही, खासकर दक्षिण अफ्रीका के उम्दा गेंदबाजी आक्रमण के खिलाफ। दक्षिण अफ्रीका ने अब तक पूरी श्रृंखला में शानदार गेंदबाजी की है।” अजिंक्य रहाणे और सुरेश रैना के साथ एक के बाद एक शतकीय साझेदारियां निभाने पर कोहली ने कहा, “लगातार एक-एक रन लेकर छोर बदलते रहने और सही समय पर चौके लगाते रहने के मामले में रहाणे बेहतरीन हैं। वहीं सुरेश जब आक्रामक होते हैं तो वह भी बेहतरीन लगते हैं। साझेदारियों के दौरान उनसे बीच-बीच में बात करते रहने से काफी मदद मिली।”

खेल-कूद

IND VS AUS: पर्थ में टूटा ऑस्ट्रेलिया का घमंड, भारत ने 295 रनों से दी मात

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पर्थ। भारतीय क्रिकेट टीम ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले टेस्ट मैच में मेजबान ऑस्ट्रेलिया को धूल चटाते हुए नया कीर्तिमान रच दिया है। टीम इंडिया ने पर्थ में 16 साल बाद पहला टेस्ट मैच जीता है। इससे पहले भारत ने साल 2008 में कुंबले की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया को हराया था। हालांकि यह मैच पर्थ के ऑप्टस स्टेडियम में खेला गया। पहली पारी में 150 रन बनाने वाली टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को पहली पारी में सिर्फ 104 रनों पर ढेर कर दिया था। इसके बाद टीम इंडिया ने अपनी दूसरी पारी 487/6 रन के स्कोर पर घोषित करते हुए ऑस्ट्रेलिया के सामने 534 रनों का विशाल लक्ष्य रखा।

इस पहाड़ जैसे लक्ष्य का पीछा करते हुए ऑस्ट्रेलिया की टीम दूसरी पारी में सिर्फ 238 रनों के स्कोर पर ढेर हो गई। इस तरह टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में 295 रनों से हराकर बड़ा इतिहास रच दिया। ध्यान देने वाली बात यह है कि टीम इंडिया में न तो रोहित शर्मा थे, न ही शुभमन गिल, न ही रवींद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन और न ही मोहम्मद शमी थे। इसके बावजूद टीम इंडिया ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की।

पर्थ टेस्ट की दूसरी पारी में यशस्वी जायसवाल ने 161 रन और विराट कोहली ने नाबाद शतकीय पारी खेली। दूसरी पारी में केेल राहुल ने भी 77 रनों की अहम पारी खेली। पहली पारी में टीम इंडिया 150 रनों पर सिमट गई थी पर भारतीय गेंदबाजों ने कमाल का कमबैक करते हुए पूरी ऑस्ट्रेलिया टीम को घुटनों पर ला दिया। ऑस्ट्रेलिया पहली पारी में 104 रन ही बना पाई। दूसरी पारी में टीम इंडिया ने कमाल का कमबैक करते हुए ऑस्ट्रेलिया के सामने 6 विकेट के नुकसान पर 487 रन बनाकर पारी घोषित कर दी। जिससे ऑस्ट्रेलिया को 534 रनो का टारगेट मिला। लेकिन चौथे दिन भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 295 रनों से हरा दिया।

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