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अंतिम चरण की बढ़त तय करेगी सत्ता किसकी
पूर्णिया (बिहार)। बिहार विधानसभा चुनाव के पांचवें व अंतिम चरण में राज्य के नौ जिलों के 57 विधानसभा सीटों के लिए गुरुवार को वोट डाले जाएंगे। इस चरण में न केवल अन्य चरणों की तुलना में सबसे अधिक सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे, बल्कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को पिछले चुनाव के परिणाम को दोहराना भी चुनौती है। माना जा रहा है कि इस चरण में जिस गठबंधन को बढ़त मिलेगी, राज्य में अगली सरकार बनाने में उसकी राह आसान होगी।
इस चरण में सत्ताधारी महागठबंधन की ओर से जनता दल (युनाइटेड) ने 25, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने 20 और कांग्रेस ने 12 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं, जबकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 38, लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने 11, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने पांच और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) ने तीन प्रत्याशी चुनावी समर में उतारे हैं।
राजनीति के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार गिरीन्द्र नाथ झा कहते हैं कि इस चुनाव में वोटों का बिखराव तय है। उदाहरण देते हुए वह कहते हैं, मल्लाह जाति का मतदाता अगर मिथिलांचल में महागठबंधन की ओर है तो सीमांचल में मल्लाह मतदाता राजग की ओर दिख रहा है। उनका मानना है कि मुस्लिम और यादव मतदाताओं में भी राजग सेंध लगाने की कोशिश में है।
झा के अनुसार, “मधेपुरा के सांसद पप्पू यादव और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) कुछ क्षेत्रों में दोनों गठबंधनों को प्रभावित करते नजर आ रहा हैं, मगर ऐसा नहीं कि कोई भी पार्टी किसी खास जाति के मतदाता पर अपना दावा कर सके।” झा का मानना है कि मुख्य मुकाबला दोनों गठबंधनों में ही है, लेकिन मधेपुरा समेत यादव बहुल क्षेत्रों में जन अधिकार पार्टी तो कटिहार में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) मुकाबले को त्रिकोणात्मक या बहुकोणीय बना रहा है।
पिछले विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र से सबसे अधिक 23 सीटें भाजपा के खाते में गई थी, जबकि उस चुनाव में भाजपा के सहयोगी जद (यू) ने 20 सीट पर विजय पताका फहराया था। इसके अलावा राजद को आठ, कांग्रेस को तीन, लोजपा को दो और एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी। बाद में हालांकि लोजपा के दोनों विधायक जद (यू) में शामिल हो गए थे।
राजनीति के जानकार रामेश्वर प्रसाद की राय अलग है। उनका दावा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इन क्षेत्रों में रैली के दौरान संबोधन काफी संयमित रहा है, जिसका प्रभाव मतदाताओं पर अवश्य दिख रहा है, मगर पिछले चुनाव में इसी क्षेत्र से राजद को सबसे अधिक सीटें मिली थीं। ऐसे में यह तय है कि राजद इस चुनाव में भी इस इलाके में बढ़त बना ले।
प्रसाद कहते हैं, “महागठबंधन के लिहाज से अंतिम चरण का चुनाव पहले से कहीं ज्यादा मुफीद माना जा रहा है, लेकिन सहरसा, सुपौल और मधेपुरा में जन अधिकार पार्टी उसके लिए चुनौती खड़ी कर रही है।” वे कहते हैं कि अंतिम चरण का परिणाम ही किसी राजनीतिक दल या गठबंधन को बिहार की सत्ता तक ले जाएगा।
इस चरण के 57 सीटों में से सांसद पप्पू यादव की पार्टी जन अधिकार पार्टी 46 सीटों पर प्रत्याशी उतारा है, जबकि एआईएमआईएम छह सीटों पर पहली बार बिहार के चुनावी समर में भाग्य आजमा रही है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने 12 क्षेत्रों में अपने प्रत्याशी उतारे हैं।
पांचवें चरण के चुनाव में जिन नौ जिलों के 57 विधानसभा क्षेत्रों के लिए चुनाव होने जा रहा है, उनमें चार जिलों में महागठबंधन तथा दो जिलों में राजग का दबदबा माना जा रहा है। इस चरण में मधुबनी, सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, मधेपुरा, सहरसा व दरभंगा जिलों के विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होना है।
किशनगंज के सामाजिक कार्यकर्ता अब्दुल महताब कहते हैं कि बाहरी मुस्लिम तो चुनाव जीत कर चले जाएंगे, इसके बाद उन्हें कोई कहां खोजेगा? किशनगंज के लोग स्थानीय उम्मीदवार को ही वोट देंगे। उनका कहना है कि विकास के नाम पर ही मतदाता अपना जनप्रतिनिधि चुनेंगे। उल्लेखनीय है कि इस चरण के मतदान के लिए जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई केंद्रीय मंत्री मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए चुनावी सभा कर चुके हैं। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी प्रचार के अंतिम दिन मंगलवार को चुनावी रैली की।
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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत
पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।
AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.
शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव
अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।
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