प्रादेशिक
विमान बनाने वाला अपने लिए मांग रहा है नौकरी!
तिरुवनंतपुरम| केरल के रहने वाले शाजी थामस (45) सुन और बोल नहीं सकते। लेकिन, कुदरत ने उन्हें एक अलग तरह की प्रतिभा दी है जिसके बल पर उन्होंने पांच साल की मशक्कत के बाद अकेले, अपने दम पर एक छोटा विमान बना डाला। लेकिन, अब शाजी अपने लिए पूर्णकालिक रोजगार की गुहार लगा रहे हैं उनकी पत्नी मारिया कहती हैं कि शादी हुए 15 साल हो गए हैं। पहले दिन से उन्होंने यही देखा कि उनके पति छोटी मोटर और मशीनों में ही लगे रहते हैं। वह समझ नहीं पाती थीं कि आखिर वह कर क्या रहे हैं।
मारिया ने कहा, “शुरू में मैंने पूरी कोशिश की थी कि वह इलेक्ट्रिशियन का काम शुरू कर दें। लेकिन, जल्द ही मुझे समझ में आ गया कि मेरी कोशिशें बेकार हैं। इसके बाद मैंने इनके हर प्रयास का साथ देना शुरू कर दिया। आज पूरा गांव (इडुकी जिले में थोडापुजा के पास) उनके साथ खड़ा है। उन्होंने दो सीट वाला अल्ट्रालाइट विमान बनाने में सफलता हासिल कर ली है। डिस्कवरी चैनल ने इस पर फिल्म भी बनाई है।”
शाजी ने सिर्फ कक्षा 7 तक पढ़ाई की है। उनका दिल-दिमाग हमेशा इलेक्ट्रानिक समानों की मरम्मत में ही लगा रहता था।
मारिया ने बताया, “पहली चीज जो इन्होंने बनाई वह एक हेलीकाप्टर का फ्रेम था। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से इन्होंने इंजन खरीदने के लिए पैसा मांगा। राजीव गांधी की हत्या हो गई। इसलिए बात आगे नहीं बढ़ी। इसके बाद इन्होंने अपना ध्यान विमान बनाने पर लगा दिया। पांच साल की मेहनत के बाद एक दोपहिया के इंजन की मदद से छोटा विमान बना डाला। इसे पास के ही एक कालेज को दे दिया गया है। वहां बच्चे इसके जरिए शिक्षा ले रहे हैं।”
शाजी और मारिया का 13 साल का बेटा, जोशुआ है। वही अपने पिता का मुख्य सहायक टेक्नीशियन बनता है।
मारिया ने कहा, “इस विमान को बनाने में 13 लाख रुपये लग गए। यहां तक कि हमें जमीन का एक हिस्सा बेचना पड़ा। कुल मिलाकर शाजी को अपने इस महंगे शौक पर 25 लाख खर्च करने पड़े। अब हम बस यही चाहते हैं कि शाजी को अधिकारी कोई स्थाई काम दिला दें। शाजी मुझसे कहते हैं कि काश कि उन्हें एक स्थाई काम मिल जाए जिससे परिवार के लिए नियमित आय हो सके। उन्होंने अपने को साबित किया है। हमें उम्मीद है कि अधिकारी हमें देख और सुन रहे होंगे।”
IANS News
वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।
‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।
‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।
‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।
सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।
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