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हेल्थ

सर्जरी के क्षेत्र में बना रिकॉर्ड, पेट से निकाला 22 किलो का ट्यूमर

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बैतूल़। मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के चिकित्सकों ने एक महिला के पेट से 22 किलो का ट्यूमर निकालकर शल्यक्रिया के क्षेत्र में नया कीर्तिमान बनाने का दावा किया है। अब तक छह किलो का टयूमर निकालने का ही रिकार्ड दर्ज होने की बात कही जा रही है। जिस आदिवासी युवती के पेट से यह ट्यूमर निकाला गया है, वह स्वस्थ है।

जामठी निवासी आदिवासी युवती सरस्वती उईके ‘ओवेरियन सिस्ट’ की बीमारी से जूझ रही थी। उसके पेट में कई वर्षों से असहनीय दर्द हुआ करता था। अशोक उइके ने बताया है कि उनकी भतीजी सरस्वती कई सालों से परेशान थी, एक मर्तबा उसके पेट से पानी भी निकलवाया गया था, लेकिन हालत नहीं सुधरी। वह दिनों दिन कमजोर हो रही थी, इसके बाद ऑपरेशन कराया है।

एक निजी चिकित्सालय से नाता रखने वाले चिकित्सक डॉ. शैलेंद्र पेंद्राम ने बताया कि सरस्वती उइके को पेट में ट्यूमर (पानी से भरी थैली) और गांठ दोनों थी। इस बीमारी से वह करीब पांच-छह वर्ष से जूझ रही थी। उसके पेट का आकार लगातार बढ़ता जा रहा था। असहनीय दर्द होने पर परिजनों ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया था। यहां हुई जांच में पता चला कि पेट में एक गांठ और एक 20 से 22 किलो की पानी की थैली (ट्यूमर) भी है। इस पर ऑपरेशन का फैसला लिया गया। गांठ और ट्यूमर को ऑपरेशन कर निकाल दिया गया है। इस आपरेशन में सरस्वती की बच्चादानी भी निकालनी पड़ी।

डॉ. पेंद्राम ने बताया कि पानी की थैली और गांठ से शरीर के दूसरे अंगों पर दबाव बढ़ रहा था। इससे मरीज को भूख तो लगती थी, लेकिन थोड़ा सा खाने पर ही ऐसा लगता था जैसे पेट भर गया हो। यही वजह है कि वह अत्यधिक कमजोर हो गई थी। डॉ. पेंद्राम ने देश में अब तक का सबसे बड़ा ट्यूमर निकालने का दावा करते हुए बताया कि उन्होंने इंटरनेट पर सर्च किया, जिसमें अभी तक देशभर में मात्र छह किलो का ट्यूमर निकलने का रिकार्ड सामने आया है।

उन्होंने कहा कि छह किलो का ट्यूमर निकालने का रिकार्ड यूट्यूब पर डन एट मर्सी हॉस्पीटल, वलाकम के डॉ. एन.एन. मुरली के नाम है। यह अस्पताल दक्षिण भारत का है। इसके अलावा उन्हें इससे अधिक वजन का ट्यूमर निकलने का कोई भी रिकार्ड नहीं मिला, इससे यह कहा जा सकता है कि यह देश का पहला ऐसा आपरेशन है, जिसमें 22 किलो का ट्यूमर निकाला गया है। ऑपरेशन के बाद सरस्वती अभी अस्पताल में भर्ती है और वह स्वस्थ है। उसे भरोसा है कि इस ऑपरेशन के बाद उसे असहनीय दर्द और बढ़ती कमजोरी से मुक्ति मिल जाएगी।

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दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी

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नई दिल्ली। दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी का क्रम लगातार जारी है. अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में अकेले डेंगू के मरीजों में भारी संख्या में इजाफे की सूचना है. दिल्ली नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक साल 2024 में डेंगू के अब तक 4533 मरीज सामने आए हैं. इनमें 472 मरीज नवंबर माह के भी शामिल हैं.

एमसीडी की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में इस साल अब तक मलेरिया के 728 और चिकनगुनिया के 172 केस दर्ज हुए हैं.

डेंगू एक गंभीर वायरल संक्रमण है, जो एडीज़ मच्छर के काटने से फैलता है। इसके होने से मरीज को शरीर में कमजोरी लगने लगती है और प्लेटलेट्स डाउन होने लगते हैं। एक आम इंसान के शरीर में 3 से 4 लाख प्लेटलेट्स होते हैं। डेंगू से ये प्लेटलेट्स गिरते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि 10 हजार प्लेटलेट्स बचने पर मरीज बेचैन होने लगता है। ऐसे में लगातार मॉनीटरिंग जरूरी है।

डॉक्टरों के अनुसार, डेंगू के मरीज को विटामिन सी से भरपूर फल खिलाना सबसे लाभकारी माना जाता है। इस दौरान कीवी, नाशपाती और अन्य विटामिन सी से भरपूर फ्रूट्स खिलाने चाहिए। इसके अलावा मरीज को ज्यादा से ज्यादा लिक्विड डाइट देना चाहिए। इस दौरान मरीज को नारियल पानी भी पिलाना चाहिए। मरीज को ताजा घर का बना सूप और जूस दे सकते हैं।

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