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प्रादेशिक

दिल्ली : विधायकों की वेतन-वृद्धि को माकन ने अवैध बताया

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नई दिल्ली। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने दिल्ली के विधायकों का वेतन बढ़ाए जाने की आलोचना की। शुक्रवार को आम आदमी पार्टी (आप) सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति की मंजूरी लिए बिना मात्र एक धन विधेयक पारित कर विधायकों का वेतन 400 फीसदी बढ़ाना अवैध है।

माकन ने यहां संवाददाताओं से कहा, “आप सरकार ने दिल्ली के विधायकों का वेतन 400 फीसदी तक बढ़ा दिया है। उन्हें अब यात्रा भत्ता सहित प्रतिमाह 2.60 लाख रुपये वेतन मिलेगा। यही नहीं, प्रतिवर्ष 10 फीसदी की बढ़ोतरी भी होगी। इसका मतलब कि पांच साल के अंत तक प्रति विधायक सालाना पचास लाख रुपये।”

दिल्ली विधानसभा में कुल 70 विधायक हैं। आप के 57 और 3 भाजपा के। लगातार 15 साल राज करने वाली कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है। कांग्रेस नेता ने कहा, “यदि आप का कोई विधायक प्रतिवर्ष सालाना आधा करोड़ रुपये वेतन लेगा तो उसे धिक्कार है। इस पार्टी को अब अपना नाम वीवीआईपी पार्टी रख लेना चाहिए, क्योंकि मुझे नहीं लगता कि एक वीवीआईपी को भी इतना वेतन मिलता होगा।”

माकन ने कहा, “चूंकि यह धन विधेयक है और विधायकों के वेतन में 400 फीसदी की बढ़ोतरी होने जा रही है, इसलिए इसे राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद ही पारित किया जाना चाहिए था। आप सरकार गैर कानूनी कार्यो के लिए प्रतिबद्ध है।” तीन सदस्यीय कमेटी ने दिल्ली के विधायकों के वेतन में भारी बढ़ोतरी की सिफारिश की थी। इस विधेयक को अंतिम मंजूरी के लिए अब केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा।

आप नेता आशुतोष ने विधायकों का वेतन बढ़ाए जाने को तर्कसंगत और जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि कम वेतन और लूट-खसोट। अब तक यही होता रहा है। महंगाई काफी बढ़ गई है, इसलिए वेतन-वृद्धि जरूरी थी। ईमानदारी से काम करने वालों का वेतन ज्यादा होना ही चाहिए। कांग्रेस और भाजपा को लूट-खसोट की आदत पड़ी हुई है। उनके मौजूदा और पूर्व विधायकों की संपत्ति की जांच होनी चाहिए, ताकि पता लग सके कि मामूली वेतन पाकर वे धन-कुबेर कैसे बन गए।

उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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