प्रादेशिक
बुंदेलखंड की गायों की जान खतरे में!
संदीप पौराणिक
झांसी| बुंदेलखंड सूखे से जूझ रहा है, खेतों में फसल नहीं है, इंसान के लिए दाना और जानवरों के लिए चारा मुसीबत बन गया है, सबसे बुराहाल गाय का है। इंसान तो पलायन कर रोटी का जुगाड़ कर ले रहा है, मगर खुले में छोड़ी जा रही गाय के कत्लगाह (स्लाटर हाउस) तक पहुंचकर ‘बीफ के कारोबार’ का हिस्सा बनने का खतरा बढ़ गया है।
बुंदेलखंड दो राज्यों- उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में फैला हुआ है। इसमें कुल 13 जिले आते हैं। मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के सागर जिले से उत्तर प्रदेश के बांदा तक जाएं तो एक नजारा जरुर आपको देखने मिल जाएगा और वह है, गांव के बाहर जानवरों का जमावड़ा।
इस साल से पहले तक इस इलाके में चारे और पानी की कमी पर बैल, बछड़ा और पड़ा (भैंस का बच्चा) को खुले में छोड़ दिया जाता था, मगर इस बार गायों को भी किसान छोड़ने को मजबूर हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता भगवान सिंह का कहना है कि किसानों द्वारा छोड़ी जा रही गायों को कत्लगाह तक ले जाने का सिलसिला चल पड़ा है। आलम यह है कि किसानों द्वारा छोड़ी गई गायों को स्थानीय व्यक्ति की मदद से निर्जन स्थान तक ले जाया जाता है, जहां से इस कारोबार में लगे लोग ट्रक आदि में भरकर गायों को ले जाते हैं।
सिंह ने आगे बताया कि किसान के लिए गाय को चारा उपलब्ध करा पाना संभव नहीं हो पा रहा है, पानी का अभाव है, जलस्रोत सूख चले हैं, इस स्थिति में अन्य जानवरों के साथ गायों को भी जंगल में छोड़ दिया है। गायों की किसी को परवाह नहीं है, इसी बात का मवेशी तस्कर लाभ उठा रहे हैं।
बुंदेलखंड की स्थिति पर गौर करें तो एक बात साफ हो जाती है कि सरकारी नौकरियों के अलावा यहां रोजगार का जरिए खेती और पशुपालन है। इस पर 80 प्रतिशत से ज्यादा की आबादी निर्भर करती है।
इस क्षेत्र में गोवंश 30 लाख से भी ज्यादा है। एक तरफ खेती को सूखा ने चौपट कर दिया है, तो वहीं पशुपालन पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। जानकारों की मानें तो आने वाले वर्षो में इस इलाके में बारिश का यही हाल रहा तो अकाल पड़ना तय है, जिससे यह इलाका मवेशी की संख्या के मामले में भी चर्चा का केंद्र बन सकता है।
बुंदेलखंड का दौरा करने के बाद स्वराज अभियान के राष्ट्रीय संयोजक योगेंद्र यादव ने भी यह माना था कि ‘गाय’ को लेकर राजनीति तो खूब होती है, मगर बुंदेलखंड में गाय ही संकट में है। उसकी किसी को परवाह नहीं है।
वैसे तो यहां हर जानवर अकाल से जूझ रहा है, बैल और बछड़े को तो पहले भी जंगल में छोड़ दिया जाता था, मगर इस बार तो गायों का भी छोड़ दिया गया है। किसी भी गांव में प्रवेश करें तो सड़कों पर हजारों गाय आपको नजर आ जाएंगी।
गौ-संरक्षण के लिए वर्षो से बुंदेलखंड में काम कर रहे श्याम बिहारी गुप्ता का कहना है कि गायों को बचाना जरूरी है, इस इलाके से गायों की तस्करी हो रही है जो चिंताजनक है। उनका मानना है कि समाज के हर वर्ग को सुख समृद्धि के लिए गायों के संरक्षण और उनके महत्व से अवगत कराना जरूरी है, क्योंकि गाय का सिर्फ दूध ही नहीं, उसका मूत्र और गोबर भी उपयोगी है, जो दूध से भी कीमती है।
लिहाजा, जन सामान्य गाय के ज्ञान विज्ञान से अवगत कराया जाए तो लोग गाय को छोड़ना बंद कर देंगे। साथ ही सरकारों को भी गाय के प्रति नजरिया बदलना होगा।
वरिष्ठ पत्रकार अनिल शर्मा ने आईएएनएस से चर्चा के दौरान बुंदेलखंड मंे गायों की स्थिति पर चिंता जताई है। उनका मानना है कि इस क्षेत्र में चारा, पानी का संकट है, मवेशियों के लिए अकाल जैसे हालात हैं।
बड़े हिस्से में गांव के लोगों के पास खुद खाने के लिए नहीं है, ऐसे में मवेशियों का पेट कैसे भर सकते हैं, लिहाजा वे गायों को खुले में छोड़ रहे हैं। इस आशंका को नकारा नहीं जा सकता कि गाय की तस्करी बढ़ जाएगी। ऐसे में समाज और सरकार से जुड़े लोगों की जिम्मेदारी हो जाती है कि वह गाय पालकों की मदद के लिए आगे आएं।
IANS News
महाकुंभ मेला क्षेत्र के सभी सेक्टरों में नियुक्त किए गए सेक्टर मजिस्ट्रेट
प्रयागराज। महाकुंभ 2025 को लेकर प्रयागराज में तेजी से निर्माण कार्य चल रहा है। सीएम योगी के दिव्य भव्य महाकुंभ की योजना के मुताबिक महाकुंभ नगरी ने संगम तट पर आकार लेना शुरू कर दिया है। महाकुंभ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं, कल्पवासियों और साधु-संन्यासियों के रहने और स्नान के लिए घाटों, अस्थाई सड़कों व टेंट सिटी का निर्माण शुरू हो गया है। प्रयागराज मेला प्रधिकरण ने योजना के मुताबिक पूरे मेला क्षेत्र को 25 सेक्टरों में बांटा हैं। सेक्टर और कार्य के मुताबिक सेक्टर मजिस्ट्रेटों की नियुक्ति कर दी गई है। सभी सेक्टर मजिस्ट्रेट अपने – अपने सेक्टर में भूमि अधिग्रहण से लेकर प्रशासन व्यवस्था के लिए जिम्मेदार रहेंगे। महाकुंभ के दौरान सेक्टर मजिस्ट्रेट आम जनता और प्रशासन के बीच कड़ी का कार्य करेंगे।
विभागीय समन्वय का करेंगे कार्य
महाकुंभ 2025 में लगभग 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने और लगभग 1 लाख से अधिक लोगों के कल्पवास करने की संभावना है। इसके साथ ही हजारों की संख्या में साधु-संन्यासियों और मेला प्रशासन के लोग महाकुंभ के दौरान मेला क्षेत्र में रहेंगे। इन सबके रहने के लिए टेंट सिटी व स्नान के लिए घाटों और मार्गों का निर्माण कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है। पूर्व योजना के मुताबिक प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने पूरे महाकुंभ क्षेत्र को 25 सेक्टरों में बांटा है। 4000 हेक्टेयर और 25 सेक्टरों में बंटा महाकुंभ मेला क्षेत्र इससे पहले के किसी भी महाकुंभ मेले से सबसे बड़ा क्षेत्र है। मेला प्राधिकरण ने प्रत्येक सेक्टर में भूमि अधिग्रहण से लेकर प्रशासन व्यवस्था और विभागीय समन्वय के लिए उप जिलाधिकारियों को सेक्टर मजिस्ट्रेट के तौर पर नियुक्ति किया है। ये सेक्टर मजिस्ट्रेट पूरे महाकुंभ के दौरान अपने-अपने सेक्टर, कार्य विभाग और विभागीय समन्वयन का कार्य करेंगे।
अधिकांश ने ग्रहण किया कार्यभार
प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने सेक्टर वाईज सेक्टर मजिस्ट्रेट की लिस्ट जारी कर दी है। इस सबंध में एसडीएम मेला अभिनव पाठक ने बताया कि अधिकांश सेक्टर मजिस्ट्रेटों ने कार्यभार ग्रहण कर लिया है। शेष अपनी विभागीय जिम्मेदारियों से मुक्त होकर जल्द ही मेला क्षेत्र में अपना कार्यभार ग्रहण कर लेंगे। जो कि महाकुंभ के दौरान अपने-अपने सेक्टर की प्रशासन व्यवस्था व विभागीय समन्वयन का कार्य करेंगे। प्रत्येक सेक्टर में भूमि आवंटन की प्रगति और लोगों की समस्याओं के त्वरित निस्तारण में ये सेक्टर मजिस्ट्रेट मददगार होंगे।
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