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हेल्थ

दिल्ली में दमा, राइनाइटिस के मामले बढ़े

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नई दिल्ली| राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में एलर्जी से होनेवाली बीमारी अस्थमा और राइनाइटिस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। एक सर्वे के मुताबिक, दिल्ली की कुल वयस्क आबादी में अस्थमा और राइनाइटिस की मौजूदा उपस्थिति क्रमश: 11.03 प्रतिशत और 11.69 प्रतिशत है। विशेषज्ञों का कहना है दिल्ली में इन एलर्जिक बीमारियों में हो रही भयावह बढ़ोतरी को त्वरित व नियमित इलाज से ही रोका जा सकता है। पिछले दो दशकों से इन एलर्जिक बीमारियों में बेतहाशा वृद्धि हुई है और खासतौर से वयस्क आबादी इसकी चपेट में आई है।

इंडियन कॉलेज ऑफ एलर्जी अस्थमा एंड इम्युनोलॉजी (आइसीएएआइ) के आधिकारिक प्रकाशन इंडियन जे एलर्जी अस्थमा इम्युनॉल के अध्ययन के अनुसार सामने आया है कि ब्रोंकियल अस्थमा और एलर्जिक राइनाइटिस (एआर) का प्रमुख कारण एटोपी का सकारात्मक पारिवारिक इतिहास, रहने के प्रकार, धूम्रपान की आदतें हैं।

पोस्टग्रैजुएट मेडिसिन के जर्नल में अध्ययन के अनुसार, अत्यधिक भीड़, क्रॉस-वेंटिलेशन का अभाव, धूल/धुएं, तंबाकू खाना, धूम्रपान करना, एलर्जिक रोगों का पारिवारिक इतिहास और क्लिनिकल एलर्जी राइनाइटिस के प्रमुख कारणों में से एक है।

दिल्ली में 11 प्रतिशत से अधिक आबादी में एलर्जिक राइनाइटिस की शिकायत मिलती है। शहर में एलर्जिक रोगों की व्यापकता पिछले दो दशकों में बढ़ी है। इस अवधि में हर दो में एक व्यक्ति में पर्यावरण संबंधित किसी-न-किसी आम कारण से एलर्जी पाई गई है।

गौरतलब है कि भारतीय उपमहाद्वीप में सभी प्रकार की एलर्जी में एआर का अनुपात 55 प्रतिशत है जिससे 10 करोड़ लोग प्रभावित हैं। 45 प्रतिशत मामलों में इसके सबसे आम कारण धूल के कण होते हैं। एलर्जिक राइनाइटिस से ग्रसित लोगों के लिए वसंत सबसे मुश्किल मौसम होता है जब उनकी समस्या और अधिक बढ़ जाती है।

एलर्जी से त्वचा, आंख और नाक जैसे शरीर के विभिन्न अंग प्रभावित हो सकते हैं। नाक पर असर होने से बार-बार छींक नाक में खुजली, नाक बहना, बंद होना और आंख से पानी निकलने जैसे लक्षण उभरते हैं। ये सारे एलर्जिक राइनाइटिस के लक्षण हैं जो अलग-अलग व्यक्ति में अलग-अलग रूप में परिलक्षित होते हैं।

हालांकि ‘राइनाइटिस’ का अभिप्राय केवल नाक संबंधी लक्षणों से है, लेकिन फिर भी अनेक रोगियों में आंख, गले और कान की समस्या भी हो सकती है। इसके अलावा नींद बाधित हो सकती है, इसलिए लक्षणों के संपूर्ण स्वरूप पर विचार करना जरूरी है।

दिल्ली के शालीमार बाग स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में पल्मोनोलॉजी के निदेशक डॉ. (ब्रिगेडियर) अशोक राजपूत के अनुसार, एलर्जिक राइनाइटिस (एआर) सांस संबंधी एक गंभीर उत्तेजक रोग है और दुनिया भर में एक तिहाई आबादी इससे पीड़ित है। भारत में लाखों लोगों में एलर्जिक राइनाइटिस पाया गया है। इसके बावजूद बीमारी की समझ और उचित इलाज की कमी है।

उन्होंने बताया कि लोग अपने मन से सर्दी की दवाएं खरीद कर खा लेते हैं, जिससे कोई फायदा नहीं होता। असल में दवाओं के साइड इफेक्ट से स्थिति और बिगड़ जाती है।

उन्होंने कहा, “वसंत के मौसम में वातावरण में परागकणों के बढ़ने से लोगों को और मुश्किलें होती है जिससे बार-बार छींक आने और आंखों में लाली, खुजली एवं पानी की शिकायत बढ़ जाती है।”

सर गंगाराम हॉस्पिटल के डॉ. नीरज जैन का कहना है कि एआर का मामला केवल बच्चों में ही नहीं, बल्कि वयस्कों में भी बढ़ रहा है। किशोरावस्था में इसका हमला सबसे तेज होता है। 80 प्रतिशत मामलों में एआर की शुरुआत 20 वर्ष की आयु के पहले और किशोरावस्था में सबसे तेज होती है।

गौरतलब है कि बचपन में लड़कियों की अपेक्षा लड़कों में इसकी संवेदनशीलता अधिक होती है, लेकिन वयस्क आयु में इसका अनुपात एक समान देखा गया है। हालांकि एआर की घटना उम्र बढ़ने के साथ घटती जाती है, फिर भी अधिक उम्र वाले वयस्कों में भी यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है।

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दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी

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नई दिल्ली। दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी का क्रम लगातार जारी है. अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में अकेले डेंगू के मरीजों में भारी संख्या में इजाफे की सूचना है. दिल्ली नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक साल 2024 में डेंगू के अब तक 4533 मरीज सामने आए हैं. इनमें 472 मरीज नवंबर माह के भी शामिल हैं.

एमसीडी की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में इस साल अब तक मलेरिया के 728 और चिकनगुनिया के 172 केस दर्ज हुए हैं.

डेंगू एक गंभीर वायरल संक्रमण है, जो एडीज़ मच्छर के काटने से फैलता है। इसके होने से मरीज को शरीर में कमजोरी लगने लगती है और प्लेटलेट्स डाउन होने लगते हैं। एक आम इंसान के शरीर में 3 से 4 लाख प्लेटलेट्स होते हैं। डेंगू से ये प्लेटलेट्स गिरते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि 10 हजार प्लेटलेट्स बचने पर मरीज बेचैन होने लगता है। ऐसे में लगातार मॉनीटरिंग जरूरी है।

डॉक्टरों के अनुसार, डेंगू के मरीज को विटामिन सी से भरपूर फल खिलाना सबसे लाभकारी माना जाता है। इस दौरान कीवी, नाशपाती और अन्य विटामिन सी से भरपूर फ्रूट्स खिलाने चाहिए। इसके अलावा मरीज को ज्यादा से ज्यादा लिक्विड डाइट देना चाहिए। इस दौरान मरीज को नारियल पानी भी पिलाना चाहिए। मरीज को ताजा घर का बना सूप और जूस दे सकते हैं।

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