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भाजपा ने जेडीयू को दिया तीसरा झटका, पूरी इकाई का विलय भाजपा में

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नई दिल्ली। बिहार में भाजपा और जेडीयू टूटने के बाद जेडीयू को एक और झटका लगा है। दादरा और नगर हवेली व दमन-दीव में एक दर्जन से ज्यादा जेडीयू नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया। इसके पहले भी दो और राज्यों में बीजेपी ने जेडीयू में सेंध मरी थी

बिहार में बीजेपी और जेडीयू के जब रस्ते अलग होने के बाद जेडीयू नेताओ का बीजेपी में आने का सिकसिला लगातार जारी है। जेडीयू को पहले ही दो राज्यों में नुकसान उठाना पड़ा था। अब जेडीयू को एक और झटका दमन-दीव व् दादरा और नगर हवेली में लगा है जहा एक दर्जन से अधिक जेडीयू कार्यकर्ताओ ने बीजेपी में शामिल हो गए। बता दे कि अरुणाचल प्रदेश और मणिपुरी में कई जेडीयू नेताओं ने भाजपा में शामिल हो गए थे। कहा जा सकता है कि यह जेडीयू को भाजपा का तीसरा बड़ा झटका है। जानकारी के मुताबिक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की उपस्थिति में स्थानीय निकायों के कई चुने हुए सदस्यों ने जेडीयू का साथ छोड़ दिया और औपचारिक रूप से भाजपा में शामिल हो गए।

भाजपा के महासचिव तरुण चुघ ने कहा कि यहां 16 जेडीयू नेता भाजपा में शामिल हुए हैं। जेडीयू की पूरी इकाई का ही भाजपा में विलय हो गया। वैसे बात करें जेडीयू की तो बिहार के अलावा इसकी चुनावी उपस्थिति किसी राज्य में नहीं है। मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में जो इक्का-दुक्का विधायक थे वे भी भाजपा में शामिल हो गए। वहीं नीतीश कुमार की नजर 2024 के लोकसभा चुनाव पर है। वह विपक्षी एकता के लिए नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं।

अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में लगा था तगड़ा झटका
इससे पहले मणिपुर में जेडीयू के 6 में से 5 और अरुणाचल प्रदेश में 8 विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके बाद जेडीयू ने कहा था कि भाजपा पीठ में चुरा घोंप रही है। जेडीयू नेताओ ने अमित शाह और पीएम मदी पर पार्टी तोड़ने का आरोप लगाया था। जेडीयू के अध्यक्ष ललन सिंह का कहना है कि भाजपा अनैतिक कार्य कर रही है क्योंकि जो जेडीयू विधायक भाजपा में शामिल हुए हैं उन्होंने भाजपा के ही उम्मीदवारों को हराया था ऐसे में जनता के साथ धोखा किया जा रहा है।

पिछले दिनों बिहार में भाजपा से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बना ली और भाजपा किनारे हो गई। नीतीश कुमार ने फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री बन गए। अब कांग्रेस, आरजेडी और जेडीयू गठबंधन की बिहार में सरकार है। वहीं नीतीश कुमार 2024 की रणनीति तैयार करने में लगे हैं।

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शराब घोटाला: केजरीवाल के खिलाफ चलेगा केस, एलजी ने ईडी को दी मंजूरी

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नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 से पहले अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ गई हैँ। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने ईडी को आबकारी नीति मामले में पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। 5 दिसंबर को ईडी ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी थी।

ईडी का दावा है कि अरविंद केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और कस्टमाइज शराब नीति बनाकर निजी कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाया। ईडी का यह भी कहना है कि केजरीवाल ने मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए इस रकम को छुपाने की कोशिश भी की। बता दें यह मामला राउज एवेन्यू कोर्ट में पहले से दर्ज है।

ईडी ने जो शिकायत दायर कि है उसमें आरोप लगाया गया है कि केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और एक विशेष शराब नीति तैयार करके उसे लागू करके निजी संस्थाओं को अनुचित लाभ पहुंचाया। ईडी ने अभियोजन शिकायत में यह भी आरोप लगाया कि अपराध की आय से लगभग 45 करोड़ रुपये का इस्तेमाल गोवा चुनावों में केजरीवाल की मिलीभगत और सहमति से आप के प्रचार के लिए किया गया।

जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि आप अपराध की आय का ‘मुख्य लाभार्थी’ थी और केजरीवाल राष्ट्रीय संयोजक और राजनीतिक मामलों की समिति और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य होने के नाते गोवा चुनावों के दौरान धन के उपयोग के लिए जिम्मेदार थे। ED ने रिपोर्ट में उल्लेख किया कि अरविंद केजरीवाल ने इस पीओसी (अपराध की आय) को नकद हस्तांतरण/हवाला हस्तांतरण के माध्यम से पीढ़ी से लेकर उपयोग तक छुपाया है। इसलिए, आरोपी अरविंद केजरीवाल वास्तव में और जानबूझकर मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध से जुड़ी अलग अलग प्रक्रियाओं और गतिविधियों में शामिल हैं, यानी पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम), 2002 की धारा 3 के तहत परिभाषित उत्पादन, अधिग्रहण, कब्जा, छिपाना, हस्तांतरण, उपयोग और इसे बेदाग होने का दावा करना है।

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