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प्रादेशिक

कब आएंगे बुंदेलखंड के अच्छे दिन?

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लखनऊ। दिन महीने और साल दर साल गुजरते चले जा रहे हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड के किसानों के ‘अच्छे दिन’ आने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। एक दशक से कभी ओला कभी अतिवृष्टि तो कभी सूखा की मार झेलते-झेलते यहां का किसान अपने दुर्भाग्य पर आंसू बहाने पर विवश हो गया है। हालत ये हैं कि बुंदेलखंड में सातों जनपदों- बांदा, चित्रकूट, जालौन, हमीरपुर, महोबा, झांसी और ललितपुर का हर किसान घर की चौखट पर बैठकर यही सोचता है कि उनके भी कभी अच्छे दिन आएंगे या नहीं या फिर भीषण महंगाई, कर्ज और आर्थिक संकट के बोझ के तले यूं ही तड़पते रहना पड़ेगा।

बुंदेलखंड के 80 वर्षीय किसान गजोधर का कहना है कि संसाधनांे की कमी से बुंदेलखंड सदैव से कृषि के क्षेत्र में फिसड्डी रहा है। पहले सिंचाई की व्यवस्था नहीं थी, नलकूपों की कमी थी तो किसान मानसूनी वर्षा के आधार पर फसल उगाता था और उससे जो कुछ भी हासिल होता था परिवार का भरण पोषण करता था।

कम उत्पादन के कारण किसानों को आगे बढ़ने का अवसर कभी नहीं मिल पाया। अब जब नलकूप भी है नहरे भी हैं तो सिंचाई खाद बीज, जुताई, बुवाई कटाई का खर्च इतना बढ़ गया है कि उत्पादन का आधा भाग इसी में चला जाता है तो वहां के किसानों के जो हाल पहले थे, वही आज भी हैं।

एक अन्य किसान सेवालाल कहते हैं कि पहले तो कुछ गनीमत थी, लेकिन एक दशक से प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसान उत्पादन के नाम पर कुछ भी हासिल नहीं कर पा रहा है। वह टूटता चला जा रहा है।

कई किसान आर्थिक संकट का सदमा बर्दाश्त न कर पाने से काल के गाल मंे समा चुके हैं, यह सिलसिला अभी भी जारी है।

किसान हरिशंकर ने बताया कि बुंदेलखंड के किसानों का दुर्भाग्य है कि उन्हें सम्हलने का अवसर ही नसीब नहीं है। किसान उमेश सिंह परिहार का कहना है कि सालों से अच्छी फसल न होने से यहां किसानों की बुरी दशा है। थोड़ा बहुत जो हासिल होता है, वह बैंक का ऋण चुकाने बीमारी, शादी-विवाह में खर्च हो जाता है। खर्च को कुछ नहीं बचता तो किसानों की संताने अच्छी शिक्षा नहीं ग्रहण कर पाती। रोजगार के अवसर भी नहीं मिल पाते।

उजनेड़ी के किसान नरेंद्र वीर सिंह चौहान का कहना है कि सोचा था कि केंद्र में भाजपा सरकार आने के बाद किसानों के भी अच्छे दिन आएंगे, क्योंकि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महोबा की जनसभा में कहा था कि जिस तरह प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत हर गांव को सड़क से जोड़ा गया, उसी तरह हर खेत को पानी तथा हर किसान को फसल की भरपूर लागत उपलब्ध कराने का काम भाजपा करेगी। इसके बावजूद हालात इस कदर खराब हैं कि बुंदेलखंड का किसान सूखे की चपेट आ गया है, लेकिन केंद्र का हो या प्रदेश का सरकारी अनुदान, कुछ नहीं मिल पा रहा है। ऐसी हालत में किसानों का हाल आगे क्या होगा, कहना कठिन है।

किसान राकेश त्रिपाठी का कहना है कि सरकारों के भरोसे यहां का किसान कुछ भी हासिल नहीं कर पाएगा, क्योंकि किसानों की सुनने वाला कोई नहीं है।

वहीं, छानी के किसान रामकुमार का कहना है कि बुंदेलखंड के किसान हमेशा से उपेक्षित रहे हैं और आज भी हैं। उनकी समस्याओं को हमेशा नजरअंदाज किया जाता है, शोषण अलग से होता है। ऐसी दशा मंे किसानों के अच्छे दिन आने का सवाल ही नहीं उठता।

कुल मिलाकर शासन-प्रशासन, जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा तथा प्राकृतिक आपदाओं से यहां का किसान एकदम हताश व निराश हो चुका है। यदि समय रहते प्रदेश व केंद्र की सरकारों ने गौर नहीं किया तो हालत दिन-प्रतिदिन खराब होती चली जाएगी।

उत्तर प्रदेश

आगरा में वायुसेना का मिग-29 विमान क्रैश, दोनों पायलट सुरक्षित

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आगरा। उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में सोमवार को वायुसेना का मिग-29 विमान खेतों में क्रैश हो गया। गनीमत रही कि विमान के पायलट और को पायलट पैराशूट के मदद से विमान से निकलने में कामयाब रहे।

विमान ने पंजाब के आदमपुर से उड़ान भरी थी और अभ्यास के लिए आगरा जा रहा था जब यह घटना घटी। वायुसेना के अधिकारियों ने बताया कि इस हादसे की जांच के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश दिया जाएगा। फिलहाल घटना के कारणों का पता लगाने के लिए विस्तृत जानकारी का इंतजार किया जा रहा है।

जानकारी के मुताबिक ये हादसा आगरा के कागारौल के सोनिगा गांव के पास हुआ, जहां वायुसेना का विमान क्रैश हो गया है। लोगों ने बताया कि एयर फोर्स का विमान खाली खेतों में गिरा था और जमीन पर गिरते ही विमान में भयंकर आग लग गई और तेज लपटें उठने लगीं। विमान में पायलट समेत दो लोग मौजूद थे। फिलहाल प्लेन क्रैश के इस हादसे से किसी जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है।

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