उत्तराखंड
उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं में अब और भी तेज़ी से होगा बचाव कार्य…. जानिए कैसे
उत्तराखंड में अब भूस्खलन, बादल फटने, बाढ़ या जल भराव जैसी घटनाओं में समय पर लोगों को मदद पहुंचाने के लिए उत्तराखंड सरकार खास तैयारियां कर रही है।
इस पर उत्तराखंड के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए सभी जि़लों के डीएम से बरसात को पहले सभी तैयारियां पूरी करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने ने ज़िलों के डीएम के कहा,” राज्य किसी भी तरह के भूस्खलन, बादल फटने, बाढ़ या जल भराव के समय रिस्पांस टाइम देखा जाएगा। आपदा की स्थिति में बचाव और राहत कार्य कितने जल्दी शुरू हुआ, इसपर विशेष बल दिया जाएगा।”
मौजूदा समय में उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं के अतिसंवेदनशील पहाड़ी क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन विभाग लोगों को विशेष ट्रेनिंग दे रही है। विभाग की मदद से एक ऐसा आईआरएस सिस्टम विकसित किया है। इसके अलावा राज्य और जिला स्तर पर लोगों से मॉक ड्रिल कराई जा रही है।
बैठक में सचिव आपदा प्रबंधन अमित नेगी ने बताया,” चारधाम यात्रा में मार्ग बंद होने की स्थिति में तत्काल खोले जाएं। यात्रा मार्ग पर रास्ता बंद होने पर पर्यटकों के रहने, खाने, पेयजल, परिवहन, शौचालय का प्रबंध किा जाए।भूस्खलन वाले स्थानों पर जेसीबी पहले से ही तैनात रहे और ट्रांसशिपमेंट के लिए दोनों तरफ गाड़ियों की व्यवस्था पूरी कर ली जाए।”
स्वास्थ्य विभाग उत्तराखंड के मुताबिक मौजूदा समय में पर्वतीय क्षेत्रों में भी 421 नए डॉक्टरों की व्यवस्था हो गई है। अभी और डॉक्टरों की तैनाती की जा रही है। केदारनाथ में सिग्मा के माध्यम से हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों की व्यवस्था की गई है। यात्रा मार्ग पर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हार्ट से कार्डियक डॉक्टरों की व्यवस्था की जा रही है। इसमें 108 के 65 एम्बुलेंस जल्द तैनात हो जाएंगी। इसके बाद 50 और 108 एम्बुलेंस की व्यवस्था की जा रही है। इनकी मॉनिटरिंग 108 डैशबोर्ड से की जा रही है।
तेज़ आंधी और बारिश ने कुमाऊं क्षेत्र में बरपाया कहर –
बीती रात उत्तराखंड के अलग-अलग हिस्सों में आंधी और बारिश ने बड़ा नुकसान पहुंचाया है। चमोली जिले के नारायणबगड़ में बादल फटने से कर्इ दुकानें और मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं। हालांकि इसमें किसी के हताहत होने की कोर्इ खबर नहीं है। वहीं कुमाऊं क्षेत्र में भी तेज़ी आंधी और बारिश ने मकानों पर कहर बरपाया है।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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