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हेल्थ

बचपन का कैंसर बढ़ा देता है दिल पर खतरा

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नई दिल्ली| देश में कैंसर के पीड़ितों में बच्चों की संख्या 3 से 4 प्रतिशत है और हर साल 40 से 50 हजार नए मामले सामने आते हैं। इस बढ़ती संख्या की वजह औद्यौगीकरण और तकनीकी विकास को माना जा सकता है। आशा की किरण यह है कि बचपन के 70 से 90 प्रतिशत कैंसर का इलाज संभव है। लेकिन ऐसे बच्चों का लंबे समय तक इलाज चलने की वजह से आगे चलकर उन्हें तीस की उम्र के आस पास दिल के रोगों की समस्या का खतरा होता है।

नोएडा स्थित कैलाश हॉस्पिटल एंड हार्ट इंस्टीट्यूट के सीनियर इंटरवेनशनल कार्डियॉलॉजिस्ट डॉ. संतोष कुमार अग्रवाल कहते हैं कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कैंसर के इलाज से आगे चलकर मरीज के दिल की सेहत पर असर पड़ सकता है। लेकिन इलाज करवाना भी जरूरी है और इसे बंद नहीं किया जा सकता। इसलिए यह जरूरी है कि जरूरी सावधानियां बरती जाएं और जीवन भर रोगी की पूरी सेहत का ध्यान रखा जाए।

उन्होंने कहा कि ऐसा करके हाई रिस्क वाले रोगियों में बीमारी की शुरुआत को टाला जा सकता है। अभिभवकों को अपने बच्चों के इलाज का रिकार्ड संभाल कर रखना चाहिए। अगर परिवार में पहले से किसी को डायबिटीज और ब्लड प्रेशर है तो इस बारे में उन्हें डॉक्टर को जरूर बताना चाहिए।

डॉ. अग्रवाल ने कहा कि यह भी जरूरी है कि पीड़ित व्यक्ति सेहतमंद व संतुलित आहार लें, तनाव मुक्त रहने के प्रभावशाली तरीके अपनाएं और शराब के सेवन और सिगरेट से दूर रहें।

वहीं, सर गंगा राम हॉस्पिटल के डॉ. अनुपम सचदेवा का कहना है कि बचपन में कैंसर का इलाज करवा चुके लोगों को नजदीकी और लगातार जांच की जरूरत होती है, क्योंकि उन्हें मोटापा, दिल के रोग, दोबारा ट्यूमर और एंडोक्रिनोलॉजिकल समस्याएं होने का खतरा रहता है।

दोनों चिकित्सकों का कहना है कि आधुनिक जीवनशैली में कैंसर और दिल के रोगों का एक साथ होना आम बात है। कैंसर से पीड़ित 20 प्रतिशत लोगों को कोई न कोई दिल का रोग होता ही है। कुछ लोगों को कैंसर के इलाज की वजह से दिल के रोग हो जाते हैं। कीमोथेरेपी और रेडिएशन आगे चल कर दिल पर असर करते हैं।

उन्होंने कहा कि कीमोथेरेपी में प्रयोग होने वाले तत्व कॉडियो टॉक्सिटी के फैलने का कारण बन सकते हैं, जिस वजह से वस्कुलर समस्याएं और दिल फेल होने व कार्डियोमायोपैथी हो सकते हैं। जब कीमोथेरेपी करवा रहे लोगों को एंजियोप्लास्टी करवानी हो तो ब्लड थिनर्स को ज्यादा समय तक प्रयोग करने की सलाह दी जाती है।

दोनों चिकित्सकों का आकलन है कि रेडिएशन थेरेपी से हार्ट अटैक, हार्ट फेल्योर और एरिथमायस हो सकता है। इसलिए वल्र्ड कैंसर डे पर कैंसर और दिल के रोगों से बचाव पर ही जोर देना चाहिए और इनके साथ जुड़ी बीमारियों से भी बचना चाहिए। नियमित और करीबी निगरानी बेहद जरूरी है।

बच्चों में प्रमुख रूप से ल्यूकेमिया और लिम्फोम्स उसके बाद ब्रेन ट्यूमर और केंद्रीय नाड़ी तंत्र प्रणाली का कैंसर पाए जाते हैं। हाल के समय में बच्चों के दुलर्भ किस्म के कैंसर जैसे कि आखों का कैंसर पाए जा रहे हैं।

बचपन में कैंसर का इलाज करवा चुके व्यक्तियों को आगे चल कर असामान्य लक्षणों पर नजर रखनी चाहिए। सांस फूलना, अनियमित छाती का दर्द और पसीना आना नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और तुरंत मेडिकल सहायता लेनी चाहिए।

लाइफ स्टाइल

सुबह डल नजर आता है चेहरा, तो अपनाएं ये आसान घरेलू उपाय

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face dull in morning

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नई दिल्ली। सुबह उठने के बाद अक्सर लोगों का चेहरा डल नजर आता है, तो आपको कुछ छोटे-छोटे उपाय करने चाहिए जिससे कि आपको इस प्रॉब्लम से छुटकारा मिल सके। रात के समय अगर आप कुछ टिप्स को फॉलो करके सोते हैं, तो फिर सुबह आपकी स्किन काफी दमकती हुई नजर आएगी।

आपकी स्किन अगर ऑयली है, तो आप रात के समय चेहरा धोने के बाद एलोवेरा जेल से मसाज करके सोएं। इससे आपका चेहरा सुबह उठने पर काफी ग्लोइंग नजर आएगा।

मेकअप उतारकर सोएं

आप अगर मेकअप के साथ ही सो जाते हैं, तो इससे आपका चेहरा डल नजर आने लग जाता है। साथ ही रात के समय मेकअप में मौजूद केमिकल्स आपकी स्किन पर रिएक्ट भी कर सकते हैं। ऐसे में बहुत जरूरी है कि पिम्पल्स से बचाव के लिए मेकअप उतारकर सोएं।

रात को चेहरे पर सीटीएम जरूर करें

चेहरे को ग्लोइंग बनाने और डलनेस दूर करने के लिए सीटीएम रूटीन को फॉलो करें। इसके लिए रात को सोने से पहले आपको चेहरा क्लींजर से साफ करना है, फिर टोनिंग करने के बाद मॉश्चराइजर लगाना है।

चेहरे पर फेसमॉस्क लगाकर न सोएं

कई ऐसे प्रॉडक्ट होते हैं जिन पर लिखा होता है कि यह नाइट ग्लोइंग पैक की तरह काम करते हैं और आप इसे रात में लगाकर सो सकते हैं लेकिन हर किसी की स्किन पर यह प्रॉडक्ट सूट नहीं करते हैं, इसलिए रात को कोई भी फेसमास्क लगाकर न सोएं।

 

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