प्रादेशिक
शिवपाल ने किया आठवें अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव का शुभारम्भ
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के लोक निर्माण, सहकारिता, राजस्व एवं सिचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्मों का इतिहास अनुकरणीय एवं स्मर्णीय हैं। उन्होंने कहा कि बालक के विकास में बाल फिल्मों, बाल नाटकों की अहम भूमिका होती है। इन फिल्मों से बच्चों में नैतिकता, सदाचार एवं मानव सेवा की भावना मजबूत होती है और वसुधैव कुटुम्बकम् का सिद्धान्त फलीभूति होता है।यादव ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को बचपन में देखी बाल नाटिका हरिश्चन्द्र ने सत्य और अहिंसा का पथ दिखाया था। श्री यादव आज कानपुर रोड, लखनऊ स्थित सिटी माण्टेसरी स्कूल में आठवें अंतर्राष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव के शुभ अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आधुनिक सूचना क्रान्ति के युग में बाल फिल्में बालाकों के बहुआयामी चरित्र विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित होगीं। उन्होंने कहा कि अभिनव और प्रयोगवादी शिक्षण, प्रशिक्षण एवं नैतिक शिक्षा के क्षेत्र में सीएमस संस्था ने अभिनन्दनीय कार्य किया है।
सीएमएस ने सभी विद्यालयों को एक मंच पर लाकर दिया है समानता का संदेश
इस अवसर पर मंत्री ने यह भी कहा कि सीएमएस द्वारा लखनऊ के सभी विद्यालयों को एक मंच पर एक साथ लाकर जो समानता का संदेश दिया जा रहा है वह निसंदेह मैत्री भाई-चारा तथा राश्ट्रीय एकता अखण्ड़ता और साम्प्रदायिक सौहार्द की भावना को मजबूत बनाने में वरदान सिद्ध हुआ। सीएमएस के संस्थापक जगदीश गांधी ने कहा कि शिवपाल सिंह यादव सच्चे अर्थो में जन-नायक है, प्रदेश में जो विकास की गंगा बह रही है उसमें शिवपाल सिंह की अहम भूमिका है समारोह में अभिनेता ललित मोहन तिवारी (जिन्होने महाभारत धारावाहिक में संजय की भूमिका अदा की थी) ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि लखनऊ की गंगा-जमुनी तहजीब काबिले-तारीफ है। आपने बच्चों को संस्कार बनने का आवाह्न करते हुए कहा कि बच्चे ही देश का भविष्य है, इसलिए हम सबको देश के विकास के लिए बच्चों के विकास पर पूरा ध्यान देना चाहिए।
उत्तर प्रदेश
योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच
लखनऊ | योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।
कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान
राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।
हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश
टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।
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