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कोरोना से इतने दिनों में मिलेगी राहत, शोध के बाद वैज्ञानिकों ने किया बड़ा दावा!

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नई दिल्ली। कोरोना वायरस चीन से निकलकर अब पूरी दुनिया में फैल चुका है। इस महामारी से दुनियाभर के 20 हजार लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इस खतरनाक वायरस पर काबू पाने के लिए हर देश के शोधकर्ता लगे हुए हैं।

इस बीच कोरोना के लेकर ताजा शोध में एक राहत की बात सामने आई है। मैसाचुएट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के दो शोधकर्ताओं ने कोरोना को लेकर बड़ा दावा किया गया है। यह दावा 22 मार्च तक कोविड-19 के संक्रमण डाटा का विश्लेषण करने के बाद किया गया है।

जिसमें उन्होंने पाया कि मामलों के दो मापदंडों- तापमान और आर्द्रता के साथ सहसंबंध हैं। अध्ययन में पाया गया है कि 90 प्रतिशत मामले 3 से 17 डिग्री के बीच तापमान वाले देशों में रिपोर्ट किए गए और यहां और 4 से 9 जी/एम3 के बीच पूर्ण आर्द्रता थी।

एक शोधकर्ता युसूफ जमील ने कहा, ‘तापमान, आर्द्रता और प्रसार के बीच संबंध समय के साथ विकसित हो रहा है। तापमान और कोरोनावायरस के प्रसार के बीच संबंध कमजोर दिख रहा है क्योंकि हमारे पास अमेरिका के गर्म राज्यों जैसे फ्लोरिडा और लुइसियाना और गर्म देशों जैसे ब्राजील, भारत, मलेशिया से कई नए मामले आ रहे हैं। आर्द्रता एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है क्योंकि मेरा पेपर सुझाव देता है लेकिन प्रयोगशाला में इसकी पुष्टि की जानी चाहिए।’

वहीं भारतीय अधिकारी आर्द्रता नहीं मापते हैं। इस महीने दिल्ली में औसत सापेक्ष आर्द्रता 47 प्रतिशत, मुंबई में 60 प्रतिशत रही है। सापेक्ष आर्द्रता हवा में जलवाष्प का एक अनुपात है जो किसी दिए गए तापमान पर वाष्प की अधिकतम मात्रा को पकड़ सकता है। कोविड-19 सार्स-कोव-2 वायरस के कारण होता है। जो सार्स-कोव से काफी मिलता-जुलता है। इसका नाम सीवीयर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम है जो सबसे पहले 2003 में सामने आया था। यह वायरस उच्च तापमान पर जीवित रहने या संक्रमित करने की क्षमता खो देता है।

एमआईटी के शोध पहला ऐसा है जिसने यह सुझाव दिया है कि अकेले तापमान कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए काफी नहीं है और आर्द्रता की भी इसमें भूमिका है। चूंकि आर्द्रता एक कारक है, तापमान में वृद्धि और गर्मियों के करीब आने से अमेरिका और यूरोप में कई क्षेत्रों को मदद नहीं मिल रही है क्योंकि वे सूखे रहते हैं।

शोधकर्ताओं ने कहा, हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि पर्यावरणीय कारकों के कारण वायरस के कम प्रसार की संभावना गर्मियों में उत्तरी यूरोप और उत्तरी अमेरिका (अमेरिका और कनाडा) के अधिकांश हिस्सों में सीमित हो जाएगी। एमआईटी विश्लेषण से पता चला है कि 22 जनवरी से 21 मार्च के बीच प्रत्येक 10 दिन की अवधि में नए मामलों की अधिकतम संख्या 4 से 10 डिग्री के बीच और 3 से 9 जी/एम3 के बीच पूर्ण आर्द्रता वाले क्षेत्रों में दर्ज किए गए थे।

 

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गैस चेंबर बनी दिल्ली, AQI 500 तक पहुंचा

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नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। दरअसल दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर बदतर स्थिति में है। अगर श्रेणी के आधार पर बात करें तो दिल्ली में प्रदूषण गंभीर स्थिति में बना हुआ है। कल जहां एक्यूआई 470 था तो वहीं आज एक्यूआई 494 पहुंच चुका है। दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में एक्यूआई के आंकड़ें आ चुके हैं। अलीपुर में 500, आनंद विहार में 500, बवाना में 500 के स्तर पर एक्यूआई बना हुआ है।

कहां-कितना है एक्यूआई

अगर वायु गुणवत्ता की बात करें तो अलीपुर में 500, बवाना में 500, आनंद विहार में 500, डीटीयू में 496, द्वारका सेक्टर 8 में 496, दिलशाद गार्डन में 500, आईटीओ में 386, जहांगीरपुरी में 500, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 500, लोधी रोड में 493, मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम 499, मंदिर मार्ग में 500, मुंडका में 500 और नजफगढ़ में 491 एक्यूआई पहुंच चुका है। दिल्ली की वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। ऐसे में दिल्ली में ग्रेप 4 को लागू कर दिया गया है। इस कारण दिल्ली के अलावा नोएडा, गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ में स्कूलों को बंद कर दिया गया है और ऑनलाइन माध्यम से अब क्लासेस चलाए जाएंगे।

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