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आध्यात्म

घर के मंदिर में बिल्कुल भी न रखें ऐसी मूर्तियां, खत्म हो जाती है परिवार की सुख-समृद्धि

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हिन्दू धर्म में पूजा पाठ और मंदिरों का विशेष महत्व होता है। सनातन धर्मी प्रत्येक व्यक्ति अपने घर मे छोटा ही सही एक मंदिर जरूर बनाता है। घर के मंदिर में ईश्वर की प्रतीक रूप में कुछ मूर्ति स्थापित की जाती है।

साभार – इंटरनेट

ऐसी कई सारी विशेष बातें शास्त्रों में दर्ज हैं। जैसे कि माखन खाते हुए भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा करने से संतान सुख मिलता है, हनुमान जी के संजीवनी बूटी पर्वत वाले रूप की पूजा करने से बल मिलता है।

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लेकिन आप जानते हैं कि घर के मंदिर में सभी तरह की मूर्तियां नही रखी जाती। इसके भी नियम हैं कि कौन सी मूर्ति रखनी है कौन सी नहीं। आइये आपको बताते हैं कि सनातन धर्म के अनुसार किस तरह की मूर्ति घर के मंदिर में स्थापित करना वर्जित है।

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नटराज – नटराज को भगवान शिव का ही रूप माना जाता है। भगवान शिव की पूजा करना और उन्हें घर के मंदिर में स्थापित करना शुभ माना जाता है लेकिन नटराज शिवजी की रौद्र रूप है। वे इस रूप को तब धारण करते थे जब वे बेहद क्रोधित अवस्था में होते थे। शास्त्रों के अनुसार इअसी मूर्ति को घर में लाना अशांति का कारण बनता है।

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भैरव देव – यह भी भगवान शिव का ही रूप है लेकिन भैरव देव तंत्र विद्या के देवता हैं। इनकी उपासना घर के भीतर नहीं, बल्कि बाहर करनी चाहिए। इसलिए भूल से भी इन्हें घर के मंदिर में स्थापित ना करें।

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शनि देव – सूर्य पुत्र शनि का पूजा स्थल या मंदिर अन्य पूजा स्थलों से अलग होता है। इनकी पूजा के भी कठिन नियम होते हैं। सूर्य अस्त होने के बाद ही इनकी पूजा की जाती है। इनकी पूजा घर के भीतर नहीं, बाहर की जाती है इसलिए इनकी मूर्ति को घर में स्थापित नहीं करना चाहिए।

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राहु-केतु – ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि, राहु, केतु, तीनों ही पापी ग्रह माने जाते हैं। अगर जन्म कुंडली में इनकी अशुभ बैठकी हो तो इनकी पूजा करने से कष्टों में कमी आती है, परंतु इन्हें घर ले आना अशुभ माना जाता है। केवल ज्योतिष उपायों के लिए ही इनकी घर के बाहर पूजा की जानी चाहिए।

आध्यात्म

महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन, सीएम योगी ने दी बधाई

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लखनऊ ।लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है. आज के दिन डूबते सूर्य को सायंकालीन अर्घ्य दिया जाएगा और इसकी तैयारियां जोरों पर हैं. आज नदी किनारे बने हुए छठ घाट पर शाम के समय व्रती महिलाएं पूरी निष्ठा भाव से भगवान भास्कर की उपासना करती हैं. व्रती पानी में खड़े होकर ठेकुआ, गन्ना समेत अन्य प्रसाद सामग्री से सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं और अपने परिवार, संतान की सुख समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।

यूपी के मुख्यमंत्री ने भी दी बधाई।

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