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उत्तराखंड

उत्तराखंडः नदियों का जलस्तर बढ़ने से तबाही की आशंका, अलर्ट जारी

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उत्तराखंड, नदियों का जलस्तर बढ़ने से तबाही, मानसून की दस्तक, आपदा प्रबंधन विभाग

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उत्तराखंड, नदियों का जलस्तर बढ़ने से तबाही, मानसून की दस्तक, आपदा प्रबंधन विभाग

flood Rain

देहरादून। मानसून की दस्तक के साथ ही पूरे उत्तराखंड में पहाड़ से लेकर मैदान तक नदियां एक बार फिर कहर बरपाएंगी। मानसून को दस्तक दिए अभी एक सप्ताह का भी समय नहीं बीता है और तमाम नदियां खतरे का स्तर छूने तक पहुंच गई थी। बाढ़ से होने वाली भारी तबाही के मद्देनजर सरकार, आपदा प्रबंधन विभाग ने पहले ही अलर्ट जारी कर दिया है।

केंद्रीय जल आयोग यानी सीडब्ल्यूसी के आंकड़ों पर नजर डालं तो हरिद्वार में गंगा का जलस्तर 291.75 मीटर पर पहुंच गया है, जबकि खतरे का स्तर 293.00 मीटर है। वहीं ऋषिकेश में गंगा का स्तर बृहस्पतिवार को 338.27 मीटर पर पहुंच गया, जबकि खतरे का स्तर 340.50 मीटर है।

कुमाऊं के चंपावत में शारदा नदी का स्तर 218.80 मीटर पर पहुंच गया है, जबकि नदी के खतरे का स्तर 221.70 मीटर है। हालांकि सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग के आला अफसरों के लिए राहत देने वाली बात यह है कि अभी राज्य में किसी भी नदी ने खतरे के स्तर को छुआ नहीं है।

बावजूद जिस तेजी से नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है उससे तो यही लगता है कि आने वाले दिनों में ये नदियां कहर बरपा सकती हैं। आपदा सचिव शैलेश बगौली का कहना है कि नदियों में आने वाली बाढ़ और उससे होने वाली तबाही को लेकर पहले ही अलर्ट जारी किया जा चुका है।

सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वह अपने यहां बाढ़ से निपटने के सारे इंतजाम अभी से कर लें ताकि ऐनवक्त पर किसी प्रकार की परेशानी न हो। साथ ही तटीय इलाकों में बसे लोगों को तत्काल अन्यत्र विस्थापित करने के सख्त निर्देश जारी किए गए हैं।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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