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बिजनेस

चौथी औद्योगिक क्रांति से हो सकता है देश को लाभ

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चौथी औद्योगिक क्रांति से हो सकता है देश को लाभ

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अनिल के. राजवंशी

दावोस में गत महीने विश्व आर्थिक मंच में चर्चा किया गया एक प्रमुख विषय था चौथी औद्योगिक क्रांति (एफआईआर)। कुछ विकसित देशों में चौथी औद्योगिक क्रांति जारी भी है और इसे लेकर यह डर दिखाया जा रहा है कि यह पुरानी प्रौद्योगिकी को उलट-पुलट कर रख देगी और इससे बेरोजगारी पैदा होगी।

इस डर के उलट चौथी औद्योगिक क्रांति में व्यापक स्तर पर रोजगार पैदा करने की क्षमता है।

चौथी औद्योगिक क्रांति आखिर है क्या?

पहली औद्योगिक क्रांति 1700 ईस्वी के आसपास शुरू हुई, जिसमें मानवीय शक्ति के स्थान पर भाप इंजन की शक्ति का उपयोग शुरू हुआ।

दूसरी क्रांति 1900 इस्वी के आसपास शुरू हुई। इसमें बिजली से चलने वाली मशीनों का उपयोग शुरू हुआ। तीसरी क्रांति 1960 के दशक में शुरू हुई, जो कंप्यूटर और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), इलेक्ट्रॉनिक्स और स्वचालित मशीनों पर आधारित थी।

चौथी औद्योगिक क्रांति आज की क्रांति है, जो प्रमुखत: इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), अनवरत इंटरनेट कनेक्टिविटी, तेज रफ्तार संचार, डिजाइन का लघु रूपांतरण और 3डी प्रिंटिंग पर आधारित है। 3डी प्रिंटिंग के तहत वस्तुओं का विनिर्माण और उत्पादन उसी जगह पर हो सकता है, जहां उसकी जरूरत है। भारत जैसे देश खासतौर से आईओटी और 3डी प्रिंटिंग के जरिए चौथी औद्योगिक क्रांति का हिस्सा बन सकते हैं।

देश की 60 फीसदी ग्रामीण आबादी का जीवनस्तर चौथी औद्योगिक क्रांति से काफी सुधर सकता है।

ग्रामीण आबादी की आय बढ़ाने के लिए उच्च प्रौद्योगिकी युक्त सटीक खेती का उपयोग किया जा सकता है, यह खेती या तो जमीन पर हो सकती है या किसी कंटेनर में हो सकती है।

कंटेनर खेती करने वालों का दावा है कि इसमें पारंपरिक खेती की तुलना में सिर्फ 10 फीसदी पानी की जरूरत पड़ती है और कई बार उपज हासिल की जा सकती है। इसे बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा हो सकता है।

3डी प्रिंटिंग के तहत दुनिया में कहीं भी डिजाइन तैयार की जा सकती है और इसे इंटरनेट के सहारे कहीं भी भेजा जा सकता है, जहां 3डी पिंट्रिंग तकनीक के सहारे वस्तु का विनिर्माण किया जा सकता है। इस प्रौद्योगिकी का तेजी से प्रसार हो रहा है। इससे वस्तुओं के परिवहन में लगने वाली ऊर्जा की बचत हो जाएगी।

चौथी औद्योगिक क्रांति से एक विकेंद्रिकृत तथा लोकतांत्रिक समाज का निर्माण होगा, क्योंकि इसके तहत उत्पादन के साधनों पर स्थानीय लोगों का नियंत्रण होगा।

बिजनेस

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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