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मुख्य समाचार

आएसएस की तुलना आईएस से नहीं की: आजाद

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राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, आएसएस की तुलना आतंकवादी संगठन आईएस से, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के एक कार्यक्रम, संसदीय मामलों के राज्यमंत्री मुख्‍तार अब्बास नकवी

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राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, आएसएस की तुलना आतंकवादी संगठन आईएस से, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के एक कार्यक्रम, संसदीय मामलों के राज्यमंत्री मुख्‍तार अब्बास नकवी

नई दिल्ली| राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने सोमवार को कहा कि उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आएसएस) की तुलना आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट(आईएस) से कतई नहीं की। कांग्रेस नेता नबी आजाद ने राज्यसभा में वह भाषण पढ़कर सुनाया, जो उन्होंने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के एक कार्यक्रम में दिया था। भाषण में कहा गया, “हम ऐसे आईएसआईएस जैसे संगठनों का भी उतना ही विरोध करते हैं, जितना आरएसएस का करते हैं।” संसदीय मामलों के राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने नबी आजाद से उनके कथित विवादित भाषण पर स्पष्टीकरण मांगा था। नबी आजाद ने कहा, “कोई तुलना नहीं की गई। मैंने अगर कहा होता कि वे एक हैं, तो तुलना होती।”

उन्होंने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा उनके खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव लाए जाने को चुनौती देते हुए कहा, “आप विशेषाधिकार प्रस्ताव ला सकते हैं।” नबी आजाद ने अपने भाषण के हवाले से कहा, “लिहाजा यह मजहब की लड़ाई नहीं है। हमारे बीच भी इस्लाम व दुनिया में कोई गलत काम करता है, वह आरएसएस से कम नहीं है।” उन्होंने राज्यसभा में उनके उक्त भाषण वाली एक सीडी भी पेश की। जिस पर राज्यसभा में सदन के नेता अरुण जेटली ने कहा कि हो सकता है कि बयान देते समय आजाद की जुबान फिसल गई हो।

नबी आजाद के स्पष्टीकरण के बाद जेटली ने कहा, “मैंने हमेशा आजाद की इज्जत की है। मेरे ख्याल से उन्हें बोलने से पहले एक बार जरूर विचार करना चाहिए। इस बार अनजाने में या जानबूझकर उनकी जुबान फिसल गई।” नबी आजाद को उनके विवादित बयान की वजह से कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा कि उनका बयान ‘कांग्रेस के वैचारिक दिवालियापन’ को दिखाता है। भाजपा ने सोनिया गांधी से पार्टी की अध्यक्ष होने के नाते माफी मांगने और नबी आजाद के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी।

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बदल गई उपचुनावों की तारीख! यूपी, केरल और पंजाब में बदलाव पर ये बोला चुनाव आयोग

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नई दिल्ली। विभिन्न उत्सवों के कारण केरल, पंजाब और उत्तर प्रदेश में विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे। कांग्रेस, भाजपा, बसपा, रालोद और अन्य राष्ट्रीय और राज्य दलों के अनुरोध पर चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है।

विभिन्न उत्सवों की वजह से कम मतदान की किसी भी संभावना को खारिज करने के लिए, चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है। ऐसे में ये साफ है कि अब यूपी, पंजाब और केरल में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे।

चुनाव आयोग के मुताबिक राष्ट्रीय और राज्य स्तर की पार्टियों की ओर से उनसे मांग की गई थी कि 13 नवंबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव की तारीख में बदलाव किया जाए, क्योंकि उस दिन धार्मिक, सामाजिक कार्यक्रम हैं। जिसके चलते चुनाव संपन्न करवाने में दिक्कत आएगी और उसका असर मतदान प्रतिशत पर भी पड़ेगा।

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