उत्तराखंड
तो फिर बहुरेंगे सरकारी स्कूलों के दिन
पिथौरागढ़ जिले में सर्वाधिक तो चमोली में सबसे कम दाखिला
देहरादून। इसे निजी स्कूलों की लूटमार का असर कहें या फिर अभिभावकों के पास विकल्प का अभाव, लेकिन आश्चर्यजन व सुखद सूचना यह है कि इस साल सरकारी स्कूल में रिकार्ड बच्चे दाखिला ले रहे हैं। शिक्षा विभाग इसका श्रेय स्कूल चलो अभियान को दे रहा है। कारण कोई भी हो, लेकिन इस बार अब तक 44 हजार बच्चों ने सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया है। बेसिक शिक्षा निदेशक सीमा जौनसारी के अनुसार पिथौरागढ़ में सर्वाधिक बच्चों ने स्कूलों में दाखिला लिया है।
इस बार सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ने के आसार
राज्य में सरकारी स्कूलों की हालात बदतर होती जा रही है। हालांकि अब शिक्षकों को अच्छा वेतन मिल रहा है, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता का अभाव होने से यहां के लोग अपने बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला करवा रहे हैं। पर्वतीय जनपदों से पलायन का एक अहम कारण लचर शिक्षा व्यवस्था भी है। सरकारी स्कूलों में पढ़ने का अर्थ महज मिड-डे मील को लेकर लिया जाता है या फिर ऐसे कि जहां अन्य निजी स्कूल या विकल्प न हों तो वही लोग अपने बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं। यही कारण है कि उत्तराखंड में भी सरकारी शिक्षा बदहाल हो रही है। मिली जानकारी के अनुसार पिछले दो वर्ष में उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में सौ से भी अधिक सरकारी स्कूलों को इसलिए बंद करना पड़ा क्योंकि इन स्कूलों में छात्रों की संख्या शून्य थी। इसी तरह 409 स्कूल ऐसे थे जहां कुल छात्र संख्या दस से भी कम थी।
एक दिन में 44 हजार नये बच्चों का स्कूल में दाखिला
बेसिक शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में बच्चों को जोड़ने के लिए स्कूल चलो अभियान शुरू किया है। इसके सकारात्मक परिणाम निकले हैं। पहले ही दिन 44 हजार बच्चों ने स्कूल में दाखिला लिया हैै। पिथौरागढ़ जिले में सर्वाधिक आठ हजार 14 बच्चों ने दाखिला लिया है। इसके अलावा उधमसिंह नगर में 6121 व अल्मोड़ा में 5512 नये बच्चों ने स्कूल में दाखिला लिया है। देहरादून में 3170 नये बच्चों ने दाखिला लिया जबकि हरिद्वार में 3148, रुद्रप्रयाग में 3348, नैनीताल में 3880, चमोली में 1291 नये बच्चों ने दाखिला लिया।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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