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बिजनेस

GST : छोटे व्यापारियों की मुश्किलों में होगा इजाफा, साल भर में भरने होंगे 37 रिटर्न

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नई दिल्ली। जीएसटी लागू होने के बाद एक ही राज्य में अपनी वस्तुओं का परिचालन करने वाले छोटे स्तर की मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों को एक साल में 37 रिटर्न दाखिल करने होंगे। जबकि ऐसी कंपनियों को मौजूदा समय में सिर्फ 13 रिटर्न ही दाखिल करने होते हैं।

1 जुलाई, 2017 से लागू होने जा रही जीएसटी पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार भले ही अपनी पीठ थपथपा रही हो लेकिन छोटे कारोबारी इससे बेचैन हैं। उनके परेशान होने की वजह पहले से भी ज्यादा कागजी और कानूनी औपचारिकताएं हैं। देश में जीएसटी के लागू होने के बाद सब कुछ ऑनलाइन हो जाएगा, इसलिए सब कुछ नियमित तौर पर अपडेट करते रहना होगा।

एक बिजनेस को राज्य के हिसाब से 37 रिटर्न सालाना दाखिल करने होंगे (तीन रिटर्न हर महीने और एक रिटर्न सालाना)। यह नियम हर राज्य पर लागू होगा। यही नहीं यदि कंपनी एक से अधिक राज्य में कारोबार करती है तो रिटर्न्स की संख्या और अधिक हो सकती है। तीन राज्यों में दफ्तर संचालित करने वाली कंपनी को साल में 111 रिटर्न तक भरने पड़ सकते हैं।’

इंडियास्पेंड के विश्लेषण के अनुसार रिटर्न की संख्या बढऩे से उद्योग, एकाउंटेंट और बैंकों का काम बढ़ेगा। एक देश-एक टैक्स यानी जीएसटी लागू होने में अब एक माह से कम समय बकाया है।

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के पूर्व प्रेजिडेंट के. रघु का कहना है कि जीएसटी को स्वीकार करने के लिए पूरे ईकोसिस्टम में ही बदलाव किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि तैयारियों को देखते हुए जीएसटी लागू करने की तारीख 1 सितंबर होनी चाहिए।

नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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