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आध्यात्म

Hartalika Teej 2020 : जानिए व्रत की पूरी पूजन विधि!

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साल में चार बार तीज आती हैं, जिनमें से हरियाली, कजली और हरतालिका तीज का काफी महत्व है। हरतालिका तीज पर महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान से अखंड सौभाग्‍यवती रहने का आशीर्वाद मांगती हैं। कुंवारी लड़कियां मनचाहे वर के लिए कठिन व्रत रखती हैं। इस साल हरतालिका व्रत 21 अगस्त को पड़ रहा है।

हरतालिका तीज कब है – हिन्‍दू पंचाग के मुताबिक,  हर साल हरतालिका तीज भाद्रपद यानि की भादो माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह व्रत 21 अगस्त को मनाया जाएगा।

हरतालिका तीज पर कैसे करें पूजा – हरितालिका तीज का व्रत निर्जल रहकर किया जाता है। व्रत को रखने वाली महिलाएं और युवतियां सुबह उठकर स्नान आदि करके भगवान शिव की पूजा करती है। महिलाएं और युवतियां भगवान शिव को गंगाजल, दही, दूध और शहद से स्नान कराकर उन्हें फल चढ़ाती हैं और पति की लंबी आयु की कामना करती हैं।

पूजा की थाली में अवश्य रखनी चाहिए ये चीजें – हरतालिका तीज पर पूजन के लिए – गीली काली मिट्टी या बालू रेत, बेलपत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल एवं फूल, अकांव का फूल, तुलसी, मंजरी, जनैव, नाडा, वस्त्र, सभी प्रकार के फल एवं फूल, फुलहरा (प्राकृतिक फूलों से सजा), मां पार्वती के लिए सुहाग सामग्री – मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, बाजार में उपलब्ध सुहाग पुड़ा आदि, श्रीफल, कलश, अबीर, चन्दन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम, दीपक, घी, दही, शक्कर, दूध, शहद पंचामृत के लिए आदि।

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व्रत एवं त्यौहार

CHHATH POOJA 2024 : जानें कब से शुरू होगी छठी मैया की पूजा, जानिए इसे क्यों मनाते हैं

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मुंबई। त्रेतायुग में माता सीता और द्वापर युग में द्रौपदी ने भी रखा था छठ का व्रत रामायण की कहानी के अनुसार जब रावण का वध करके राम जी देवी सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या वापस लौटे थे, तो माता सीता ने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को व्रत रखकर कुल की सुख-शांति के लिए षष्ठी देवी और सूर्यदेव की आराधना की थी।

छठ पूजा क्यों मनाते है ?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा अर्चना और अर्घ्य देने से सुख-शांति, समृद्धि, संतान सुख और आरोग्य की प्राप्ति होती है। छठ पूजा को डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। छठ पर्व के दौरान प्रकृति के विभिन्न तत्वों जैसे जल, सूर्य, चंद्रमा आदि की पूजा की जाती है. यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है और हमें प्रकृति के संरक्षण का महत्व सिखाता है. छठ का व्रत बहुत कठिन होता है. व्रतधारी 36 घंटे तक बिना पानी पिए रहते हैं. साथ ही छठ पर्व सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है. इस पर्व के दौरान लोग मिलकर पूजा करते हैं, भोजन करते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं. इससे सामाजिक एकता और भाईचारा बढ़ता है.

छठ पर्व के 4 दिन

छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय.
छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना.
छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य.
छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण

 

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