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हेल्थ

हेपेटाइटिस-सी कर सकता है दिल को बीमार

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हेपेटाइटिस-सी कर सकता है दिल को बीमार

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हेपेटाइटिस-सी कर सकता है दिल को बीमारनई दिल्ली| इस समय पूरी दुनिया में लगभग 40 करोड़ लोग वायरल हैपेटाइटिस से पीड़ित हैं। लिवर की यह बीमारी एचआईवी, मलेरिया और टीबी से भी ज्यादा मौतों के लिए जिम्मेदार है। हर साल हेपेटाइटिस से 10.4 लाख लोग मौत के मुंह में चले जाते हैं। लेकिन सावधानी बरत कर हेपेटाइटिस को रोका जा सकता है। वर्ष 2014 की वल्र्ड हेल्थ एसेम्बली में 194 सरकारों ने वायरल हेपेटाइटिस की रोकथाम, जांच और इलाज के मसले को हल करने के लिए वैश्विक स्तर पर जागरुकता फैलाने पर अपनी सहमति दी थी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हेपेटाइटिस-बी और सी को खत्म करने के लिए वैश्विक योजना बनाई है। यह सच है कि हेपेटाइटिस-सी से लोगों के लिवर खराब होने का खतरा होता है। एक अध्ययन के मुताबिक, हेपेटाइटिस-सी का संक्रमण फैल कर दिल के लिए भी समस्या पैदा कर सकता है। अध्ययन इस बात के मजबूत प्रमाण देते हैं कि हेपेटाइटिस-सी से दिल की प्रणाली को नुकसान पहुंच सकता है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मानद महासचिव पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया कि लंबे समय से हेपेटाइटिस-सी से पीड़ित लोगों की रक्त धमनियों में चर्बी और कैल्शियम जम सकता है। उन्होंने बताया कि इसे एथ्रोसिलेसोरिसस कहा जाता है, जो दिल के दौरे और स्ट्रोक की शुरुआत है। इस बात के कारण का तो पता नहीं है कि संक्रमण से धमनियों में जमाव क्यों होने लगता है, लेकिन इस बात के प्रमाण काफी मजबूत हैं कि हेपेटाइटिस-सी के मरीजों में दिल के रोगों संबंधी लक्षणों की जांच होनी चाहिए।

वह कहते हैं कि यह अहम है कि ऐसे मरीजों के लिवर की जांच जरूर हो, लेकिन इसके साथ ही डॉक्टर को दिल के रोगों की जांच भी लगातार करते रहनी चाहिए। कोलेस्ट्रॉल और ग्लूकोज जैसी सालाना जांच, ब्लडप्रेशर की जांच और जीवनशैली से जुड़ी आदतें काफी मददगार साबित होती हैं। डॉ. अग्रवाल के मुताबिक, हेपेटाइटिस-सी रक्त के जरिए फैलने वाले वारयस से होने वाला संक्रमण है, जिसकी गंभीरता कई सप्ताह से लेकर जीवनभर तक रह सकती है। असुरक्षित सूई, मेडिकल उपकरणों के उचित स्टेरलाइजेशन न होने और बिना जांच के रक्त या रक्त तत्व चढ़ाने से हेपेटाइटिस सी हो सकता है।

इससे पीड़ित लोगों को लिवर सिरोसेस या लीवर कैंसर हो सकता है। वैसे तो 90 प्रतिशत मामलों में इस संक्रमण का इलाज एंटीवायरल दवाओं से हो सकता है, लेकिन हेपेटाइटिस-सी का कोई वैक्सीन नहीं है। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि जिन लोगों में हेपेटाइटिस-सी मौजूद हो, उनमें रक्त धमनियों के जाम होने की संभावना 50 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। अगर संक्रमण का अच्छे से ध्यान ना रखा जाए तो पूरे शरीर में सूजन फैल सकती है, जिससे रक्त धमनियों के क्षतिग्रस्त होने और दिल की समस्याएं होने का खतरा बढ़ सकता है।

वह कहते हैं कि अगर जांच और इलाज वक्त पर शुरू हो जाए तो हेपेटाइटिस-सी को सेहत पर बिना किसी गंभीर प्रभाव के आसानी से संभाला जा सकता है। यह जरूरी है कि पीड़ित व्यक्ति को डॉक्टर से इस बारे में खुलकर बात करनी चाहिए कि संक्रमण के प्रभावों से लिवर और दिल की प्रणाली को बचाने के लिए क्या किया जाए।

उनका सुझाव है कि दिल के रोग से बचने के लिए संतुलित ब्लडप्रेशर और रक्त में चर्बी का अनुपात बनाए रखना जरूरी है, लेकिन जिसे हेपेटाइटिस-सी हो, उसके लिए और बहुत कुछ करना जरूरी हो जाता है। हेपेटाइटिस-सी के वायरस के प्रभाव को कम करने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। कुछ सुझाव हैं :

* शराब से परहेज करें, क्योंकि इसके कारण वायरस तीव्र हो जाता है।

* एंटीवायरल कॉम्बीनेशन थैरेपी से लगभग 50 फीसदी लोग वायरस पर जीत हासिल कर लेते हैं।

* एंटीऑक्सीडेंट्स के साथ सेल्स को सेहतमंद रखें।

डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि संक्रमण को खुला छोड़कर दिल को प्रभावित करने देने की बजाय इसे रोकने के तरीकों पर काम करना आवश्यक है। साथ ही हेपेटाइटिस-सी के वायरस को रोकना लिवर और दिल दोनों के लिए फायदेमंद होगा।

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दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी

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नई दिल्ली। दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी का क्रम लगातार जारी है. अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में अकेले डेंगू के मरीजों में भारी संख्या में इजाफे की सूचना है. दिल्ली नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक साल 2024 में डेंगू के अब तक 4533 मरीज सामने आए हैं. इनमें 472 मरीज नवंबर माह के भी शामिल हैं.

एमसीडी की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में इस साल अब तक मलेरिया के 728 और चिकनगुनिया के 172 केस दर्ज हुए हैं.

डेंगू एक गंभीर वायरल संक्रमण है, जो एडीज़ मच्छर के काटने से फैलता है। इसके होने से मरीज को शरीर में कमजोरी लगने लगती है और प्लेटलेट्स डाउन होने लगते हैं। एक आम इंसान के शरीर में 3 से 4 लाख प्लेटलेट्स होते हैं। डेंगू से ये प्लेटलेट्स गिरते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि 10 हजार प्लेटलेट्स बचने पर मरीज बेचैन होने लगता है। ऐसे में लगातार मॉनीटरिंग जरूरी है।

डॉक्टरों के अनुसार, डेंगू के मरीज को विटामिन सी से भरपूर फल खिलाना सबसे लाभकारी माना जाता है। इस दौरान कीवी, नाशपाती और अन्य विटामिन सी से भरपूर फ्रूट्स खिलाने चाहिए। इसके अलावा मरीज को ज्यादा से ज्यादा लिक्विड डाइट देना चाहिए। इस दौरान मरीज को नारियल पानी भी पिलाना चाहिए। मरीज को ताजा घर का बना सूप और जूस दे सकते हैं।

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