उत्तराखंड
पारा चढ़ा तो दहकने लगे पहाड़
देहरादून। गर्मी का प्रकोप बढ़ने के साथ ही उत्तराखंड के जंगल एक बार फिर से दहकने लगे हैं। बुधवार को पौड़ी के स्मृति वन में धधकी आग ब्लाक दफ्तर तक पहुंच गई। ब्लॉक कर्मियों ने स्थानीय लोगों की मदद से तीन घंटे में आग पर काबू पाया। इसी तरह से कुमाऊं के जंगलों में भी आग लगने के समाचार हैं। हालांकि अधिकांश जगहों पर स्थानीय लोगों की मदद से आग पर काबू पा लिया गया है। इसके बावजूद वनों में आग लगने का सिलसिला थम नहीं रही है।
गौरतलब है कि पिछले एक महीने में लगभग 19 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र आग की भेंट चढ़ गये थे। आग पर काबू पाने के लिए वायुसेना के हेलीकॉप्टर का भी सहारा लेना पड़ा था, लेकिन आग पर काबू नहीं पाया जा सका। इसके बाद बारिश हो जाने के बाद आग पर काबू पाया जा सका। अब दोबारा पहाड़ में भी गरमी का प्रकोप है, ऐसे में कई स्थानों पर आग जोर पकड़ने लगी है। इस बीच वीरवार को भी मौसम से राहत नहीं मिली। देहरादून में गरमी का प्रकोप बना रहा और तापमान 41 डिग्री ही रहा। दोपहर को सड़कों पर वाहनों की कम आवाजाही और बाजारों में कम चहल-कदमी रही। पर्वतीय जनपदों में भी आसमान खुला रहा और घाटियों में गरमी का प्रकोप बना रहा। इस बार पर्वतीय इलाकों में भी भीषण गरमी पड़ रही है।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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