बिजनेस
आईडीएफसी बैंक ने आन्ध्र प्रदेश सरकार से की भागीदारी
देहरादून। आईडीएफसी बैंक ने आध्र प्रदेश सरकार से कृष्णा जिले के लिए भागीदारी की है ताकि अंतःप्रचालनीय एईपीएस (आधार एनेबल्ड पेमेंट सिस्टम) माइक्रो एटीएम कर प्रत्यक्ष लाभ हर गांव और शहर के नागरिकों तक पहुंच सके। यह भागीदारी जाम आधारित स्थानान्तरण (टेक्नोलाजी सक्षम स्थानांतरण लाभ जिन्हें प्रधानमंत्री जन धन योजना आधार मोबाइल नम्बर (जेएएम) का उपयोग कर उठाया जा सकता है। आईडीएफसी बैंक सामाजिक सुरक्षा पेशन्स और आने वाले दिनों में अन्य योजनाएं जैसे कि छात्रवृति, एलपीजी सब्सिडीज, मनेरगा लाभ इत्यादि को भी पहली बार प्रत्यक्ष स्थानान्तरण सुविधा भी पेश करने वाला है। इसके अंतःप्रचालनीय एईपीएस (आधार एनेबल्ड पेमेंट सिस्टम) माइक्रो एटीएम बड़े पैमाने पर जिले भर में एक केन्द्रीभूत आधार पर स्थापित किए जा रहे हैं।
आईडीएफसी बैंक शीघ्र ही इस माॅडल को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को शुरू करने के साथ ही पीडीएस को नकदी रहित तथा अगले स्तर पर भारत के ग्रामीण इलाकों में नकदी रहित डिजीटल बैंकिंग सेवा प्रदान करने वाला है। प्रथम अंतःप्रचालनीय सामाजिक सुरक्षा पेन्शन का भुगतान आईडीएफसी के एईपीएस माइक्रो एटीएम से 1 मई को कृष्णा जिले के गानापावरम, माल्यवरम मण्डल में श्री समदीपामू गुराव्य ने किया। आने वाले समय में करीब 32,000 पेन्शनधारक आईडीएफसी बैंक के माइक्रो एटीएम संरचना से मिलने वाले लाभों का प्रयोग करेंगे। निकट भविष्य में बैंकिंग सेवाओं का केन्द्रीभूत कवरेज आईडीएफसी द्वारा ग्राम स्तर पर उपलब्ध करवाया जाएगा और आशा है कि अकेले कृष्णा जिले के 46 लाख नागरिकों तक यह सेवा पहुंचेगी।
बैंक के माइक्रो एटीएम का स्वामित्व और परिचालन स्वयं सहायता समूह (एसएचजीएस) की महिला सदस्य करेंगी जिन्हें वित्तीय समर्थन आन्ध्र प्रदेश सरकार ने स्वीकृत किया है। आईडीएफसी बैंक ने कृष्णा जिला प्रशासन के साथ, इन महिलाओं की पहचान की, उन्हें प्रशिक्षित किया आकलन किया और एसएचजी सदस्यों को व्यक्तिगत बैंकिंग कारसपोण्डेन्ट (बीसीएस) का प्रमाण पत्र प्रदान किया। कुछ सदस्यों के लिए, माइक्रो एटीएम स्वामित्व उनके लिए एक माइक्रो उद्यमी के रूप में नई आजीविका का साधन बना है, जबकि अन्य के लिए यह एक नई राजस्व धारा बना है। एक आईडीएफसी माइक्रो एटीएम एजेंट ग्राहकों को पंचायत कार्यलय में उपलब्ध होगा( हर माह के पहले कुछ दिनों तक) और बाद में क्रमशः उनके घर/कार्यस्थल पर मिल सकेगा। यह माइक्रो एटीएम ग्राहकों को सभी बुनियादी बैंकिंग सेवाएं प्रदान करेंगे चाहे किसी भी बैंक जिनमें जमाएं, निकासी और स्थानांतरण सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
कृष्णा जिले के नागरिक अब अपने अधिकार अपने आसपास से ही आईडीएफसी द्वारा गांवों प्रेषित किए गए 500 में से किसी भी एक माइक्रो एटीएम से प्राप्त कर सकेंगे। इस अवसर पर आईडीएफसी बैंक के प्रबन्ध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी डाॅ. राजीव लाल ने कहा ‘‘कृष्णा जिले के लिए यह पहल एक मील का पत्थर साबित होगी जहां पर मील के आखिरी छोर तक वित्तीय सुविधा उपलब्ध हो सकेगी, यह केवल प्रौद्योगिक हस्तक्षेप के कारण ही संभव हो सका। हमारा जोर इस पर रहेगा कि जाम का लाभ कम से कम रिसाव, लाभान्वितों के कुशल लक्ष्यीकरण और बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण पर आधारित सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सभी को मिल सके। इस इनिशिएटिव से यह आशा की जाती है कि महिला उद्यमियों को स्थानीय समुदाय में प्रोत्साहन मिल सकेगा। यह आईडीएफसी बैंक के एक निजी बैंक होने के बावजूद सार्वजनिक उपयोग के लक्ष्य को रेखांकित करता है।‘‘
इस मौके पर कृष्णा के जिला कलेक्टर श्री बाबू ने कहा ‘कृष्णा जिला ऐसा पहला जिला है जिसे डायरेक्ट बेनिफिट आफ ट्रांसफर्स, जिसकी शुरूआत पेंशन के माध्यम से काफी मात्रा में जारी अंतःप्रचालनीय एईपीएस (आधार एनेबल्ड पेमेंट सिस्टम) माइक्रो एटीएम से प्राप्त हुई जिनका संचालन स्वयं सहायता समूह की सदस्य गांवों में कर रही हैं। हमें इस बात का अहसास है कि लोगों को अपने लाभ लेने के लिए बैंकों की शाखाओं और एटीएम तक जो उनके घरों से काफी दूरी पर हैं तक की यात्रा करनी पड़ रही थी जिसमें उनका काफी समय और पैसा दोनो ही व्यय होता था।‘
उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य सभी को बैंकिंग सेवाएं आसानी से उपलब्ध करवाना है, साथ ही इसमें पारदर्शिता लाने तथा रिसाव को रोकना भी है। हमारा मानना है कि डिजीटल ग्रामीण बैंकिंग से इस चिंता का समाधान हो सकेगा। आईडीएफसी बैंक के नवोन्मेशी और अंतःप्रचालनीय एईपीएस (आधार एनेबल्ड पेमेंट सिस्टम) माइक्रो एटीएम का लाभ अब उन्हें घर बैंठे किसी भी समय मिल सकेगा। इससे न केवल समय की बचत होगी अपितु धन और प्रयास की भी बचत होगी जो कि उन्हें पहले पैसा निकालते समय हुआ करती थी।
हमें इस बात की खुशी है कि आईडीएफसी बैंक ने हमारे दृष्टिकोण को साझा किया और हमारी इस यात्रा में शामिल होकर इस राज्य के सुदूर इलाकों में वित्तीय सुविधा उपलब्ध करवाई जो पहले कभी नहीं थी। आईडीएफसी बैंक के अंतःप्रचालनीय एईपीएस (आधार एनेबल्ड पेमेंट सिस्टम) माइक्रो एटीएम ऐसे काम करेंगे मानो ‘बैंक इन ए बाक्स हो’ इससे डिजीटल लेनदेन, निकासी, और करीब 3000 बैंकों के ग्राहकों को डीबीटी सुविधा मिल सकेगी। इससे तत्काल खाता खोलने की सुविधा और एक्टिवेशन, विभिन्न पहचान पत्र यथा आधार कार्ड आधारित प्रामणन, मोबाइल नंबरों, डेबिड कार्ड्स, बैंक खाता संख्या के आधार पर उपलब्ध हो सकेगी।
आईडीएफसी बैंक के बारे मेंः
आईडीएफसी बैंक भारत की शीर्ष एकीकृत इन्फ्रास्ट्रक्चर फायनेंस कम्पनी आईडीएफसी लि. की इकाई है। इसका मुख्यालय मुम्बई में है, आईडीएफसी बैक एक यूनिवर्सल बैंक है जो कि अपनी राष्ट्रव्यापी शाखाओं, इन्टरनेट और मोबाइल के माध्यम से वित्तीय समाधानों की पेशकश करता है। नई उम्र के बैंक की कल्पना के साथ आईडीएफसी बैंक ग्राहक अनुभव में एक नए मानदण्ड की स्थापना करना चाहता है, जिसके लिए वह प्रौद्योगिकी एवं सेवा आधारित दृष्टिकोण का प्रयोग कर रहा है ताकि बैंकिग आसान और सुगम, किसी भी समय कही से भी इसका उपयोग किया जा सके।
इस दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए आईडीएफसी की राष्ट्र निर्माण की परम्परा रही है, आईडीएफसी का ध्यान ग्रामीण असेवित समुदाय को अपनी सेवाएं उपलब्ध करवाने और स्वनियोजित को अपनी सेवाएं उपलब्ध करवाने पर है वहीं देश के संरचना क्षेत्र को भी इसका लगातार समर्थन है। आईडीएफसी कारपोरेट्स, व्यक्तिगत, लघु एवं सुक्ष्म उद्यमियों, व्यवसायियों, वित्तीय संस्थानों और सरकार को तदनुकूल वित्तीय समाधान प्रदान कर रहा है। श्रेष्ठ श्रेणी के कारपोरेट शासन, कठोर जोखिम प्रबन्धन, अनुभवी प्रबन्धन तथा विविधकृत टीम के साथ कार्यरत, आईडीएफसी बैंक अपने ग्राहकों एवं भागीदारों अपेक्षाओं का पूरा करने के लिए विशिष्ट रूप से तैयार है।
नेशनल
ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला
हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला
क्या है पूरा मामला ?
सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।
कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।
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