आध्यात्म
कृष्ण जन्म के लिए सज गया जगद्गुरु कृपालु परिषत् का भक्ति मंदिर, हर ओर ‘राधे-राधे’ की गूंज
मनगढ़। कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर दिनांक ( 03-09-2018) को भक्तिधाम मनगढ़ में प्रभु श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव कार्यक्रम बड़ी धूम-धाम से मनाया जा रहा है। इस विशाल कार्यक्रम का हिस्सा बनने दूर दराज से भक्त भक्ति मंदिर कुंडा प्रतापगढ़ में जुटने लगे हैं।
भगवान कृष्ण और राधारानी के आध्यात्म प्रेम को दर्शाने वाले और भव्यता के प्रतीक भक्ति मंदिर में जन्माष्टमी समारोह मनाया जा रहा है। बड़ी संख्या में भक्त राधे-राधे और श्यामा श्याम के जयकारों के बीच अपने आराध्य भगवान कृष्ण के जन्म की खुशी मना रहे हैं ।
मनगढ़ धाम के भक्ति मंदिर में जन्माष्टमी का भोर होते ही आज भारी संख्या में भक्त अपने आराध्य राधाकृष्ण के दर्शन के लिए आए हैं। सुगंधित एवं आकर्षक देशी-विदेशी पुष्पों से सजे हुए मंदिर में जगह-जगह पर बाल गोपाल की झाकियां लगाई गई हैं।
शाम को साढ़े चार बजे प्रभु राधाकृष्ण के आरती दर्शन के बाद मध्य रात्रि 12 बजे प्रभु कृष्ण का जन्म होगा। रात साढ़े 12 बजे बाल गोपाल का दूध, दही, घी, शहद और यमुना जल से महाभिषेक होगा। अभिषेक के बाद प्रभु कृष्ण के पट श्रृंगार के लिए बंद होंगे। पौने एक बजे वेद मंत्रोच्चारों और स्तुति गान के बीच प्रभु के पट फिर से खुलेंगे।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की आरती व पूजा में जगदगुरु कृपालु महाराज के वीडियो भक्तों को दिखाए जा रहे हैं, जिसमें महाराजश्री ने प्रभु कृष्ण के जन्मोत्सव के महत्व भक्तों को बताए थे।
आध्यात्म
आज है गोवर्धन पूजा, जानें पूजन विधि व शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) की जाती है। यानी दिवाली अगले दिन ये पर्व मनाया जाता है। इस साल गोवर्धन पूजा 2 नवंबर को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 1 नवंबर की शाम 6 बजकर 16 मिनट पर शुरू हो रही है और यह 2 नवंबर की रात 8 बजकर 21 मिनट पर खत्म होगी। इस तरह से गोवर्धन पूजा का सही दिन 2 नवंबर ही माना गया है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाती हैं और उसकी पूजा करती हैं।
गोवर्धन पूजा मुहूर्त
इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 23 मिनट से शाम 5 बजकर 35 मिनट तक है। इस समय पूजा करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
गोवर्धन पूजा विधि
गोवर्धन पूजा के दिन सुबह काल जल्दी उठकर स्नानादि करें। फिर शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से गिरिराज गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं और साथ ही पशुधन यानी गाय, बछड़े आदि की आकृति भी बनाएं।
इसके बाद धूप-दीप आदि से विधिवत पूजा करें। भगवान कृष्ण को दुग्ध से स्नान कराने के बाद उनका पूजन करें। इसके बाद अन्नकूट का भोग लगाएं।
गोवर्धन पूजा का महत्व
मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण के द्वारा ही सर्वप्रथम गोवर्धन पूजा आरंभ करवाई गई थी और गोवर्धन पर्वत तो अपनी उंगली पर उठाकर इंद्रदेव के क्रोध से ब्रज वासियों और पशु-पक्षियों की रक्षा की थी। गोवर्धन पूजा में गिरिराज के साथ कृष्ण जी के पूजन का भी विधान है। इस दिन अन्नकूट का विशेष महत्व माना जाता है।
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