आध्यात्म
5,000 विद्यार्थियों को बांटी गई स्टेशनरी, निर्धनों का सहारा बना जगद्गुरू कृपालु परिषत्
वृंदावन। जगद्गुरू कृपालु परिषत् के तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम में बुधवार 23 अगस्त 2018 को श्यामा श्याम धाम में निर्धन एवं असहाय व्यक्तियों व विधवाओं की सहायता करते हुए उन्हें प्रसाद व दैनिक उपयोगी वस्तुएं बांटी गईं और निर्धन विद्यार्थियों को शैक्षिक सामग्री और उपयोग की वस्तुएं बांटी।
इस क्रम में 23 अगस्त 2018 को वृंदावन स्थित प्रेम मंदिर प्रांगण में 37 विद्यालयों से आए लगभग 5,000 विद्यार्थियों को शैक्षिक सामग्री और उपयोग की वस्तुएं बांटी गईं। इसमें हर एक छात्र को नोटबुक, पेन, पेंसिल , ज्योमैट्री बॉक्स, रबर, शार्पनर, स्कूल बैग और एक एक टिफिन बॉक्स व पानी की बोतल भी प्रदान की गई।
कार्यक्रम में जगद्गुरू कृपालु परिषत् की तीनों अध्यक्षाओं डॉ. विशाखा त्रिपाठी, श्यामा त्रिपाठी और डॉ. कृष्णा त्रिपाठी ने सभी विद्यार्थियों को पढ़ाई के लिए उपयोगी सामान प्रदान किए और निर्धन एवं असहाय व्यक्तियों व विधवाओं की सहायता करते हुए उन्हें प्रसाद व दैनिक उपयोगी वस्तुएं बांटी।
इस कार्यक्रम में आए शिक्षक व शिक्षिकाओं को सम्मान करने के लिए उन्हें एक एक थाली व होट केस उपहार स्वरूप भेंट किया गया। जगद्गुरू कृपालु परिषत् की तीनों अध्यक्षाओं के निर्देशन व मार्गदर्शन में जेकेपी ट्रस्ट समय-समय पर ऐसी समाजसेवी गतिविधियां करता रहता है।
जगद्गुरू कृपालु परिषत् हर वर्ष स्कूली छात्राओं को ऐसे ही ज़रूरी सामान जैसे कि स्कूल की ड्रेस, जैकेट और स्टेशनरी जैसी कई वस्तुएं निशुल्क प्रदान करता है। इसके अलावा जेकेपी ट्रस्ट एलकेजी से कक्षा 12वीं तक, इसके साथ ही बीए, बीएससी, एमए, एमएससी में पढ़ाई करने वाले डिग्री कॉलेज के विद्यार्थियों को भी मुफ्त शिक्षा प्रदान करता है।
व्रत एवं त्यौहार
CHHATH POOJA 2024 : जानें कब से शुरू होगी छठी मैया की पूजा, जानिए इसे क्यों मनाते हैं
मुंबई। त्रेतायुग में माता सीता और द्वापर युग में द्रौपदी ने भी रखा था छठ का व्रत रामायण की कहानी के अनुसार जब रावण का वध करके राम जी देवी सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या वापस लौटे थे, तो माता सीता ने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को व्रत रखकर कुल की सुख-शांति के लिए षष्ठी देवी और सूर्यदेव की आराधना की थी।
छठ पूजा क्यों मनाते है ?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा अर्चना और अर्घ्य देने से सुख-शांति, समृद्धि, संतान सुख और आरोग्य की प्राप्ति होती है। छठ पूजा को डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। छठ पर्व के दौरान प्रकृति के विभिन्न तत्वों जैसे जल, सूर्य, चंद्रमा आदि की पूजा की जाती है. यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है और हमें प्रकृति के संरक्षण का महत्व सिखाता है. छठ का व्रत बहुत कठिन होता है. व्रतधारी 36 घंटे तक बिना पानी पिए रहते हैं. साथ ही छठ पर्व सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है. इस पर्व के दौरान लोग मिलकर पूजा करते हैं, भोजन करते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं. इससे सामाजिक एकता और भाईचारा बढ़ता है.
छठ पर्व के 4 दिन
छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय.
छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना.
छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य.
छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण
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