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मिलिए उस साध्वी से जो कर चुकी है हज यात्रा, आज है किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर

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कुंभ मेले में 14वें अखाड़े के रूप में किन्नर अखाड़े का नाम दर्ज हुआ है। इस किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर भवानी नाथ वाल्मीकि है, जो अपने आप में खास हैं। बता दें, वे दुनिया की ऐसी इकलौती साध्वी हैं जो मक्का-मदीना की यात्रा भी कर चुकी हैं और उनके पास महामंडलेश्वर की उपाधि भी है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मां भवानी नाथ चार साल पहले तक शबनम बेगम के नाम से जानी जाती थीं।

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आपको बता दें, साल 2010 में भवानी नाथ ने हिंदू धर्म छोड़कर इस्लाम कबूल किया था। उसके 5 साल बाद उन्होंने दोबारा हिंदू धर्म अपनाया। अखिल भारतीय हिंदू महासभा के किन्नर अखाड़े की साल 2016 में वे धर्मगुरु बनीं। साल 2017 में स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि दी।

उनकी निजी ज़िंदगी की बात करें, तो उनका जन्म दिल्ली में हुआ था। परिवार बेहद गरीब था। वो 8 भाई-बहन हैं। जब वो 10 साल की हुई, तो उन्हें पता चला कि वे किन्नर हैं। और स्कूल से उनका नाम काट दिया गया। 13 साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़ दिया और किन्नर समाज में चली गईं। वहां उनकी पहली गुरु नूरी बनीं। दुनिया के लिए वे शबनम बन गईं, जो दिल्ली के कुलीन वर्ग के घरों के दरवाजे पर गाने गाती थीं।

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वो कहती है कि भवानी के गुरु ने मुझे इस्लाम अपनाने का आदेश दिया। मैंने इस्लाम अपना लिया। एक मुस्लिम के रूप में मैंने इस्लाम के हर सिद्धांत का पालन किया। रमजान के दौरान रोजे रखे और 2012 में हज का भी मौका मिला।

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आगे उन्होंने बताया कि 2015 में उज्जैन कुंभ से पहले किन्नर अखाड़े की नींव रखी गई थी। लेकिन यह इतना आसान नहीं था। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने इसे एक अलग 14वें अखाड़े का दर्जा देने से इनकार कर दिया, जिससे उन्हें शाही स्नान में शामिल होने का मौका नहीं मिल सका। धीरे-धीरे 2017 तक किन्नर अखाड़े को पहचान और सम्मान मिला।

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मध्य प्रदेश के शहडोल में अनोखे बच्चों ने लिया जन्म, देखकर उड़े लोगों के होश

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शहडोल। मध्य प्रदेश के शहडोल से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां ऐसे बच्चों ने जन्म लिया है, जिनके 2 शरीर हैं लेकिन दिल एक ही है। बच्चों के जन्म के बाद से लोग हैरान भी हैं और इस बात की चिंता जता रहे हैं कि आने वाले समय में ये बच्चे कैसे सर्वाइव करेंगे।

क्या है पूरा मामला?

एमपी के शहडोल मेडिकल कालेज में 2 जिस्म लेकिन एक दिल वाले बच्चे पैदा हुए हैं। इन्हें जन्म देने वाली मां समेत परिवार के लोग परेशान हैं कि आने वाले समय में इन बच्चों का क्या भविष्य होगा। उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा कि शरीर से एक दूसरे से जुड़े इन बच्चों का वह कैसे पालन-पोषण करेंगे।

परिजनों को बच्चों के स्वास्थ्य की भी चिंता है। बच्चों को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है। मेडिकल कालेज प्रबंधन द्वारा इन्हें रीवा या जबलपुर भेजने की तैयारी की जा रही है, जिससे इनका उचित उपचार हो सके। ऐसे बच्चों को सीमंस ट्विन्स भी कहा जाता है।

जानकारी के अनुसार, अनूपपुर जिले के कोतमा निवासी वर्षा जोगी और पति रवि जोगी को ये संतान हुई है। प्रेग्नेंसी के दर्द के बाद परिजनों द्वारा महिला को मेडिकल कालेज लाया गया था। शाम करीब 6 बजे प्रसूता का सीजर किया गया, जिसमें एक ऐसे जुडवा बच्चों ने जन्म लिया, जिनके जिस्म दो अलग अलग थे लेकिन दिल एक ही है, जो जुड़ा हुआ है।

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