उत्तराखंड
पुनर्निर्माण के इंतजार में केदारघाटी के टूटे झूला पुल
देहरादून/रुद्रप्रयाग। आपदा के जख्म आज भी केदारघाटी में हरे के हरे हैं। इलाके में 18 झूला पुल थे जो आपदा की भेंट तो चढ़े पर अभी तक दोबारा नहीं बन पाए, इसमें प्रशासन की लापरवाही साफ देखी जा सकती है। केदारनाथ त्रासदी को तीन साल पूरे हो चुके हैं। इस बीच पुनर्निर्माण कार्यों के नाम कई काम हुए हैं।
लेकिन जमीनी हकीकत देखें तो आज भी सबकुछ सिफर दिखता है। मंदाकिनी घाटी में आज भी कई जगहों पर झूला पुलों का निर्माण नहीं हो पाया है।
समस्या जस की तस बनी हुई है। जैसे ही बरसाती मौसम शुरू होता है, वैसे ही यहां का जनमानस इन तारों पर निर्भर होना शुरू हो जाता है, जिसमें मौत रूपी दानव देखा जा सकता है।
हर रोज हजारों की आबादी मंदाकिनी नदी पार करती है, लेकिन झूला पुलों का निर्माण न होने से लोगों को ट्रालियों का सहारा लेना पड़ता है।
प्रशासन ने जो अस्थाई पुल मंदाकनी नदी पर लगाए थे मानसून के आते ही वो तेज बहाव में बह गए, जबकि कुछ विभाग द्वारा हटा दिए गए।
झूला पुलों के निर्माण में हो रही देरी के पीछे सीधे तौर से संबंधित विभाग जिम्मेदार है। अभी तक झूला पुलों का दस फीसदी कार्य भी पूरा नहीं हुआ है।
जो ट्रालियां संचालित की जा रही हैं, उनकी स्थिति भी बदहाल है। खुद ट्राली संचालकों का कहना है कि जनता बेहद परेशान रहती है, विभागीय अधिकारी सुनने को राजी नहीं हैं।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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