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उत्तराखंड

केदारनाथ आपदा के तीन साल बाद भी नहीं बन पाये बहे झूला पुल

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केदारनाथ आपदा, तीन साल बाद भी नहीं बना झूलापुल, विजयनगर से कालीमठ घाटी

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केदारनाथ आपदा, तीन साल बाद भी नहीं बना झूलापुल, विजयनगर से कालीमठ घाटी

Hanging Bridge Washed

देहरादून/रुद्रप्रयाग। केदारनाथ आपदा के पीड़ित तीन साल बाद भी झूलापुल के लिए तरस रहे हैं। विजयनगर से लेकर कालीमठ घाटी तक झूलापुलों का निर्माण नहीं हो पाया है। केदारनाथ आपदा में बहे पुलों के निर्माण का कार्य आज तक पूरा नहीं हो पाया है। करोड़ों रुपये खर्च तो किये गये, मगर जनता को राहत नहीं मिल पाई है। किसी तरह ट्राली या फिर कच्चे पुलों के सहारे लोग आवागमन करने को मजबूर हैं।

आपदा के तीन वर्ष बाद भी केदारघाटी में झूलापुलों के न बनने से बरसात में प्रभावित क्षेत्र की जनता की मुश्किलें बढ़ गई हैं। विजयनगर में मंदाकिनी नदी के ऊपर लोक निर्माण विभाग ऊखीमठ ने अस्थाई लोहे की पुलिया लगा रखी है, लेकिन नदी का जल स्तर बढ़ने से पुलिया पर संकट के बादल मंडराने लग गये हैं। यह पुलिया कभी भी धराशाई हो सकती है।

पुलिया के आधार स्तंभ तेज बहाव में कभी भी ढह सकते हैं। इतना ही नहीं पुलिया के ऊपर मजबूत टिन के बजाय विभाग ने पत्थर एवं सड़ी-गली टिन डाली है, जिससे कभी भी कोई दुर्घटना घट सकती है। नगर पंचायत अगस्त्यमुनि के अध्यक्ष अशोक खत्री ने कहा कि विजयनगर में बनाई गई पुलिया कभी भी नदी के तेज बहाव में ढह सकती है। आपदा के तीन साल बाद भी पुल का निर्माण न होने से जनता की दिक्कतें कम होने के बजाय बढ़ रही हैं।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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