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आध्यात्म

KumbhMela2019 : कुंभ जा रहे हैं तो जरूर घूमिए प्रयागराज की ये खास जगहें

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कुंभ महापर्व के लिए संगम की नगरी प्रयागराज में श्रद्धालु जुटने लगे हैं। इस शहर में कई तीर्थस्थल और दर्शनीय स्थल हैं। अगर आप भी प्रयागराज में कुंभ मेले का हिस्सा बनने जा रहे हैं, तो प्रयागराज में इन चुनिंदा जगहों पर एक बार जरूर घूमने जाएं।

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स्वराज भवन – स्वराज भवन नेहरू परिवार की संपत्ति थी। अब स्वराज भवन प्रयागराज के पर्यटक स्थलों में शुमार हो गया है।

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आनंद भवन – नेहरू परिवार का आवास रहा आनंद भवन अब एक म्यूजियम में तब्दील हो चुका है। प्रयागराज जाने वाले पर्यटक आनंद भवन जरूर जाते हैं।

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संकटमोचन हनुमान मंदिर – संकटमोचन हनुमान मंदिर दारागंज मोहल्ले में गंगा जी के किनारे है। यह कहा जाता है कि संत समर्थ गुरू रामदास जी ने यहां भगवान हनुमान जी की मूर्ति स्थापित की थी।

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चंद्रशेखर आजाद पार्क – यह प्रयागराज का सबसे बड़ा पार्क है. इसे पहले अल्फ्रेड पार्क के नाम से जाना जाता था।

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भारद्वाज आश्रम – कहा जाता है कि इस आश्रम में भगवान राम अपने वनवास पर चित्रकूट जाते समय सीता जी एवं लक्ष्मण जी के साथ आए थे।

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खुसरो बाग – खुसरोबाग एक विशाल ऐतिहासिक बाग है। चारदीवारी के भीतर इस खूबसूरत बाग में बलुई पत्थरों से बने मकबरे मुगल वास्तुकला के बेहतरीन उदाहरण हैं। एक दीवार वाले इस उद्यान में 17वीं शताब्दी में निर्मित चार महत्वपूर्ण मुगल कब्रें हैं।

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श्री वेणी माधव मंदिर – मान्यता है कि ब्रह्मा जी प्रयागराज की धरती पर जब यज्ञ कर रहे थे, तब उन्होंने प्रयागराज की सुरक्षा हेतु भगवान विष्णु से प्रार्थना कर उनके बारह स्वरूपों की स्थापना करवाई थी।

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शंकर विमान मण्डपम – यह मंदिर दक्षिण भारतीय शैली में बना हुआ है। मंदिर चार स्तम्भों पर निर्मित है।

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मनकामेश्वर मंदिर – किला के पश्चिम यमुना तट पर मिन्टो पार्क के निकट यह मंदिर स्थित है। यहां काले पत्थर की भगवान शिव का एक लिंग और गणेश एवं नंदी की मूर्तियां हैं।

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श्री अखिलेश्वर महादेव – चिन्मय मिशन के अधीन प्रयागराज में रसूलाबाद घाट के निकट 500 वर्ग फिट के लगभग एक क्षेत्र में श्री अखिलेश्वर महादेव संकुल फैला हुआ है।

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पब्लिक लाइब्रेरी – शहर की सबसे पुरानी लाइब्रेरी चन्द्रशेखर आजाद पार्क परिसर के भीतर स्थित है। इसमें ऐतिहासिक पुस्तकों, पाण्डुलिपियों एवं पत्रिकाओं का संग्रह है।

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इलाहाबाद विश्वविद्यालय – इलाहाबाद विश्वविद्यालय को ‘पूर्व का ऑक्सफोर्ड’ कहा जाता है। यह कलकत्ता, बाम्बे और मद्रास विश्वविद्यालय के बाद चौथा पुराना विश्वविद्यालय है।

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विक्टोरिया स्मारक – रानी विक्टोरिया को समर्पित इटालियन चूना पत्थर से निर्मित यह स्मारक स्थापत्य कला का एक जीवंत उदाहरण है।

व्रत एवं त्यौहार

CHHATH POOJA 2024 : जानें कब से शुरू होगी छठी मैया की पूजा, जानिए इसे क्यों मनाते हैं

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मुंबई। त्रेतायुग में माता सीता और द्वापर युग में द्रौपदी ने भी रखा था छठ का व्रत रामायण की कहानी के अनुसार जब रावण का वध करके राम जी देवी सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या वापस लौटे थे, तो माता सीता ने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को व्रत रखकर कुल की सुख-शांति के लिए षष्ठी देवी और सूर्यदेव की आराधना की थी।

छठ पूजा क्यों मनाते है ?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा अर्चना और अर्घ्य देने से सुख-शांति, समृद्धि, संतान सुख और आरोग्य की प्राप्ति होती है। छठ पूजा को डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। छठ पर्व के दौरान प्रकृति के विभिन्न तत्वों जैसे जल, सूर्य, चंद्रमा आदि की पूजा की जाती है. यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है और हमें प्रकृति के संरक्षण का महत्व सिखाता है. छठ का व्रत बहुत कठिन होता है. व्रतधारी 36 घंटे तक बिना पानी पिए रहते हैं. साथ ही छठ पर्व सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है. इस पर्व के दौरान लोग मिलकर पूजा करते हैं, भोजन करते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं. इससे सामाजिक एकता और भाईचारा बढ़ता है.

छठ पर्व के 4 दिन

छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय.
छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना.
छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य.
छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण

 

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