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प्रादेशिक

भाजपा सांसद के जूता कांड के बाद यूपी में फल-फूल रहा ये उद्योग

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रिपोर्ट-मोहम्मद कामरान

उत्तर प्रदेश की सियासत से देश की सियासत चमकती है ! मोदी है तो मुमकिन और योगी है तभी संभव है !! हिंदुस्तान की जनता के लिए ये एक स्वर्णिम युग है, जहां देश को विकास के एक नए आयाम पर पहुंचने का काम हम सबके चमत्कारी, युवाओं के लोकप्रिय फैशन आइकॉन, कभी चायवाला, कभी चौकीदार के किरदार को बाखूबी निभाते हुए हमारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री जी ने किया है, उसे न तो देश भुला सकता है और न ही इतिहास।
कहते हैं 1 और 1 ग्यारह होता है लेकिन हमारे प्रिय मोदी जी के साथ तो 1 और 1 मिलकर असंख्य हो जाता है। असीम शक्तिशाली इस गठजोड़ को उत्तर प्रदेश की सियासत से जोड़ कर देखा जा सकता है, मोदी जी की लोकप्रियता से जनता द्वारा प्रचंड बहुमत से देश मे सरकार बनाई वही योगी जी की बुद्धिमता और दूरदृष्टि से आज उत्तर प्रदेश की सरकार द्वारा जो कार्य प्रदेश की जनता के लिए किए जा रहे है उसके दूरगामी परिणाम दिखने लगे है। उत्तर प्रदेश इन्वेस्टर्स समिट से शुरू किया गया उत्तर प्रदेश का विकास प्रयागराज के कुंभ में स्नान कर चमक उठा है, ये पहली बार हुआ है कि देश के प्रधानमंत्री द्वारा सार्वजनिक रूप से सफाईकर्मियों के पैरों को धो कर देश की किस्मत को चमकाने का प्रयास किया गया है।

एक तरफ प्रधानमंत्री जी पैर धो कर सामाजिक एकजुटता का संदेश दे रहे थे वही दूसरे राजनीतिक दल केरल प्रदेश में हाथों में जूता लेकर दिखावे का ढोंग रच रहे थे। उत्तर प्रदेश यहां भी आगे रहा, हमारे प्रदेश के लोकप्रिय सांसद ने पूरे देश की जनता को जूते के सही इस्तेमाल के बारे में न सिर्फ बताया बल्कि करके दिखाया है। ये सिर्फ हमारे उत्तर प्रदेश में ही संभव हो पाया, जिसके बाद उत्तर प्रदेश में जूता उद्योग को बढ़ावा देने के लिए अंतराष्ट्रीय स्तर पर सम्मेलन हुए और जल्द ही जूते के नए नए मॉडल्स अंतरराष्ट्रीय बाजार में दिखाई देंगे।

सिर्फ जूते में हीं नही उत्तर प्रदेश ने जनपदों के नाम बदलने में भी बड़ी सफलता की है, कम समय में ही हमने सालों पुराने इतिहास को बदल दिया है, इसलिए देश के कई बड़े कद्दावर नेता अगर द्वेष की भावना रखे तो इसमें कोई आश्चर्य नही होना चाहिए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की बढ़ती लोकप्रियता और आम जन-मानस में उनकी मृदु भाषा के चलते एक पहचान जो पूरे देश मे बन गयी है वो केंद्रीय मंत्रियों को हज़म नही हो रही है, और मोदी और योगी के इस गठजोड़ को बर्दाश्त नही कर पा रहे है।

पूरा देश और मीडिया जनता है, मोदी है तो मुमकिन है, ये तराना आज देश के बच्चे बच्चे की ज़ुबान पर है। एक दौर था जब मां बच्चे से कहती थी सो जाओ वरना गब्बर सिंह आ जायेगा, आज का दौर बदल गया है। कानून व्यवस्था, अमन चैन, उज्जवला योजना, जन धन योजना, नोटबन्दी, स्वच्छ्ता अभियान से चारो तरफ फैले विकास के उजाले में जब खुले में शौच न जाकर बंद दरवाजों के बीच शौच के लिए बच्चा हाथ मे jio mobile लेकर निकलता है तो मां कहती है “मोदी है तो मुमकिन है”। उत्तर प्रदेश के चहुँमुखी विकास के लिए यहां की जनता कहती है योगी है तभी संभव है, ऐसे में अगर योगी जी ने यह कह दिया “मोदी की सेना” तो गद्दार क्यों कहा गया, कह दिया था तो समाचार पत्रों में छपवाने की साजिश, सारा देश जनता है मीडिया कितना जागरूक है, सोच समझ कर छापता है, फिर भी छप गया, साजिश नही है तो और क्या है, अब जिसने कहा है उसे पाकिस्तान भी नही भेज सकते, उसके घर पर प्रदर्शन भी नही कर सकते लेकिन वो लोग तब कहा थे जब मोदी जी खामोश थे, सेना खामोश थी, पुलवामा पर जवानों की शहादत पर हवाई हमले पर कोई भी आधिकारिक रूप से बोलने से बच रहा था, पूरे देश के किसी भी प्रदेश से कोई आवाज़ नही आ रही थी ।

उत्तर प्रदेश में चारो तरफ पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे बुलंद थे और मात्र कुछ घंटों में ही प्रदेश की जनता ने 400 से अधिक पाकिस्तान के झंडे जला दिए ऐसे में हमारे प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी जी ने ही कहा था हवाई हमले में 400 आतंकियों को मारा गया, न मीडिया ने सच के आंकड़े बताए, न ही केंद्रीय मंत्रिमंडल के किसी मंत्री ने, न ही किसी अन्य प्रदेश से आवाज़ आयी, उस वक़्त भी योगी जी की आवाज़ निकली थी जिसे कुछ दिनों बाद ही केंद्रीय नेतृत्व के बड़े नेता ने 250 का आंकड़ा बता कर योगी जी को झुठलाने का प्रयास किया गया, तब किसी ने गद्दार कहने का साहस नही दिखाया , अब लोकसभा के चुनाव के वक़्त योगीजी से किस बात का डर जो ऐसा किया जा रहा है, देश की जनता को एक विकल्प दिख रहा है जिससे घबरा कर ऐसे बयान दिए जा रहे है, लेकिन ऐसे बयान देने वालों को इतिहास याद रखना होगा, देश की सियासत की बागडोर उत्तर प्रदेश के हाथों से ही चलती रही है और वक़्त दूर नही जब एक बार फिर इतिहास दुहरायेगा और उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय नेता देश को विकास को नई राह देते नजर आएंगे ।

उत्तर प्रदेश

जन महत्व की परियोजनाओं में समयबद्धता-गुणवत्ता से समझौता नहीं, गड़बड़ी मिली तो जेई से लेकर चीफ इंजीनियर तक सब की जवाबदेही तय होगी: मुख्यमंत्री

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● मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने सोमवार को लोक निर्माण विभाग की विभिन्न परियोजनाओं की अद्यतन स्थिति की समीक्षा की और निर्माणकार्यों की समयबद्धता और गुणवत्ता सुनिश्चित करते हुए विभिन्न आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। *बैठक में मुख्यमंत्री जी द्वारा दिए गए प्रमुख दिशा-निर्देश:- *

● सड़क निर्माण की परियोजना तैयार करते समय स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखें। प्रत्येक परियोजना के लिए समयबद्धता और गुणवत्ता अनिवार्य शर्त है, इससे समझौता नहीं किया जा सकता। गड़बड़ी पर जेई से लेकर चीफ इंजीनियर तक सबकी जवाबदेही तय होगी। एग्रीमेंट के नियमों का उल्लंघन होगा तो कांट्रेक्टर/फर्म को ब्लैकलिस्ट होगा और कठोर कार्रवाई भी होगी। पेटी कॉन्ट्रेक्टर/सबलेट की व्यवस्था स्वीकार नहीं की जानी चाहिए।

● DPR को अंतिम रूप देने के साथ ही कार्य प्रारंभ करने और समाप्त होने की तिथि सुनिश्चित कर ली जानी चाहिए और फिर इसका कड़ाई से अनुपालन किया जाए। बजट की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। पूर्ण हो चुके कार्यों की थर्ड पार्टी ऑडिट भी कराई जाए।

● सड़क और सेतु हो अथवा आमजन से जुड़ी अन्य निर्माण परियोजनाएं, स्वीकृति देने से पहले उसकी लोक महत्ता का आंकलन जरूर किया जाए। विकास में संतुलन सबसे आवश्यक है। पहले आवश्यकता की परख करें, प्राथमिकता तय करें, फिर मेरिट के आधार पर किसी सड़क अथवा सेतु निर्माण की स्वीकृति दें। विकास कार्यों का लाभ सभी 75 जनपदों को मिले।

● दीन दयाल उपाध्याय तहसील/ब्लाक मुख्यालय योजना अंतर्गत प्रदेश के समस्त तहसील/ब्लॉक मुख्यालय को जिला मुख्यालय से न्यूनतम दो लेन मार्गों से जोड़े जाने का कार्य तेजी से पूरा किया जाए। एक भी तहसील-एक भी ब्लॉक इससे अछूता न रहे।

● प्रदेश के अंतरराज्यीय तथा अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भव्य ‘मैत्री द्वार’ बनाने का कार्य तेजी के साथ पूरा कराएं। जहां भूमि की अनुपलब्धता हो, तत्काल स्थानीय प्रशासन से संपर्क करें। द्वार सीमा पर ही बनाए जाएं। यह आकर्षक हों, यहां प्रकाश व्यवस्था भी अच्छी हो। अब तक 96 मार्गों पर प्रवेश द्वार पूर्ण/निर्माणाधीन हैं। अवशेष मार्गों पर प्रवेश द्वार निर्माण की कार्यवाही यथाशीघ्र पूरी कर ली जाए।
● गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग विभाग की सड़कों का निर्माण अब लोक निर्माण विभाग द्वारा ही किया जा रहा है। यह किसानों-व्यापारियों के हित से जुड़ा प्रकरण है, इसे प्राथमिकता दें। यहां गड्ढे नहीं होने चाहिए।अभी लगभग 6000 किमी सड़कों का पुनर्निर्माण/चौड़ीकरण/सुदृढ़ीकरण किया जाना है। इन्हें एफडीआर तकनीक से बनाया जाना चाहिए। इसके लिए बजट की कमी नहीं होने दी जाएगी।

● धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मार्गों पर अच्छी सड़कें हों, पर्यटकों/श्रद्धालुओं को आवागमन में सुविधा हो, सड़कों के निर्माण/चौड़ीकरण किये जा रहे हैं। इसमें प्रत्येक जिले के सिख, बौद्ध, जैन, वाल्मीकि, रविदासी, कबीरपंथी सहित सभी पंथों/ संप्रदायों के धार्मिक/ऐतिहासिक/पौराणिक महत्व के स्थलों को जोड़ा जाए। मार्ग का चयन मानक के अनुरूप ही हो। जनप्रतिनिधियों से प्राप्त प्रस्ताव के आधार पर धर्मार्थ कार्य विभाग और संबंधित जिलाधिकारी के सहयोग से इसे समय से पूरा कराएं।

● सड़क निर्माण/चौड़ीकरण/सुदृढ़ीकरण के कार्यों में पर्यावरण संरक्षण की भावना का पूरा ध्यान रखा जाए। कहीं भी अनावश्यक वृक्ष नहीं कटने चाहिए। सड़क निर्माण की कार्ययोजना में मार्ग के बीच आने वाले वृक्षों के संरक्षण को अनिवार्य रूप से सम्मिलित करें।

● देवरिया-बरहज मार्ग का सुदृढ़ीकरण किया जाना आवश्यक है। इस संबंध में आवश्यक प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत करें।

● औद्योगिक विकास विभाग, एमएसएमई एवं जैव ऊर्जा विभाग द्वारा डिफेंस कॉरिडोर, औ‌द्योगिक लॉजिस्टिक्स पार्क, औ‌द्योगिक क्षेत्र और प्लेज पार्क योजना जैसी बड़े महत्व की योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। इन औद्योगिक क्षेत्रों तक आने-जाने के लिए चयनित मार्गों को यथासंभव फोर लेन मार्ग से जोड़ा जाना चाहिए।

● ऐसे राज्य मार्ग जो वर्तमान में दो-लेन एवं दो-लेन से कम चौड़े हैं उन्हें लोक महत्ता के अनुरूप न्यूनतम दो-लेन विद पेव्ड शोल्डर की चौड़ाई में निर्माण किया जाना चाहिए।

● सभी विधानसभाओं के प्रमुख जिला मार्गों को न्यूनतम दो-लेन (7 मीटर) एवं अन्य जिला मार्गों को न्यूनतम डेढ़-लेन (5.50 मीटर) चौडाई में निर्माण कराया जाए। जनप्रतिनिधियों से प्रस्ताव लें, प्राथमिकता तय करें और कार्य प्रारंभ कराएं।

● क्षतिग्रस्त सेतु, जनता द्वारा निर्मित अस्थाई पुल, संकरे पुल, बाढ़ के कारण प्रायः क्षतिग्रस्त होने वाले मार्गों पर पुल तथा सार्वजनिक, धार्मिक एवं पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण मार्गों पर सेतु निर्माण को प्राथमिकता में रखें। हर विधानसभा में जरूरत के अनुसार 03 लघु सेतुओं के निर्माण की कार्ययोजना तैयार करें।

● जहां भी दीर्घ सेतु क्षतिग्रस्त हैं, उन्हें तत्काल ठीक कराया जाए। सभी जिलों से प्रस्ताव लें, जहां दीर्घ सेतु की आवश्यकता हो, कार्ययोजना में सम्मिलित करें। शहरी क्षेत्रों में क्षतिग्रस्त/संकरे सेतुओं के स्थान पर नये सेतुओं का निर्माण कराया जाना आवश्यक है। इसका लाभ सभी जिलों को मिलना चाहिए।

● रेल ओवरब्रिज/रेल अंडरब्रिज से जुड़े प्रस्तावों को तत्काल भारत सरकार को भेजें। राज्य सरकार द्वारा इसमें हर जरूरी सहयोग किया जाए।

● शहरों की घनी आबादी को जाम से मुक्ति दिलाने हेतु बाईपास रिंगरोड/फ्लाईओवर निर्माण कराया जाना चाहिए। निर्माण कार्य का प्रस्ताव शहर/कस्बे की आबादी एवं प्राथमिकता के आधार पर तैयार किया जाए।

● वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर ऐसी बसावट/ग्राम जिसकी आबादी 250 से अधिक हो तथा मार्ग की लम्बाई 1.00 किमी या उससे अधिक हो, उन्हें एकल कनेक्टिीविटी प्रदान किये जाने हेतु संपर्क मार्ग का निर्माण कराया जाए। इसी प्रकार, दो ग्रामों/बसावों को जिनकी आबादी 250 से अधिक है, को इंटर-कनेक्टिविटी प्रदान किये जाने हेतु सम्पर्क मार्ग का निर्माण भी हो। इसके लिए सर्वे कराएं, आवश्यकता को परखें, फिर निर्णय लें।

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