नेशनल
नासा की तस्वीर के ये लाल डॉट निशान भारत के लिए खतरा तो नहीं!
यह तस्वीर आप देख रहे हैं, ये भारत के नक्शे की तस्वीर है। इसें अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) ने जारी किया है। इस खूबसूरत तस्वीर में एक बात आपको काफी आकर्षित कर रही होगी, वो यह है उस पर लगे लाल डाट के निशान।
लाल निशान वैसे भी खतरे की घंटी होती है। और यह लाल डाट निशान भी भारत के लिए एक खतरे की घंटी का सूचक है। इस लाल डॉट का मतलब यह है इन स्थानों पर आग लगी है या आग लगने जैसा कोई काम हो रहा है। अब आपको कुछ बात समझ आ रही होगी। देश का एक बड़ा हिस्सा आग से झुलसा रहा है और ढेर सारा धुआं वातावरण को प्रदूषित कर रहा है।
इस तस्वीर में अधिकतर लाल डॉट निशान उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और कुछ दक्षिणी राज्यों के हैं। जहां आग अधिक लगी हुई है। नासा ने भारत की यह तस्वीर दस दिनों तक लगातार फोटो क्लिक कर साझा किया है।
वैसे तस्वीर में दिख रहे रेड डॉट जंगलों में लगी आग भी हो सकती है पर इसमें अधिकतर आग फसलों के अवशेष को जलाने की वजह से है। ऐसा नासा का मानना है।
नासा के गॉडडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर स्थित रिसर्च साइंटिस्ट हिरेन जेठवा के अनुसार, मध्य भारत में आग के ऐसे निशान दिखने की वजह जंगलों की आग नहीं बल्कि किसानों द्वारा फसलों के अवशेष जलाया जाना है। क्योंकि जंगल की आग आमतौर पर अनियंत्रित होती है और इसलिए अधिक धुंआ और धुंध पैदा करती है।
इस तस्वीर में दिखाई दे रही आग गेहूं और धान की कटाई के बाद बचे अवशेषों में लगाई गई आग की है। धान की पराली पशुओं के चारे के तौर पर अच्छा विकल्प नहीं माना जाता था, इसलिए किसान धान की पराली को खेत में ही जला देते थे।
अब गेहूं की फसल के अवशेष को भी जलाना किसानों ने शुरू कर दिया है। भारत में किसान दो तरह से कटाई करते हैं। एक हाथ से दूसरा कंबाइन हारवेस्टर से। पर खेतिहर मजदूरों की कमी से कटाई के लिए हार्वेस्टर का ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है, यह कटाई का तेज और सस्ता तरीका है जिसके बाद मिट्टी को धान के लिए तैयार किया जाता है।
पिछले साल दिल्ली सहित पंजाब में धुंध का कहर था। देश की राजधानी दिल्ली में लोगों को सांस तक लेने में दिक्कत आई थी। इसके बाद एनजीटी ने पड़ोसी राज्यों को पराली जलाने से मना किया था।
आर्थिक सर्वेक्षण 2018 के अनुसार खेती में मशीनीकरण लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 1960-61 में लगभग 93 फीसदी खेती में पशुओं का इस्तेमाल होता था, जो अब घटकर 10 फीसदी रह गया है। खेती में मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल स्रोतों का इस्तेमाल 7 फीसदी से बढ़कर 90 फीसदी हो गया है।
नेशनल
गैस चेंबर बनी दिल्ली, AQI 500 तक पहुंचा
नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। दरअसल दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर बदतर स्थिति में है। अगर श्रेणी के आधार पर बात करें तो दिल्ली में प्रदूषण गंभीर स्थिति में बना हुआ है। कल जहां एक्यूआई 470 था तो वहीं आज एक्यूआई 494 पहुंच चुका है। दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में एक्यूआई के आंकड़ें आ चुके हैं। अलीपुर में 500, आनंद विहार में 500, बवाना में 500 के स्तर पर एक्यूआई बना हुआ है।
कहां-कितना है एक्यूआई
अगर वायु गुणवत्ता की बात करें तो अलीपुर में 500, बवाना में 500, आनंद विहार में 500, डीटीयू में 496, द्वारका सेक्टर 8 में 496, दिलशाद गार्डन में 500, आईटीओ में 386, जहांगीरपुरी में 500, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 500, लोधी रोड में 493, मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम 499, मंदिर मार्ग में 500, मुंडका में 500 और नजफगढ़ में 491 एक्यूआई पहुंच चुका है। दिल्ली की वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। ऐसे में दिल्ली में ग्रेप 4 को लागू कर दिया गया है। इस कारण दिल्ली के अलावा नोएडा, गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ में स्कूलों को बंद कर दिया गया है और ऑनलाइन माध्यम से अब क्लासेस चलाए जाएंगे।
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