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“दिल के मरीजों के लिए वरदान स्टेंट की देश में हो सकती है भारी कमी”

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दिल के मरीजों के लिए वरदान स्टेंट की देश में भारी कमी हो सकती है। भारत में हर साल करीब छह लाख स्टेंट बिकते हैं। पर स्टेंट की कीमत पर सरकार के नियंत्रण की वजह से बहुत सारी कंपनियों ने बेहतर गुणवत्ता वाले आधुनिक स्टेंट को भारतीय बाजार से हटा लिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार के इस कदम से आने वाले महीनों में स्टेंट का संकट पैदा हो सकता है।

स्टेंट हृदय की धमनियों की रुकावट दूर करने के लिए व्यापकतौर पर उपयोग में लाया जाता है। स्टेंट की कीमत पर सरकार का नियंत्रण है, जिस वजह से स्टेंट के दाम में भारी कमी आई है।

विशेषज्ञों का कहना है कि स्टेंट के दामों पर सरकार के नियंत्रण के कारण ज्यादातर कंपनियों ने बेहतर गुणवत्ता वाले आधुनिक स्टेंट को भारतीय बाजार से हटा लिया, जबकि कुछ और कंपनियां कुछ महीनों के भीतर अपने स्टेंट हटाने वाली हैं, क्योंकि उन्हें लागत की भरपाई करने में मुश्किल हो रही है।

सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ हॉस्पिटल के वरिष्ठ इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. दिनेश नायर ने शुक्रवार को यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, स्टेंट की कीमत पर सरकार के नियंत्रण के कारण भारत में निम्न गुणवत्ता वाले स्टेंट का उपयोग होने लगा है और इसके कारण हृदय रोगों के उपचार के परिणाम में गिरावट आई और इसका लाभ सिंगापुर जैसे देशों के अस्पतालों को मिलने लगा है, जहां अब पहले की तुलना में करीब 20 प्रतिशत अधिक भारतीय मरीज पहुंचने लगे हैं। यही नहीं, बेहतर इलाज के लिए भारत आने वाले पड़ोसी देशों के मरीज भी अब दूसरे देशों का रुख करने लगे हैं।

डॉ. नायर ने कहा कि नई पीढ़ी के आधुनिक स्टेंट की तुलना में पुरानी पीढ़ी के स्टेंट हृदय धमनियों में जटिल रुकावटों को दूर करने में उतने कारगर नहीं हो सकते हैं।

एक अनुमान के अनुसार, भारत में हर साल करीब छह लाख स्टेंट बिकते हैं। गौरतलब है कि नेशनल फर्मास्युटिकल प्राइसिंग अॅथारिटी (एनपीपीए) ने गत वर्ष फरवरी में हृदय धमनियों में लगाए जाने वाले स्टेंट की कीमत में 85 प्रतिशत की कमी कर दी, जिसके कारण स्टेंट की कीमत घटकर 29,600 रुपए हो गई। हालांकि स्टेंट की कीमत में कमी के बावजूद भारत में एंजियोप्लास्टी पर होने वाले खर्च में कोई खास कमी नहीं आई, क्योंकि ज्यादातर अस्पतालों ने अन्य मदों पर अधिक शुल्क लगाने शुरू कर दिए।

दिल के मरीजों के लिए वरदान स्टेंट की देश में हो सकती है भारी कमी

स्टेंट की क़ीमत के बारे में जानिए

धातु के स्टेंट की कीमत 7260 रुपए है। धातु के स्टेंट का प्रयोग अब बेहद कम होता है क्योंकि उसके कारण होने वाली पेचीदगियां अधिक हैं।

डीईएस यानी जिन स्टेंट से दवा रिसती है और धमनियों को साफ़ करने में मदद मिलती है, उनकी कीमत 29600 रुपए है। बाज़ार में अभी डीईएस की खपत 80 प्रतिशत है।

प्राकृतिक तरीके से घुल जाने वाली या बायोडिग्रेडेबल स्टेंट की कीमत 29,600 रुपए है।

2006 में ये संख्या 40,000 थी जबकि वर्ष 2013 में ये बढ़कर 2.20 लाख पहुंच गई थी। एक आंकड़े के अनुसार भारत में 3.2 करोड़ लोग हृदय रोगी हैं, साल में लगभग साढे पांच लाख आपरेशन किए जाते हैं और हर वर्ष इससे 16 लाख लोगों की मौत होती है। (इनपुट आईएएनएस)

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गैस चेंबर बनी दिल्ली, AQI 500 तक पहुंचा

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नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। दरअसल दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर बदतर स्थिति में है। अगर श्रेणी के आधार पर बात करें तो दिल्ली में प्रदूषण गंभीर स्थिति में बना हुआ है। कल जहां एक्यूआई 470 था तो वहीं आज एक्यूआई 494 पहुंच चुका है। दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में एक्यूआई के आंकड़ें आ चुके हैं। अलीपुर में 500, आनंद विहार में 500, बवाना में 500 के स्तर पर एक्यूआई बना हुआ है।

कहां-कितना है एक्यूआई

अगर वायु गुणवत्ता की बात करें तो अलीपुर में 500, बवाना में 500, आनंद विहार में 500, डीटीयू में 496, द्वारका सेक्टर 8 में 496, दिलशाद गार्डन में 500, आईटीओ में 386, जहांगीरपुरी में 500, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 500, लोधी रोड में 493, मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम 499, मंदिर मार्ग में 500, मुंडका में 500 और नजफगढ़ में 491 एक्यूआई पहुंच चुका है। दिल्ली की वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। ऐसे में दिल्ली में ग्रेप 4 को लागू कर दिया गया है। इस कारण दिल्ली के अलावा नोएडा, गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ में स्कूलों को बंद कर दिया गया है और ऑनलाइन माध्यम से अब क्लासेस चलाए जाएंगे।

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