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नेशनल

विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस आज : इस व्यक्ति को दुनिया का सबसे बड़ा ब्रेन ट्यूमर था…

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च़ित्र में जो व्यक्ति दिख रहा है उसे दुनिया का सबसे बड़ा ब्रेन ट्यूमर हुआ था। उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के रहने वाले अंधे संतलाल पॉल (31 वर्ष) को 1.873 किलोग्राम का ब्रेन ट्यूमर था, जो अब ठीक हो गया है। घबराएं नहीं अगर ब्रेन ट्यूमर की पहचान जल्द हो जाए तो तो 90 प्रतिशत कैंसर रहित ब्रेन ट्यूमर का पूरी तरह से इलाज हो जाता है, बशर्ते सही तरीके से इलाज कराया जाए।

आज आठ जून है, पूरी दुनिया में आज विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस मनाया जाता है। विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य ब्रेन ट्यूमर के बारे में आम लोगों में जागरूकता फैलाना है।

उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के रहने वाले अंधे संतलाल पॉल (31 वर्ष) को दुनिया का सबसे बड़ा ब्रेन ट्यूमर हुआ था। पर अब ठीक हैं।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का कहना है कि देश में हर साल करीब 40,000 से 50,000 लोगों में ब्रेन ट्यूमर की पहचान होती है, जिनमें से 20 प्रतिशत बच्चे होते हैं। चिंता की बात यह है कि गत वर्ष यह आंकड़ा केवल पांच प्रतिशत ही ऊपर था। साथ ही, हर साल लगभग 2,500 भारतीय बच्चों में मेडुलोब्लास्टोमा रोग पाया जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों में ल्यूकेमिया के बाद ब्रेन ट्यूमर सर्वाधिक सामान्य कैंसर है।

नई दिल्ली के फोर्टिस एस्कार्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ ब्रेन एवं स्पाइन सर्जन डॉ. राहुल गुप्ता बताते हैं कि, एक समय लोग सर्जरी के नाम से डरते थे, लेकिन आज मौजूदा समय में आधुनिक तकनीकों के आगमन के कारण ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी काफी सुरक्षित एवं प्रभावी हो गई है तथा सर्जरी के बाद ब्रेन ट्यूमर के मरीज आम लोगों की तरह लंबा जीवन जीते हैं।

उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीकों के विकास के कारण आज ब्रेन ट्यूमर के मरीजों का इलाज कारगर एवं आसान हो गया है। पहले ब्रेन ट्यूमर के मरीज आम तौर पर तीन-चार महीने ही जीवित रह पाते थे, लेकिन आज इलाज के बाद ब्रेन टृयूमर के मरीज 10 साल, 20 साल और यहां तक कि 50 साल तक भी जीवित रहते हैं।

डॉ. राहुल गुप्ता ने बताया कि वर्तमान समय में जांच सुविधाओं की सुलभता तथा जागरूकता बढ़ने के कारण ब्रेन ट्यूमर के मामले जल्दी पकड़ में आ रहे हैं और इसके कारण ब्रेन ट्यूमर के मरीज जल्दी ठीक होकर लंबी जिंदगी जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि पांच साल पहले की तुलना में आज उनके पास इलाज के लिए ब्रेन ट्यूमर के दोगुने मरीज आ रहे हैं। कुछ साल पहले तक उनके पास हर महीने 10 से 15 ब्रेन ट्यूमर के मरीज आते थे, लेकिन आज लगभग हर दिन ब्रेन ट्यूमर के एक मरीज आते हैं।

नई दिल्ली के बीएलके हॉस्पिटल के वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ. रोहित बंसिल कहते हैं कि, अगर सही समय पर ब्रेन ट्यूमर का पता चल जाए और सही समय पर सही इलाज शुरू हो जाए तो इलाज पूरी तरह से कारगर होता है।

ब्रेन ट्यूमर के संकेत

उन्होंने कहा कि सुबह-सुबह सिरदर्द या उल्टी के साथ सिरदर्द होना सिर के किसी हिस्से में पनप रहे ट्यूमर का संकेत हो सकता है। अगर सिर में अक्सर दर्द रहता हो, सिर दर्द के साथ उल्टी होती हो, किसी अंग में कमजोरी महसूस होती हो, आंखों की रोशनी घट रही हो तथा दिमागी दौरे पड़ते हों तो ये लक्षण ब्रेन ट्यूमर के हो सकते हैं और ऐसी स्थिति में जांच एवं इलाज में विलंब करना मौत को बुलावा देना साबित हो सकता है।

सेलफोन भी एक कारण

मुंबई के वोकहार्ट हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. शिरीष हस्तक बताते हैं कि सेलफोन से होने वाले विकिरण एवं कुछ रसायनों के बहुत अधिक संपर्क में रहने से ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ता है। उन्होंने कहा कि आरंभिक शोधों से पता चलता है कि सेल फोन से निकलने वाली रेडियोफ्रीक्वेंसी ऊर्जा ब्रेन ट्यूमर पैदा कर सकती है, हालांकि इस बारे में जो निष्कर्ष निकले हैं, उनकी पूरी तरह से पुष्टि नहीं हुई है। डॉ. हस्तक के मुताबिक, कार्सिनोजेनिक किस्म के रसायनों के संपर्क में रहने से भी ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ता है। जो लोग आइयोनाइजिंग रेडिएशन के संपर्क में रहते हैं, उन्हें ब्रेन ट्यूमर होने का खतरा अधिक होता है।

ब्रेन ट्यूमर के लक्षण

डॉ. रोहित बंसिल के अनुसार, ब्रेन ट्यूमर होने पर मस्तिष्क के उस क्षेत्र पर दबाव पड़ता है, जिससे वहां की कार्य प्रक्रिया में बाधा पड़ती है। अगर किसी को उल्टी के साथ सिरदर्द, चक्कर आना/मूर्छा/बेहोशी/मिर्गी, शरीर के अंगों में असामान्य सनसनाहट, लड़खड़ाहट के साथ चलना या असंतुलन (एटैक्सिया), धुंधला दिखना या द्रृष्टि में कमी, बोलने में कठिनाई, व्यवहार में परिवर्तन, अंगों की कमजोरी, थकावट, भ्रम, एकाग्रता में कमी जैसे लक्षण हो रहे हों तो न्यूरो विषेशज्ञ से संपर्क करना चाहिए, क्योंकि ये लक्षण ब्रेन ट्यूमर के हो सकते हैं।

मेट्रो मल्टी स्पेशियलिटी हास्पीटल की न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सोनिया लाल गुप्ता के अनुसार, ब्रेन ट्यूमर दो प्रकार के होते हैं- बिनाइन (बिना कैंसर वाले) या मेलिग्नेंट (कैंसर वाले)। बिनाइन ट्यूमर धीरे-धीरे बढ़ता है और कभी भी शरीर के दूसरे भाग में नहीं फैलता है, जबकि मेंलिंगनेंट ट्यूमर कैंसर वाले ट्यूमर होते हैं, जो बहुत तेजी से और आक्रामक तरीके से बढ़ते हैं। कैंसर वाले ट्यूमर मस्तिष्क के आसपास के हिस्से को भेदते हुए कई बार मस्तिष्क के दूसरे हिस्से या रीढ़ में भी फैल जाते हैं। (इनपुट आईएएनएस)

उत्तर प्रदेश

दिवाली के दिन यूपी के इस जिले में 25 करोड़ की शराब पी गए लोग

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गौतमबुद्ध नगर। उत्तर प्रदेश का गौतमबुद्ध नगर जिला अक्सर चर्चा में रहता है। चाहे वो सोसाइटीज की समस्या को लेकर हो या विकास की रफ्तार को लेकर हो या फिर त्योहारों पर बिक्री को लेकर। दिवाली का त्योहार बीत गया है।

इस बीच, दिवाली के दौरान गौतमबुद्ध नगर जिले में शराब की बिक्री को लेकर जानकारी सामने आई है। पिछले साल की अपेक्षा इस साल यहां शराब की बिक्री में 25 प्रतिशत का उछाल देखने को मिला है। यानी दिवाली के दौरान गौतमबुद्ध नगर जिले के लोग शराब के नशे में भी खूब झूमे हैं।

दिवाली में पिया 25 करोड़ की शराब

दिवाली के जश्न के बीच गौतमबुद्ध नगर जिले में लोग 25 करोड़ रुपये की शराब गटक गए, जो पिछले साल की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक है। आबकारी विभाग के एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि पूरे अक्टूबर माह में जिले के लोगों ने 250 करोड़ रुपये शराब पर खर्च किए, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 204 करोड़ रुपये था।

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