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पाकिस्तान में कैदी की मौत का मामला उच्च स्तर पर उठाएगा भारत
नई दिल्ली| भारत ने पाकिस्तान में अपने उच्चायुक्त से दिवंगत भारतीय नागरिक के शव को जल्द से जल्द देश लाने के लिए इसे ‘हर संभव उच्च स्तर’ पर उठाने के लिए कहा है, जिनकी मौत सोमवार को हो गई थी। भारतीय नागरिक कृपाल सिंह (54) की मौत सोमवार को पाकिस्तान की कोट लखपत जेल के अस्पताल में हो गई थी। उन पर वर्ष 1991 में फैसलाबाद रेलवे स्टेशन पर हुए बम हमले में शामिल होने का आरोप था और पाकिस्तान में जासूसी तथा आतंकवाद के लिए उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बुधवार को कहा, “इस्लामाबाद में हमारे कार्यवाहक उच्चायुक्त से कहा गया है कि वह पाकिस्तान विदेश विभाग के साथ कृपाल सिंह की मौत का मामला उच्च स्तर पर उठाएं, ताकि उनका शव जल्द से जल्द स्वदेश लाया जा सके। उनसे मौत के कारणों, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आदि पर भी आधिकारिक जानकारी मांगी गई है।”
पाकिस्तान की कोट लखपत जेल के अधिकारियों के मुताबिक, कृपाल सिंह की तबीयत बिगड़ने के बाद सोमवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
पाकिस्तानी प्रशासन का कहना है कि कृपाल सिंह की मौत हार्ट फेल हो जाने के कारण हुई।
कृपाल सिंह की बहन ने भाई की मौत के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराते हुए मंगलवार को भारत और पाकिस्तान के बीच अटारी-बाघा पर प्रदर्शन किया था।
प्रदर्शन के दौरान कृपाल सिंह की बहन जागीर कौर ने कहा, “मेरे भाई कृपाल को एक अन्य भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की ही तरह मार दिया गया। उसकी मौत के लिए पाकिस्तानी जेल प्रशासन जिम्मेदार है।”
पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में बंद सजायाफ्ता भारतीय कैदी सरबजीत पर 2013 में जैल के अन्य कैदियों ने हमला कर दिया था, जिसके बाद अस्पताल में उनकी मौत हो गई थी।
अटारी-बाघा सीमा पर जागीर कौर द्वारा किए गए प्रदर्शन में सरबजीत की बड़ी बहन दलबीर कौर के अतिरिक्त कई अन्य भी शामिल थे।
उनके परिजनों ने कृपाल सिंह के शव को पंजाब के गुरदासपुर जिले में उनके पैतृक गांव ले जाने की मांग की है, जहां वे उनका अंतिम संस्कार करना चाहते हैं।
नेशनल
जम्मू-कश्मीर: आतंकियों ने सेना के दो जवानों का किया अपहरण, एक भागने में कामयाब, दूसरे का गोलियों से छलनी शव मिला
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग के जंगली इलाके में आतंकियों ने सेना के 2 जवानों का अपहरण कर लिया। हालांकि, एक जवान आतंकियों के चंगुल से छूटकर वापस आने में कामयाब हो गया है, लेकिन दूसरे की बेरहमी से ह्त्या कर दी गई है। उसका गोलियों से छलनी शव बरामद हुआ है।
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार दोनों जवान प्रादेशिक सेना की 161वीं इकाई के हैं। 8 अक्टूबर को शुरू किए गए आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान जंगली इलाके से उन्हें अगवा किया गया। इनमें से एक जवान भागने में सफल रहा। उसे दो गोली लगी है। बुधवार सुबह दूसरे जवान का शव मिला। उसके शरीर पर गोलियों के कई निशान हैं।
घायल जवान को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उसकी स्थिति स्टेबल है। आतंकियों की तलाश के लिए पूरे इलाके की घेराबंदी की गई है। बड़े स्तर पर सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है।
बता दें कि यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब 8 अक्टूबर को ही जम्मू-कश्मीर में मतगणना संपन्न हुई है और अब यहां नई सरकार बनने जा रही है। नेशनल कांफ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन यहां सरकार बनाने जा रही है। अब राज्य सरकार के साथ ही केंद्र सरकार की भी चुनौती बढ़ जाएगी। सफल चुनाव आयोजन से पाकिस्तान और पाक परस्त संगठन खार खाए बैठे हैं। इसके बाद अब यहां आतंकी गतिविधियों में भारी इजाफा होने की आशंका है।
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